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सी एम कॉलेज के संस्कृत विभाग द्वारा “रोजगार एवं आर्थिक प्रबंधन में संस्कृत की भूमिका” विषयक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित

सी एम कॉलेज के संस्कृत विभाग द्वारा “रोजगार एवं आर्थिक प्रबंधन में संस्कृत की भूमिका” विषयक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित

विश्वविद्यालय स्थापना की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित वेबीनार में अनेक वक्ताओं सहित 80 से अधिक व्यक्तियों की हुई सहभागिता

भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता का प्रतीक संस्कृत समृद्ध, व्यवस्थित, विशुद्ध एवं रोजगार परक भाषा- डा अनिल

मानवीय मूल्य एवं संस्कार की अमृत भाषा संस्कृत में रोजी- रोजगार की अपार संभावनाएं- प्रो विश्वनाथ

संस्कृत के छात्र यदि अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषा पढें तो देश ही नहीं, विदेशों में भी नौकरी की असीम संभावना- डा विकास

भाषा वैज्ञानिक, पुरातत्ववेत्ता, दार्शनिक, वास्तु- ज्योतिष विशेषज्ञ, उपदेशक व धर्मगुरु आदि बनकर संस्कृत के छात्र गौरवान्वित हों- डा आर्या

संस्कृत न पढ़ पाने का दु:ख है, पर आगे सीखूंगा भी और दूसरों को भी सीखवाने का सार्थक प्रयास करूंगा- डा कामेश्वर

