5 दिवसीय अंतर्रार्ष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण की हुई शुरुआत
– जिलाधिकारी
ने बच्चों को ड्रॉप पिलाकर किया अभियान का शुभारंभ
– एएनएम, आशा व आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा पिलाई जाएगी दवा
– 6.84 लाख से अधिक बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने का है लक्ष्य
– 5 वर्ष तक के बच्चों को जरूर दें “दो बूंद जिंदगी की”
मधुबनी
बच्चों में विकलांगता होने के प्रमुख लक्षणों में से एक पोलियो को जड़ से खत्म करने के लिए जिले में अंतर्राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत जिलाधिकारी निलेश रामचंद्र देवरे ने सदर अस्पताल में शिशुओं को पोलियो ड्रॉप पिलाकर की. इस दौरान जिलाधिकारीने बताया कि पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जो किसी व्यक्ति के शरीर को लकवाग्रस्त कर देता है. चूंकि छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है इसलिए उसे इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है. इसे होने से पहले ही खत्म कर देने के लिए 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जा रही है. उन्होंने जिले के सभी परिजनों से अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्हें पोलियो की दवा पिलाकर अभियान को सफल बनाने में जिला स्वास्थ्य विभाग की पूरी तरह सहयोग करने की अपील करता की. अभियान के उद्घाटन में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसके विश्वकर्मा, सीडीओ डॉ. आर.के सिंह,आईसीडीएस डीपीओ डॉ.रश्मि वर्मा,एसीएमओ डॉ. सुनील कुमार, इंचार्ज अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन,जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास, अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद, डब्ल्यूएचओ एसएमओ डॉ. आदर्श वर्गीज यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा,चंचल कुमार आदि उपस्थित रहे.
हर बच्चा पिये दवा इसलिए टीम है पूरी तरह तैयार :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एस के विश्वकर्मा ने बताया पल्स पोलियो अभियान के तहत 29 नवंबर से 5 दिनों तक चलने वाले चक्र में जिले के 8,13,443 घरों को लक्षित किया गया है तथा 6,84,890 बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाना सबसे लक्ष्य है। तथा अभियान के लिए 30,066 नए बच्चों को भी चिन्हित किया गया है. अभियान के सफलता के लिए जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा डोर टू डोर टीम-1954, ट्रांजिट टीम 362, मोबाइल टीम-116, सुपरवाइजर- 708, का गठन किया गया है। प्रत्येक दल में एक आशा और एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं जो घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की दवा पिलएंगी, दवा पिलाने के बाद बच्चों के और उनके माता -पिता का नाम, गृह संख्या आदि फार्म में भर कर अपने केंद्र में जमा करवाएँगी। उन्होंने बताया इन दलों के पर्यवेक्षण के लिए 708 सुपरवाइजर भी नियुक्त किए गये हैं। सभी सदस्यों को कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मास्क, सैनिटाइजर आदि उपलव्ध करा दिये गये हैं।
खतरनाक लकवाग्रस्त बीमारी है पोलियो :
डीआईओ डॉ. विश्वकर्मा ने बताया कि पोलियो एक खतरनाक लकवाग्रस्त वायरस जनित रोग है. बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उसे पोलियो का खतरा ज्यादा है.यह बीमारी विशेष रूप से रीढ़ के हिस्सों व मस्तिष्क को ज्यादा नुकसान पहुँचता है. इससे बचाव के लिए लोगों को अपने बच्चों को पोलियो की दवा जरूर पिलानी चाहिए. पोलियो ड्रॉप बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाए रखता है. उन्होंने बताया कि दक्षिण-पूर्व एशिया समेत भारत को 2014 से ही पोलियो मुक्त घोषित किया गया है, पर आस-पड़ोस के देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि देश अभी भी पोलियो से ग्रसित है. वहां से आने वाले लोगों द्वारा यह भारत में भी फैल सकता है. इसलिए हमें सावधान रहना जरूरी है जिसके लिए अभियान चलाया जा रहा है.
कार्यक्रम की शत-प्रतिशत सफलता के लिए आंगनवाड़ी सेविका करेंगी सहयोग:
आईसीडीएस डीपीओ डॉ. रश्मि वर्मा ने बताया पोलियो अभियान की सफलता के लिएआंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है जो 3 दिसंबर तक डोर टू डोर भ्रमण कर 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाएंगे इसके लिए सभी सीडीपीओ तथा एलएस को निर्देश दिया गया है। साथ ही आंगनवाड़ी सेविका, महिला पर्यवेक्षक को संध्याकालीन बैठक में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है।आईसीडीएस के तरफ से किसी भी तरह समस्या होती है तो उसका तुरंत निष्पादन करना सूचित करेंगे ताकि पोलियो अभियान में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो।
कोविड संक्रमण से बचाव का रखा जाएगा ध्यान :
यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया कि पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान के दौरान कोविड संक्रमण से बचाव का पूरा ध्यान रखा जाएगा. कर्मियों द्वारा दवा पिलाने के समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा. संक्रमण को ध्यान में रखते हुए बच्चों को ड्रॉप पिलाने के बाद हाथ में मार्कर से किसी तरह का निशान नहीं लगाया जाएगा. स्वास्थ्य कर्मियों को पूरी तरह से मास्क व ग्लव्स का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया गया है.