क्रांतिकारी साहित्यकार नाजिम रिजवी के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान ने जताया शोक
मिथिला-मैथिली आंदोलन के समर्पित क्रांति दूत एवं मैथिली साहित्यकार आचार्य नाजिम रिजवी के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान ने सोमवार को शोक जताया। अपने शोक संदेश में संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि संपूर्ण जीवन मैथिली के विकास के लिए समर्पित करने वाले नाजिम रिजवी का निधन मिथिला-मैथिली के लिए अपूर्णीय क्षति है। उन्होंने कहा कि साइकिल पर ‘जय मैथिली’ लिखी तख्ती लगाकर मिथिला के गांव गांव में मातृभाषा के प्रति अलख जगाने वाले अभियानी के रूप में वे सदा जीवंत बने रहेंगे। अपने शोक संदेश में उन्होंने मैथिली भाषा साहित्य के गंभीर समालोचक डॉ विश्वेश्वर मिश्र, स्वतंत्रता सेनानी भगलू झा, दरभंगा बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष तंत्र नाथ ठाकुर एवं मिथिला के लोक गाथा की परंपरा के संवाहक भगवान प्रलय के निधन पर भी गहरा दु:ख जताया।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि आचार्य नाजिम रिजवी के निधन से मैथिलीपुत्र प्रदीप जी की क्रांति सेना का अनमोल ध्वजवाहक, मैथिली आंदोलनी एवं वीर रस का अनुपम कवि हमसे हमेशा के लिए जुदा हो गया। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि आजीवन मिथिला-मैथिली की सेवा के लिए समर्पित रहने वाले व्यक्तित्व के रूप में रिजवी साहब अपने अनमोल कृतित्व के लिए हमेशा यादों में बसे रहेंगे। प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि वे मैथिली आन्दोलन के क्रांतिकारी सिपाही के साथ-साथ गरौल पंचायत के मुखिया के रूप में करीब दो दशक तक दिए गए अपने योगदान के लिए भी हमेशा याद किए जाएंगे।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि उनके घर के मुख्य द्वार पर आज भी ‘सीता हमर माय, मैथिली हमर भाषा’ लिखा होना उनके मातृभूमि एवं मातृभाषा के प्रति असीम अनुराग को दर्शाता है। मिथिला की धरोहर संस्कृति और इतिहास के प्रति गहरी रूचि रखने वाले मातृभाषा अनुरागी कवि के रूप में वे हमेशा जीवंत बने रहेंगे। उनके निधन पर साहित्यकार डॉ महेंद्र नारायण राम, प्रो विजयकांत झा, विनोद कुमार झा, हीरा कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढाभाई, डॉ गणेश कांत झा, डाॅ रामसुभग चौधरी, डाॅ रमेश झा, आशीष चौधरी, चंदन सिंह, चौधरी फूल कुमार राय, नवल किशोर झा, डाॅ सुषमा झा, दुर्गानंद झा आदि ने भी अपनी शोक संवेदना जताई।