बेहतर स्वास्थ्य की बुनियाद है स्तनपान, 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह
• “स्वस्थ पृथ्वी के लिए करें स्तनपान का समर्थन” है इस वर्ष की थीम
• 20 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर में कमी लाता है स्तनपान
• आशा एवं सेविका घर घर लोगों को करेंगे जागरूक
• डायरिया, निमोनिया व कुपोषण से बचाता है मां का दूध
मधुबनी/ 01 अगस्त : बच्चों के सर्वांगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास में स्तनपान की भूमिका अहम होती है। शिशु के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम आहार के साथ ही उसका मौलिक अधिकार भी है। स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए जिले में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। स्तनपान सप्ताह के दौरान आशा आंगनवाड़ी सेविका एवं एएनएम घर घर जाकर माताओं को स्तनपान करने के लिए जागरूक करेंगे. साथ ही इसके लाभ के बारे में जानकारी देंगे सामुदायिक कार्यकर्ता धात्री माताओं को भी स्तनपान के लाभ के बारे में बताएंगे।
गंभीर रोगों से बचाव:
माँ का दूध जहाँ शिशु को शारीरिक व मानसिक विकास प्रदान करता है, वहीँ उन्हें डायरिया, निमोनिया और कुपोषण जैसी जानलेवा बिमारियों से बचाता भी है। जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू कराने से शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक की कमी लायी जा सकती है। छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 प्रतिशत और 15 प्रतिशत कमी लायी जा सकती है। लैंसेट की 2015 की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है की अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा तीन पॉइंट अधिक होती है, जिन्हें माँ का दूध थोड़े समय के लिए मिलता है। इसके अलावा स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मौत को भी कम करता है।
जिले की स्तनपान की स्थिति :
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 के आँकड़ों के अनुसार बच्चे के जन्म के एक घण्टे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध मधुबनी में 32.6प्रतिशत बच्चे ही पी पाते हैं। जबकि मधुबनी में 63.2 प्रतिशत बच्चों को जन्म से लेकर 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है।
माता-पिता की जागरूकता है जरूरी:
स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए अभिभावकों का सशक्तिकरण एक गतिविधि नहीं है बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रसव पूर्व जांच के दौरान और शिशु के जन्म के समय अवश्य प्रदान की जानी चाहिए। माँ बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान तभी कराती हैं जब उसे एक सक्षम माहौल और पिता, परिवार के साथ समुदायों से आवश्यक सहयोग प्राप्त होता है।
शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी के लिए आवश्यक है:
• जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारम्भ किया जाए
• 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाए( ऊपर से पानी भी नहीं)
• शिशु के 6 माह पूर्ण होने के तुरंत बाद अनुपूरक आहार देना शुरू किया जाए एवं कम से कम शिशु के 2 वर्ष तक स्तनपान जारी रखा जाए
स्तनपान के विषय में आम जागरूकता है अहम :
जिला सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए स्तनपान बहुत जरूरी होता है। इस पर सामुदायिक जागरूकता के लिए जिले में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। सप्ताह के दौरान आंगनवाड़ी सेविका आशा एवं एएनएम घर घर जाकर माताओं को स्तनपान के लिए जागरूक करेंगे।