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मधुबनी परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत जूम ऐप के माध्यम से सिविल सर्जन ने की समीक्षात्मक बैठक। संवाददाता अजित कुमार सिंह

परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत जूम ऐप के माध्यम से सिविल सर्जन ने की समीक्षात्मक बैठक

• परिवार नियोजन के साधन आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, पीपीएस को लेकर समीक्षा

• लक्ष्य से पीछे रहने वाले प्रखंड को तेजी लाने के निर्देश

॰ ईपीआई कलेक्ट मोबाइल एप्लीकेशन पर दिया गया प्रशिक्षण

जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से सिविल सर्जन कार्यालय में समीक्षात्मक बैठक की गई। बैठक में सभी अनुमंडलीय चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड चिकित्सा प्रभारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक तथा जपाईगो के प्रतिनिधि उपस्थित थे। बैठक में परिवार नियोजन कार्यक्रम से संबंधित जानकारी दी गई। सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया कोरोना संक्रमण के दौर में परिवार नियोजन सेवाएं प्रभावित हुई जिसे अब पूर्व की भांति चालू कर दिया गया है जानकारी के अनुसार कुछ प्रखंडों में अभी तक परिवार नियोजन के सेवा शुरू नहीं की गई है जिसे सिविल सर्जन ने निर्देश दिया कि सभी प्रखंडों में पूर्व की भांति सेवा को चालू किया जाए सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया प्रशिक्षित एएनएम को फील्ड में ना भेज कर लेबर रूम में पदस्थापित किया जाए। ताकि लक्ष्य की प्राप्ति हो सके। पीपीआईयूसीडी, आईयूसीडी को लक्ष्य के अनुरूप हासिल करने के लिए सिविल सर्जन में सभी चिकित्सा प्रभारी को निर्देश दिया पीपीएस में लखनौर, सदर अस्पताल बेहतर कार्य कर रहे हैं परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, जैसी सेवाएं प्रदान की जाती है इस बैठक में जपाइगो के द्वारा तकीनीकी सहयोग दिया गया।

एसीएमओ डॉ सुनील कुमार ने कहा कि गर्भपात के पश्चात प्रत्येक महिला को उपलब्ध परिवार नियोजन साधनों में उसकी इच्छा अनुसार लगभग सभी प्रकार के साधन प्रदान किया जा सकता है। कुछ साधनों के उपयोग में प्रशिक्षित सेवा प्रदाता की विशेष तकनीकी सहायता की आवश्यकता होती है। आईयूसीडी पीएआईयूसीडी प्रशिक्षित सेवा प्रदाता ही लगा सकता है।

ईपीआई कलेक्ट मोबाइल एप्लीकेशन क्या है
डॉ सुनील कुमार ने बताया ऑपरेशन के पहले बीएचएम तथा बीसीएम को यह सुनिश्चित करना होता है कि ऑपरेशन से संबंधित सभी प्रकार के दवा औजार, किट उपलब्ध हैं चेक लिस्ट की हार्ड कॉपी भरनी होती थी जिसे अब मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक या प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक ईपीआई कलेक्ट मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से भरेंगे. इससे रियल टाइम डाटा भरा जा सकेगा

परिवार नियोजन के लिए आइयूसीडी सबसे उपयुक्त माध्यम:

परिवार नियोजन के लिए अपनाए जाने वाली विधि पीपीआईयूसीडी की जानकारी दी गई। परिवार नियोजन के लिए आइयूसीडी सबसे उपयुक्त माध्यम है। चिकित्सक व कर्मी महिलाओं को दो बच्चों के बीच दो या दो से अधिक वर्ष के अंतर के लिए आईयूसीडी का प्रयोग करने की जानकारी दें। प्रशिक्षण में कर्मियों को इससे होने वाले लाभ व लगाने के दौराने बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बताया गया। आईयूसीडी लगाने के बाद महिलाओं के शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। महिलाएं चीर फाड़ के नाम पर बंध्याकरण से डरती हैं, उनके लिए आईयूसीडी बेहतर विकल्प है।

प्रसव के 48 घण्टे के अंदर लगाए आईयूसीडी:
डॉ सुनील कुमार ने बताया प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी, गर्भ समापन के बाद पीएआईयूसीडी व कभी भी आईयूसीडी को किसी सरकारी अस्पताल में लगवाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से जहां अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है तो इसके इस्तेमाल से सेहत को कोई नुकसान नहीं है।

क्या है पीपीआईयूसीडी ?
पोस्ट पार्टम इंट्रा यूटाराइन कांट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी)। यह उस गर्भ निरोधक विधि का  नाम है  जिसके  जरिए बच्चों में सुरक्षित अंतर  रखने में मदद  मिलती है। प्रसव के तुरंत बाद अपनाई जाने  वाली  यह विधि सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपलब्ध है। प्रसव के बाद अस्पताल से छ़ुट्टी मिलने से पहले ही यह डिवाइस ( कॉपर टी) लगवाई जा सकती है। इसके अलावा माहवारी या गर्भपात के बाद भी डाक्टर की  सलाह से इसे  लगवाया जा सकता है। एक बार लगवाने के बाद  इसका असर पांच से दस वर्षों तक रहता है। यह बच्चों में अंतर रखने की लंबी अवधि की एक विधि है। इसमें गर्भाशय में एक छोटा उपकरण लगाया जाता है।

केवल प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी लगा सकता है आईयूसीडी:
यह दो प्रकार के होते हैं। कॉपर आईयूसीडी 380ए,  इसका  असर दस वर्षों तक रहता है। दूसरी कॉपर  आईयूसीडी  375 इसका असर  पांच वर्षों तक रहता है। ध्यान रहे, केवल प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी द्वारा ही एक छोटी सी जांच के बाद इसे लगवाया जा सकता है। जब भी दंपत्ति बच्चा चाहें, अस्पताल जाकर इसे निकलवा सकते हैं।

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