Darbhanga गीतकार रविंद्र के निधन पर संस्थान ने किया भावपूर्ण नमन श्रद्धांजलि सभा में लोगों ने दी भावपूर्ण स्मरणांजलि संवाददाता ajit कुमार सिंह

गीतकार रविंद्र के निधन पर संस्थान ने किया भावपूर्ण नमन

श्रद्धांजलि सभा में लोगों ने दी भावपूर्ण स्मरणांजलि

मैथिली कला, साहित्य व सिनेमा जगत के महानायक रविंद्र नाथ ठाकुर के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में शुक्रवार को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा की अध्यक्षता में महाराज महेश ठाकुर मिथिला महाविद्यालय के सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों ने गीतकार रवींद्र के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. मौके पर संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व की विस्तार से चर्चा करते हुए घोषणा की कि मिथिला विभूति पर्व के स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह के दौरान प्रकाशित होने वाली संस्थान की मुख पत्रिका अर्पण का इस बार का अंक रविंद्र नाथ ठाकुर विशेषांक होगा. जिसमें उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर केंद्रित आलेख के साथ साथ उनकी अमूल्य कृतियाँ प्रकाशित की जाएंगी. मौके पर उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के वित्त विभाग में नौकरी करते हुए उन्होंने मैथिली साहित्याकाश को जो ऊंचाई दी, वह हमेशा प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय बना रहेगा.
डा टुनटुन झा अचल ने उन्हें मातृभाषा मैथिली का महान अनुरागी बताते कहा कि वे जीवन पर्यंत मैथिली मातृभाषा भाषा एवं साहित्य के उत्तरोत्तर विकास के लिए समर्पित रहे. डा रामशुभग चौधरी ने कहा कि एक अच्छे रचनाकार होने के साथ-साथ वे सभी प्रकार की कला में माहिर थे और यही उनकी खासियत थी.
सुनीता झा ने उनके रचनाशिल्प की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें मैथिली साहित्य का महान साधक बताया. वहीं स्वर्णिम किरण प्रेरणा ने कहा कि वे एक ऐसे धरोहर रचनाकार थे जिनकी रचनाएं मैथिली भाषी लोगों के दिलों में हमेशा बसी रहेगी. साहित्यकार राजेश सिंह ठाकुर ने कहा कि साहित्य और साहित्यकार कभी मरता नहीं, रवींद्र जी की अनुपस्थिति में उनकी रचनाएं हमेशा उनकी उपस्थिति का एहसास कराती रहेगी.
रंगकर्मी डा श्याम भास्कर ने कहा कि गीत लेखन के साथ-साथ इसके प्रदर्शन की कला में वे माहिर थे और यही उनकी विशेषता थी. शिक्षासेवी प्रजेश झा ने कहा कि आज भाई रविंद्र भले ही हमारे बीच से चले गए हों, लेकिन उनकी रचनाएं हमेशा उनकी उपस्थिति दर्ज कराएंगी. उन्होंने उनकी रचनाओं को संकलित कर रवींद्र माला का प्रकाशन करने के साथ साथ उनके गीतों को संकलित कर इसे डिजिटल फार्म में रीलिज किए जाने का प्रस्ताव रखा. जिसे महासचिव डा बैजू ने तत्क्षण सहर्ष स्वीकार किया. प्रवीण कुमार झा ने अपने संबोधन में उनके उनके निधन को मैथिली कला, साहित्य व सिनेमा जगत के लिए अपूर्णीय क्षति बताते कहा कि अर्थपूर्ण रचनाओं के सृजन करने वाले रवीन्द्र जी कवि कोकिल विद्यापति के बाद की पंक्ति के श्रेष्ठ गीतकारों में शामिल थे.
अध्यक्षीय संबोधन में मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकान्त झा ने कहा कि मैथिली मंच, रंगमंच और सिनेमा में उनकी उपलब्धि अद्वितीय थी. मैथिली फिल्म ममता गाबय गीत में एक गीतकार के साथ-साथ फिल्म निर्माण में इनकी भूमिका हमेशा यादगार बनी रहेगी.
डा सुषमा झा के संचालन में आयोजित सभा में प्रो चन्द्र शेखर झा बूढाभाई, डा उदय कांत मिश्र, दुर्गानंद झा, नवल किशोर झा, प्रो चंद्र मोहन झा पड़वा, चंद्र मोहन झा, डा हरे राम झा, डा राज राज किशोर दा अभय कांत झा आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स आदि ने भी अपने विचार रखे. सभा में डा सुषमा झा ने रवींद्र रचित मिथिला वर्णन ‘के छथि मैथिल की थीक मिथिला’ और वरिष्ठ गायक सुधाकांत ने ‘सिया की पतिया, पिया राम के नाम’ की सस्वर प्रस्तुति दी, जिसे लोगों ने खूब सराहा.

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