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मधुबनी बिहार – कोरोना प्रोटोकॉल के तहत छिड़काव करने को लेकर डीएमओ ने दिए निर्देश। अजित कुमार सिंह की रिपोर्ट

कालाजार उन्मूलन के लिए अभियान शुरू
– कोरोना प्रोटोकॉल के तहत छिड़काव करने को लेकर डीएमओ ने दिए निर्देश
– 15 सितंबर से दिसंबर माह तक चिन्हित गांव के प्रत्येक घरों में दवा का किया जाएगा छिड़काव
– 21 प्रखंडों के करीब 114 गांव में किया जाएगा छिड़काव

मधुबनी।
जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर सिंथेटिक पायराथाइड का छिड़काव मंगलवार से शुरू कर दिया है। इस क्रम में सभी 21 प्रखंडो में छिड़काव कार्य किया जा रहा है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एस पी सिंह ने बताया कि 15 सितम्बर से पूरे 8 दिसंबर माह तक चिन्हित करीब 114 गाँव मे छिड़काव के लिए आदेश दिया गया है। इसके तहत कर्मियों को रोज़ाना कम से कम 60-65 घरों में छिड़काव करने को कहा गया है। इसमे एक भी घर नहीं छूटे इसका ख्याल रखने को कहा गया है। इस काम में आशा, फैसिलिटेटर व प्रखंड स्तर के कर्मियों व अधिकारियों को शामिल किया गया है। इसके सही कार्यान्वयन को लेकर सबंधित कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। खासकर कोरोना को लेकर विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। इसके तहत कोरोना प्रोटोकॉल का अनुपालन करने की बात कर्मियों को बताई गई है।
डॉ. एस पी सिंहबताया कि कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने तथा कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आईआरएस) किया जाता है। यह छिड़काव घर के अंदर दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक होता है। कहा कि लोगों को प्रत्येक घरों में अवश्य छिड़काव करानी चाहिए, चाहे वह पूजा घर हो, बाथरूम हो या मवेशियों का स्थान। सभी जगहों पर छिड़काव कराने से कालाजार संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। छिड़काव के दो घण्टा बाद घर मे प्रवेश करनी चाहिये। साथ ही छिड़काव के छह महीने तक घर मे पेंटिग नहीं करानी चाहिए। इसे लेकर लोगों को जागरूक करने की ज़रूरत है।

सभी प्रखंड में किया जाएगा छिड़काव
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया कि जिले के सभी 21 प्रखंड के 114 गांव में 1,51380 घरों में 383474 कमरों में, 7,59,726 प्रभावित लोगों के बीच छिड़काव किया जाएगा जिसके लिए 6990 किलोग्राम सिंथेटिक पायराथाइड की आवश्यकता है।

ऐसे फैलता है कालाजार
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह ने कहा कि कालाजार एक संक्रमण बीमारी है जो परजीवी लिस्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है। यह एक वेक्टर जनित रोग भी है। इस बीमारी का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। कालाजार बीमारी परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलती है जो कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। बालू मक्खी यही संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाती है। इस रोग से ग्रस्त मरीज खासकर गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। इसी से इसका नाम कालाजार यानि काला बुखार पड़ा ।

– कालाजार के लक्षण
कालाजार के लक्षण की जानकारी देते हुए कहा कि रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली और होना और बाल झड़ना कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। इससे पीड़ित होने पर शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है।

– मास्क का प्रयोग करने की दी सलाह
जिला में छिड़काव काम में लगे कर्मियों को कोरोना संक्रमण के मद्देनजर विशेष सावधानी बरतने की सलाह डॉ. एस पी सिंह ने दी है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक घरों में छिड़काव के दौरान कर्मियों को मास्क पहनने की हिदायत दी गई है। इस दौरान संक्रमण से दूर रहने के लिए खास सावधानी बरतने की भी बात कही गई है। कर्मियों को संक्रमण से बचाव के लिए लगातार हाथ को सैनिटाइजर या साबुन साफ करने को कहा गया है। इनके लिए पर्याप्त मात्रा में मास्क व सेनिटाइजर कर्मियों को उपलब्ध करा दिए गए हैं, ताकि कोरोना संक्रमण का फैलाव ना हो सके।

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