बकाया एवं वेतन मद की राशि शीघ्र भुगतान करे विश्वविद्यालय: डॉ बैजू
कोरोना संकट में आर्थिक तंगहाली झेल रहे विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के बकाया मद की राशि के साथ सरकार द्वारा तीन माह का वेतन निर्गत किए जाने के बावजूद इसके भुगतान को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा टालमटोल का रवैया अपनाए जाने पर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने गहरी नाराजगी जताई है।
शनिवार को जारी अपने बयान में उन्होंने कहा कि जिन कर्मचारियों के बलबूते विश्वविद्यालय प्रशासन प्रदेश का नम्बर वन विश्वविद्यालय होने का दंभ भरता है, उसके द्वारा अपने शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए दोहरा मापदंड अपनाना अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों से वार्ता करने के बाद इससे मुकरकर कर्मचारियों को हड़ताल की आग में झोंकने को मजबूर करना विश्वविद्यालय प्रशासन को शोभा नहीं देता।
उन्होंने कहा कि जिन कर्मचारियों के वेतन सत्यापन के लिए वर्षो पूर्व कागजात वेतन सत्यापन कोषांग में जमा किया हो, उसका वेतन सत्यापन में हो रही देरी का ठीकरा कर्मचारियों के माथे फोड़ने के षड्यंत्र में शामिल होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने अपने बयान में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आनन-फानन में शिक्षकेत्तर कर्मियों के गलत वेतन निर्धारण करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने नियमित शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के बकाया एवं पूर्ण वेतन के साथ ही पेंशनरों के पेंशन भुगतान में विश्वविद्यालय प्रशासन की पैंतरेबाजी की तीव्र भर्त्सना की है। डॉ बैजू ने कहा है कि राजकीय अंकेक्षक वर्ष 2006 से ही विश्वविद्यालय के कर्मियों के वेतन की जांच करते आ रहे हैं एवं उसके अनुरूप ही कर्मियों को वेतन भुगतान किया जा रहा है। बावजूद इसके जब देश में कोरोना संक्रमण अपने चरम पर है अल्प वेतनभोगी तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मियों पर 25 प्रतिशत वेतन कटौती की साजिश पूर्णतः अमानवीय है। इसी तरह, उन्होंने प्रयोग प्रदर्शकों के मूल वेतन में ₹14500 की कटौती किए जाने को भी की भी घोर निंदा करते हुए इस आदेश को अविलंब वापस लेने की बिहार सरकार, कुलाधिपति एवं कुलपति से पुनः मांग की है।