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विद्यापति सेवा संस्थान ने मनाई मणिपद्म की जयंती

विद्यापति सेवा संस्थान ने मनाई मणिपद्म की जयंती


प्रसिद्ध साहित्यकार और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता डॉ. ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म ने मैथिली साहित्य को समृद्ध करने के साथ ही मिथिला की पौराणिक संस्कृति को लोकगाथा के रूप में स्थापित किया।ये बातें कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति सह विद्यापति सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रो शशिनाथ झा ने मंगलवार को संस्थान के तत्वावधान में एमएमटीएम काॅलेज परिसर में आयोजित मणिपद्म की जयंती में ऑनलाइन अपना विचार रखते कही। उन्होंने कहा कि इसके परिणाम स्वरूप मिथिला के लोरिक मनियार, दीनाभद्री, राजा सलहेस, दुलरा दयाल, नैका बनिजारा, कुसुमा मालिन मल्लवंश, चूहरमल आदि जैसे पात्रों को साहित्यिक रूप देकर आम जनों तक पहुंचाकर मैथिली लोकगाथा को मिथिला के पौराणिक संस्कृति के रूप में पहचान कायम की।
संस्थान के महासचिव डाॅ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में मिथिला एवं मैथिली को पल्लवित पुष्पित करने वाले कोसी के लाल मणिपद्म ने अपनी रचनाओं से मैथिली को काफी आगे बढ़ाया। उनके समय में अगर आज की तरह प्रेस की सुविधा होती तो उनके नाम सौ से अधिक किताबें जरूर होतीं।
मैथिली सेवी उदय शंकर मिश्र ने कहा कि शब्द शिल्पी और महान कल्पनाशील व्यक्तित्व के धनी डॉ. ब्रजकिशोर वर्मा ‘मणिपद्म साहित्यकार होने के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। 1942 की क्रांति में इन्होंने भी ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद किया और जेल गये। शिक्षक नेता डाॅ राम मोहन झा ने कहा कि अपने जीवनकाल में मणिपद्म ने साहित्य की विविध विधाओं में रचनाएं कर मैथिली को समृद्ध किया।
संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि मणिपद्म का जीवनपर्यंत घुमंतू बने रहे, यही कारण है कि इनकी रचनाओं में पूरे भारतवर्ष का दर्शन स्वत: हो जाता है। जयंती की अध्यक्षता करते हुए पीजी प्राचीन इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष डाॅ अयोध्या नाथ झा ने कहा कि 1953 में जब ‘नयका बनिजारा’ के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला तो कई राज्य सरकारों ने भी इन्हें पुरस्कृत कर मिथिला के लाल का मान बढ़ाया।
इससे पहले मणिपद्म के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके प्रति श्रदांजलि अर्पित की गई। धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य डाॅ उदय कांत मिश्र ने किया। कार्यक्रम में डाॅ रामसुभग चौधरी, विनोद कुमार झा, टुनटुन राय, डाॅ हरे राम झा, हरि किशोर चौधरी, विजय कुमार, व मनोज कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, अभय नाथ झा, बिंदु पाठक, आशीष चौधरी आदि ने भी मणिपद्म के चित्र पर पुष्पांजलि देकर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया।

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