सी एम कॉलेज, दरभंगा के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में “रोजगार एवं आर्थिक प्रबंधन में संस्कृत की भूमिका” विषयक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। पूर्व प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानाचार्य डा अनिल कुमार मंडल- उद्घाटन कर्ता, मारवाड़ी कॉलेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास सिंह- मुख्य वक्ता, सुंदरवती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की डा उमा आर्या- विशिष्ट वक्ता, मिथिला विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव प्रथम डा कामेश्वर पासवान- सम्मानित वक्ता, संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया- विषय प्रवेशक, एमआरएम कॉलेज की हिन्दी- प्राध्यापिका डा नीलम सेन- धन्यवाद कर्ता तथा मिल्लत कॉलेज की मनोविज्ञान- प्राध्यापिका डा कीर्ति चौरसिया स्वागत कर्ता एवं संचालक के साथ ही डा सुमित कोले, दिल्ली से वरुण जैन, बाल कृष्ण कुमार सिंह, अमरजीत कुमार, डा सुकृति, प्रशांत कुमार झा, शंभू मंडल, डा आनंद प्रियदर्शी, तरुण मिश्रा, राज किशोर पासवान, दिलीप पांडे, आशीष, प्रभात, सतीशचंद्र, चंदन कुमार, आरुषि, रवीन्द्र चौधरी, अर्चना झा व आस्थानंद सहित 80 से अधिक व्यक्तियों की वेबीनार में सहभागिता हुई।
अपने उद्घाटन संबोधन में प्रधानाचार्य डा अनिल कुमार मंडल ने संस्कृत अध्ययन की महत्ता पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता का प्रतीक संस्कृत समृद्ध, व्यवस्थित, विशुद्ध एवं रोजगारपरक भाषा है। आज के बेहतरीन विषयों में शुमार संस्कृत का अध्ययन कर छात्र अध्यापक, प्राध्यापक, प्रशासक, आयुर्वेदाचार्य व पुरोहित आदि बनकर अपने जीवन को स्वर्णिम बना सकते हैं। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे सी एम कॉलेज में कार्यरत 3 शिक्षकों के माध्यम से बेहतरीन संस्कृत- अध्ययन का लाभ उठाकर अपने परिवार एवं समाज को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाएं।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि संस्कृत- ज्ञान के बिना मानव जीवन सफल नहीं हो सकता है। संस्कृत अध्ययन से हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। उन्होंने संस्कृत की महत्ता की चर्चा करते हुए कहा कि यह मानवीय मूल्यों एवं संस्कारों की अमृत भाषा है, जिसमें रोजी- रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।
भारत में छोटे- बड़े 2 करोड़ से अधिक मंदिर हैं, जिनसे 4 करोड़ से भी अधिक परिवारों की आजीविका चल रही है। संस्कृत- अध्ययन से लोगों के व्यक्तित्व में सज्जनता, विनयशीलता एवं आडंबरहीनता आती है। संस्कृत हमारे जीवन का आर्थिक- प्रबंधन कर हर तरह की विलासिता का निषेध करता है।
मुख्य वक्ता के रूप में डा विकास सिंह ने कहा कि हिन्दू ,बौद्ध व जैन धर्मगुरु के लिए संस्कृत- ज्ञान आवश्यक है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संस्कृत के महत्व को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी बढ़ाया है, जिनके कारण आज संस्कृत वैश्विक स्तर पर तेजी से उभर रहा है। यदि छात्र संस्कृत के साथ अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषा पढें तो उनके लिये देश ही नहीं, विदेशों में भी नौकरियों की असीम संभावना मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत के छात्र अनुवादक, आयुर्वेद- चिकित्सक, धार्मिक व प्राचीन स्थलों के टूरिस्ट गाइड, पाक- विद्या विशेषज्ञ, प्राचीन व संस्कृति आधारित सिनेमा क्षेत्र में तथा पांडुलिपियों के संरक्षण व अध्ययन- अध्यापन सफलतापूर्वक करते हुए अपार धन के साथ शोहरत भी पा सकते हैं।
विशिष्ट वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय की डा उमा आर्या ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा मात्र ही नहीं, बल्कि ज्ञान- विज्ञान का अथाह सागर भी है, जिसका अध्ययन कर छात्र जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता पा सकते हैं। आज संस्कृत का क्षेत्र तेजी से विस्तृत हो रहा है। उन्होंने कहा कि भाषा वैज्ञानिक, पुरातत्ववेत्ता, दार्शनिक, वास्तु- ज्योतिष विशेषज्ञ, उपदेशक, कथावाचक व धर्मगुरु आदि बनकर संस्कृत के छात्र गौरवान्वित हो सकते हैं।
विदेशों में संस्कृत के प्रचलन की चर्चा करते हुए कहा कि जापान के बच्चे आज श्लोकों का उच्चारण कर रहे हैं, वहीं यूरोप के लोग योग के महत्व को समझकर उसे अपने जीवन में रहे हैं। डा आर्या ने कहा कि यदि संस्कृत को रुचिपूर्ण बनाकर प्रारंभिक कक्षाओं से ही पढ़ाई की जाए तो छात्र स्वतः इस समृद्ध भाषा की ओर आकर्षित होंगे।
सम्मानित अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव प्रथम डा कामेश्वर पासवान ने संस्कृत अध्ययन न कर पाने की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि मुझे संस्कृत न पढ़ पाने का दुःख है, पर आगे इसे अवश्य ही सीखूंगा भी और दूसरों को भी सिखवाने का सार्थक प्रयास करूंगा। उन्होंने इस तरह के प्रेरक एवं उपयोगी कार्यक्रम आयोजन हेतु आयोजकों को धन्यवाद देते हुए आग्रह किया कि ऐसे कार्यक्रम विकास की मुख्यधारा से दूर दलित, पिछड़े एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भी आयोजित करवाए जाएं, जिसपर कार्यक्रम के संयोजक डा चौरसिया ने सहमति प्रदान की।
विषय प्रवेश कराते हुए संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया ने कहा कि संस्कृत रोचक, सरल, ज्ञानवर्धक एवं सर्वाधिक अंक दायक विषयों में है, जिसके अध्ययन- अध्यापन से व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास तो होता ही है, बल्कि आदर्श मानव निर्माण भी संभव है। उन्होंने कहा कि आज बदली हुई परिस्थिति में किसी भी धर्म- संप्रदाय या जाति- वर्ग के छात्र कामधेनु की तरह संस्कृत भाषा का अध्ययन कर प्रशासनिक, सामाजिक, राजनीतिक, दार्शनिक, सेना में धर्म- शिक्षक, कर्मकांड, टीवी वार्ता या पत्र- पत्रिका सहित जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लक्ष्य को सहजता से प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे भीड़ का हिस्सा न बने, बल्कि स्नातक स्तर से ही संस्कृत अध्ययन कर अपने उज्ज्वल भविष्य बनाएं। मिथिला विश्वविद्यालय में अभी नामांकन हेतु ऑनलाइन आवेदन किए जा रहे हैं। यदि किसी छात्र को किसी प्रकार की कठिनाई हो तो वे 9905 4376 36 पर संपर्क कर अथवा महाविद्यालय आकर शिक्षकों से मार्गदर्शन प्राप्त करें।
आगत अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन डा कीर्ति चौरसिया ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एमआरएम कॉलेज की डा नीलम सेन ने संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए गांव- गांव में जन जागरूकता हेतु प्रचार- प्रसार की आवश्यकता बताते हुए कहा कि संस्कृत छात्रों के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों के साथ ही केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली आदि के द्वारा अनेक तरह की छात्रवृत्तियों सहित कई तरह की अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं।

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