ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह के अवसर पर जुबली हॉल में ‘सर्वभाषा कवि सम्मेलन’ का आयोजन हुआ। कवि सम्मेलन की विधिवत शुरुआत कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह, प्रति-कुलपति प्रो. डॉली सिन्हा, कुलसचिव प्रो. कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर की। सर्वभाषा कवि सम्मेलन में काव्य रस फुहार में श्रोतागण गोते लगाते रहे। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि साहित्य के बिना इंसान की जिंदगी में रौनकता नहीं आती है। शायरी मरुभूमि में नाव खींचने के समान है। शायरी केवल तकनीक जानने का कार्य नहीं है। शायरी वक्त के साथ चलने का चीज नहीं है, ये तो वक्त के साथ मुकाबला करता है। शायरी का काम दिल की धड़कन को पहचानना है। शायरी फैशन का नाम नहीं है। प्रो. अहमद का कहना कि ‘मेरा तो तूझ में टूटना, बिखरना, मुकद्दर रहा है…’, पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक एवं संयोजक प्रो. अशोक कुमार मेहता ने मंच का संचालन करते हुए ‘पिया चली झूला झुलाबी…’ का सस्वर मैथिली में पाठ किया, जिसे श्रोताओं ने खूब पसंद किया। डॉ. सुकृति ने संस्कृत में ‘पाठ्यपुस्तक पठनियम, समय पालन…’ पर कविता पाठ की। डॉ. संजीत कुमार झा ‘सरस’ ने भी संस्कृत में ‘विद्यालय किम् कृत्रम्, ज्ञान जीवन प्रकाशम्…’ कविता पाठ किया। प्रो. आफताब अशरफ ने उर्दू में ‘जान देता हैं अशरफ आप पर…’, प्रो. मेहता को समर्पित करते हुए काव्य पाठ किया। शबाहत फातमा ने उर्दू में ‘हिंदुस्तान की जमीन से आसमां की बेटी हूं…’ पर कविता पाठ की। डॉ. अमरकांत कुंवर ने हिंदी में ‘तुम होते ही सावन सलोने बन जाता है…’ पर कविता पाठ किया। डॉ. उपासना झा ने हिंदी में काव्य पाठ ‘उससे दूर रहते हुए उसकी रोटी जोड़ रखा है मुझे…’ को श्रोताओं ने खूब सराहा। पुतुल प्रियंवदा ने मैथिली में ‘बेटिये क क्या निमय पढ़ाने छी…’ पर काव्य पाठ किया। कवि/कवयित्रियों की ओर से किये गये काव्य पाठ का सभी ने जमकर लुफ्त उठाया। कार्यक्रम के अंत में माननीय कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह और प्रति-कुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने सभी कवि-कवयित्रियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। ‘सर्वभाषा कवि सम्मेलन’ में कला संकाय के डीन प्रो. जितेंद्र नारायण, कुलानुशासक डॉ. अजयनाथ झा, प्रो. चंद्रभानू सिंह, उप-कुलसचिव प्रथम डॉ. कामेश्वर पासवान, उप-कुलसचिव द्वितीय डॉ. दिव्या रानी हंसदा, पेंशन पदाधिकारी डॉ. सुरेश पासवान, वाणिज्य डीन प्रो. बीबीएल दास, प्रो. अरुण कुमार सिंह. प्रो. अजीत कुमार सिंह व अन्य शिक्षक-शिकेत्तरकर्मी तथा छात्र/छात्राएं उपस्थित थे। जुबली हॉल श्रोताओं से खचाखच भरा था।
वहीं कार्यक्रम के दूसरे सत्र में स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों के बीच पुरस्कार तथा प्रमाण-पत्र वितरण किया गया। माननीय कुलपति, प्रति-कुलपति, कुलसचिव और संकायों के डीन ने सभी सफल प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र और मेडल देकर सम्मानित किया।