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दिल में छेद से ग्रसित मधुबनी जिले के तीन बच्चे ऑपरेशन के लिए अमदाबाद रवाना

दिल में छेद से ग्रसित जिले के तीन बच्चे ऑपरेशन के लिए अमदाबाद रवाना

• अब तक जिले के 35 नौनिहालों को मिल चुकी है नई जिन्दगी
•इलाज में होने वाला सारा खर्च राज्य सरकार वहन करती है
• मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना में शामिल है बाल हृदय योजना

मधुबनी
मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना सात निश्चय पार्ट-2 में शामिल बाल हृदय योजना , जन्मजात दिल में छेद से ग्रसित बच्चों के लिए जीवनदायनी साबित हो रही है। मधुबनी जिले के लगभग तीन दर्जन बच्चे को सर्जरी की जा चुकी है। सरकार द्वारा बच्चों की सुरक्षित एवं स्वस्थ्य भविष्य के लिये बाल हृदय योजना की शुरुआत की गई है। जिसके तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों को इलाज की सुविधा दी जाती है। उनके इलाज में होने वाला सारा खर्च राज्य सरकार उठाती है। यह योजना उन माता-पिता के लिए वरदान साबित हुई जो आर्थिक तंगी के कारण हृदय में छेद के साथ जन्मे अपने बच्चों का समुचित इलाज करवाने में असक्षम हैं। इस योजना से हृदय रोगी बच्चों की मृत्यु दर में काफी कमी आयी है। साथ ही स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने में सरकार की एक अनूठी पहल के तौर पर उभरकर सामने आयी है। जिले में गरीब तबके से संबंध रखने वाले माता-पिता बाल हृदय से पीड़ित बच्चों की बीमारी का इलाज करवाने में असमर्थ होते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं रहती है कि वे अस्पताल जाकर अपने बच्चे का इलाज करवा पायें। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें कहीं और से भी आर्थिक सहायता नहीं मिल पाती है। इस कारण बाल हृदय रोग से पीड़ित बच्चे अक्सर मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। इस समस्या का सामाधान करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा बाल हृदय योजना की शुरुआत की गई है. इसी कड़ी में गुरुवार को जिले के चार बच्चे के सफल ऑपरेशन के लिए पटना भेजा गया जहां से ऑपरेशन के लिए सत्य साईं अस्पताल अहमदाबाद भेजा गया जिसमें सुजीत कुमार पिता सुनील कुमार यादव प्रखंड विस्फी, मोहम्मद साबिर पिता मोहम्मद इरफान प्रखंड लदनिया, आर्यन कुमार पिता अखिलेश कुमार मालतोल कलुआही को ऑपरेशन के लिए भेजा गया .

35 बच्चों को अबतक मिल चुका है लाभ-
राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के जिला समन्वयक डा. कमलेश शर्मा ने बताया जिले से अबतक कुल 35 बाल हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का सफल ऑपरेशन करवाया जा चुका है। सभी बच्चे बिलकुल स्वस्थ्य हैं। समय समय पर उनका चेकअप राज्य की राजधानी आई. जी.आई. सी. पटना में कुशल चिकित्सकों द्वारा की जाती है। यह योजना गरीब अभिभावकों के लिए वरदान से कम नहीं है। उन्होंने बताया बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के
तहत अन्य कई प्रकार के गंभीर जन्मजात रोगों से ग्रसित बच्चों का सफल चिकित्सा करवाया जा चुका है।

प्रखंड स्तर पर आरबीएसके की टीम करती है स्क्रीनिंग :

सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया कि योजना के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों की पहचान के लिए जिलास्तर पर स्क्रीनिंग की जाती है। जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा अन्य अधिकारी भी शामिल होते हैं। जहां से बच्चों को इलाज के लिए आई जी.आई.एम.एस. पटना, एम्स पटना, आई.जी.आई.सी. पटना में बच्चों सम्पूर्ण जाँच करने के बाद रोगों की गंभीरता के देखते हुए अहमदाबार रेफर किया जाता है। स्क्रीनिंग से लेकर इलाज पर आने वाला पूरा खर्च सरकार वहन करती है। किसी बच्चे के हृदय में छेद हो जाता है तो किसी को जानकारी रहती नहीं है। बाद में कुछ उम्र के बाद बच्चों को कई तरह की कठिनाई होने लगती है। इसको ध्यान में रखते हुए यह बच्चों की निःशुल्क जांच एवं इलाज की व्यवस्था की गयी है।

एंबुलेंस की सुविधा नि:शुल्क:

जिला कार्यक्रम प्रबंधक दयाशंकर निधि ने कहा कि बाल हृदय योजना के तहत बच्चों को नि:शुल्क एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करायी जाती है। बच्चों को घर से अस्पताल या अहमदाबाद जाने के लिए एयरपोर्ट, या अस्पताल से घर तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करायी जाती है। जिसका खर्च विभाग की तरफ से वहन किया जाता है। आर.बी.एस.के. कार्यक्रम मुख्य रूप से शून्य से 18 वर्ष के बच्चों की बीमारी दूर करने का कार्यक्रम है। इसके तहत कुल 44 प्रकार के बीमारी का इलाज किया जा रहा है। आर.बी.एस.के. दल प्रतिदिन सभी प्रखंडों के किसी ना किसी आंगनवाड़ी या सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त विधालय में जा कर बच्चों का स्वास्थ्य जाँच करती है साथ ही उक्त दल के सदस्य सोमवार से शुक्रवार तक रोगग्रस्त पाए बच्चों का सूची तैयार गांव में पीड़ित परिवार से जाकर मिलते हैं। उन्हें सरकारी कार्यक्रम की जानकारी देते हैं। इसके बाद बच्चों का इलाज होता है। आर.बी.एस.के. दल वैसे माने तो बच्चों के रोगों के लिए वरदान साबित हो रही है!

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