करवा चौथ की पूजा के बाद सभी व्रती महिलाओं को चांद के दीदार का इंतजार रहता है। ऐसे में यदि आसमान में छाए बादलों की ओट से चांद नजर ना आए तो व्रत रखने वाली महिलाओं के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो जाती हैं। जब किसी कारणवश चांद नहीं देख पाता तो ऐसे में सवाल उठता है।कि व्रत कैसे खोलें सुहागिन महिलाओं ने आज करवा चौथ का व्रत रखा है इस व्रत का पारण चांद को अर्ध्य देने के बाद होता है। ऐसे में यदि खराब मौसम की वजह से या फिर किसी अन्य कारणवश चांद नहीं देख पाता है।तो ऐसे में सवाल उठता है कि व्रत कैसे खोलें और कैसे करें वैसे ही प्राचीन कथा के अनुसार एक गांव में करवा देवी अपने पति के साथ रहती थी। एक दिन उनके पति नदी में स्नान करने के लिए गए स्नान करने के दौरान मगरमच्छ ने करवा के पति का पैर पकड़ लिया। और खींच कर नीचे में अंदर की ओर ले जाने लगे इस दौरान पति ने अपनी रक्षा के लिए पत्नी को पुकारा पति की आवाज सुनकर कड़वा नदी के किनारे पहुंच गई। और मगरमच्छ को एक कच्चे धागे से पेड़ से बांध दिया करवा की क्षति तो की वजह से मगरमच्छ हिल तक नहीं सका इसके बाद करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति का जीवन दान मांगा और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा यमराज ने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी पूरी नहीं हुई है।लेकिन तुम्हारे पति की आयु पूरी हो गई है। यमराज की यह बात सुनकर करवा क्रोधित हो गई और उन्होंने कहा कि यदि उनके पति के प्राणों को कुछ हुआ तो वह शराब दे देगी सती के शार्प से डरकर यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दे दिया साथ ही करवा को सुख समृद्धि कावड़ दिया और कहा जो इस्त्री इस दिन व्रत करके कड़वा को याद करेगी उनके सौभाग्य कि मैं रक्षा करूंगा कहा जाता है।कि इस घटना के दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सभी से करवा चौथ व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है।
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