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28 सितम्बर से ज़िला के 18 प्रखण्डों व शहरी क्षेत्र में एमडीए कार्यक्रम के तहत लोगों को दी जायेगी फाइलेरिया की दवा अजित कुमार सिंह की रिपोर्ट

28 सितम्बर से ज़िला के 18 प्रखण्डों व शहरी क्षेत्र में एमडीए कार्यक्रम के तहत लोगों को दी जायेगी फाइलेरिया की दवा

14 दिन तक संचालित इस अभियान में लगभग 87 लाख व्यक्तियों को दी जाएगी दवा

कोरोना संक्रमित मरीज़ भी लेंगे फाइलेरिया की दवा- डीभीडीओ डॉ जयप्रकाश

घर- घर जाकर आशा खिलाएगी डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा

दरभंगा. 25 सितम्बर. स्वास्थ्य विभाग के निर्देश से ज़िला के 18 प्रखण्डों व शहरी क्षेत्र में फाइलेरिया की रोकथाम को लेकर दवा सेवन अभियान चलाया जाएगा. यह अभियान 18 सितम्बर से 11 अक्टूबर तक चलाया जाएगा. 14 दिनों तक संचालित इस कार्यक्रम में आशा 18 प्रखण्डों व शहरी क्षेत्रों के सभी गांवों में घर घर जाकर दो साल से अधिक बच्चों को फाइलेरिया की दवा डीईसी एवं एल्बेंडाजोल अपने सामने खिलाएगी. इस अभियान के तहत 86.99 लाख लोगों को दवा खिलायी जाएगी. इसे लेकर तैयारी शुरू हो गयी है. आशा रोज़ाना 50 घरों में जाकर यह दवा खिलाएंगी.

इस अभियान के मद्देनजर शुक्रवार को सिविल सर्जन डॉ संजीव कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में बैठक की गई. बैठक में मौजूद डीभीडीओ डॉ जय प्रकाश महतो ने कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सावधानी से यह अभियान चलाने को उन्होंने कहा. विदित हो कि फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा 28 सितंबर से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम की शुरूआत भी की जायेगी. इस दौरान लोगों को डीईसी व अल्बेंडाजोल की गोली का सेवन स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा अपनी मौजूदगी में कराया जायेगा. डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की खुराक को फाइलेरिया की रोकथाम के लिए प्रभावी माना गया है. यह दवा कोरोना संक्रमित मरीज़ भी ले सकते है.

उम्र के अनुसार दी जाएगी डोज़:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ.
जयप्रकाश महतो ने बताया फाइलेरिया से प्रभावित लोगों की पहचान करने के साथ उन्हें डीईसी व अल्बेंडाजोल का सेवन कराया जाना है. बच्चों व बड़ों को उनकी उम्र के अनुसार दवा दी जायेगी. उन्होंने कहा कि दो साल से कम उम्र के बच्चे को दवा नहीं खिलायी जाएगी. दो से पांच साल के बच्चों को डीईसी की एक, छह से 14 तक को दो एवं 15 साल से अधिक उम्र के लोगों को तीन टेबलेट खिलानी है. साथ ही सभी को अल्बेंडाजोल की एक टेबलेट चबाकर खानी है। डॉ महतो ने बताया कि दवा लोगों को कर्मियों के सामने खानी है. खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है. उन्होंने बताया लिंफेटिक फाइलेरियासिस या हाथीपाव रोग की पहचान होने पर तुरंत इलाज होना चाहिए. मच्छर के काटने से क्यूलेक्स परजीवी शरीर में चला जाता है और लंबे समय के बाद संक्रमण का पता चलता है.

फाइलेरिया के लक्षण:

पैरों व हाथों में सूजन व दर्द होने पर फाइलेरिया की जांच अवश्य करायी जानी चाहिए. पुरुषों के अंडकोष में लगातार दर्द के साथ सूजन रहना फाइलेरिया के लक्षण होते हैं. फाइलेरिया संक्रमण व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है.

आसपास साफ- सफाई ज़रूरी
डॉ. महतो ने बताया फाइलेरिया रोग मच्छर के काटने से होता है. इसलिए घर व आसपास की जगहों की अच्छी तरह साफ सफाई करें. घर व बाहर जलजमाव नहीं होने दें. समय समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें. पूरी अस्तीन वाले कपड़े पहनें. कमरे में नमी नहीं हो और उसे अच्छी तरह सूखा रखें. सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल अवश्य करें.

बुखार या सिरदर्द होने पर घबरायें नहीं

डॉ. महतो ने कहा कि फाइलेरिया से बचाव के लिए डीईसी खुराक जरूरी है. डीईसी खुराक फाइलेरिया परजीवी को मारने का काम करते हैं. दवा खाने के बाद फाइलेरिया के कीटाणु मरने लगते हैं. रोगी को हल्का बुखार, सिरदर्द या उल्टी की शिकायत होती है. इससे घबराना नहीं चाहिए. ये कुछ समय बाद स्वत: समाप्त हो जाते हैं. खुराक खाने से कोई परेशानी या एलर्जी हो तो स्वास्थ्य केंद्र संपर्क करें.

पैरों की देखभाल ज़रूरी
हाथीपांव पीड़ित लोगों को फाइलेरिया की दवा का सेवन के साथ पैरों की देखभाल अच्छी तरह करना चाहिए. ऐसे लोग अपने पैरों की साबुन से रोजाना सफाई करें. इसके बाद मुलायम कपड़े से पोंछ लें. ध्यान रखें कि पैरों की सफाई के लिए खुरदरे वस्तु जैसे ब्रश या खपड़ा आदि का इस्तेमाल नहीं करें. इससे पैरों पर जख्म बन सकता है. पैर को आरामदायक स्थिति में रखें. ऐसे लोगों के लिए पैदल चलना लाभदायक है.

इन्हें नहीं दी जायेगी दवा:
• गर्भवती महिलाएं
• दो साल से कम उम्र के बच्चे
• गंभीर रोगों से ग्रसित लोग

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