दरभंगा अजित कुमार सिंह
शोध कार्य डाटा विश्लेषण के लिए एस०पी०एस०एस का उपयोग आवश्यक: कुलपति
(सी०एम० कॉलेज, दरभंगा में तीन दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ)
दरभंगा – आधुनिक युग में डाटा आधारित शोध की विश्वनीयता बढ़ गई है और पूरे विश्व में एस०पी०एस०एस शोध तकनीक प्रचलित है लेकिन भारत के विश्वविद्यालय में इस तरह के शोध तकनीकी कमी है जिसके कारण विश्व के सर्वोत्तम 300 विश्वविद्यालयों में हमारे देश का एक भी विश्वविद्यालय शामिल नहीं है। इसलिए इस तकनीक पर आधारित तीन दिवसीय कार्यशाला शोधार्थी के लिए नई राह दिखाएगा। उक्त बातें प्रोफेसर एस०के० सिंह कुलपति ललित नारायण मिथिला विस्वविद्यालय, दरभंगा ने कहीं। प्रोफेसर सिंह स्थानीय सी०एम० कॉलेज में तीन दिवसीय कार्यशाला विषय “एप्लीकेशन ऑफ एस०पी०एस०एस फॉर डाटा एनालिसिस इन रिसर्च” के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। प्रोफ़ेसर सिंह ने कहा कि आज कंप्यूटर प्रोग्राम के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में शोध कार्य को विश्व में विश्वसनीय बनाया गया है। शोध कार्य की गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित इस प्रकार की कार्यशाला समय की मांग है और यह कोशिश जारी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाजशास्त्र की गहन जानकारी, व्याख्यात्मक विश्लेषण और सांख्यिकी से संबंधित शोध में एस०पी०एस०एस रामबाण की हैसियत रखता है। उन्होंने कहा कि मिथिला विश्वविद्यालय में सी०एम० कॉलेज ने पहल की है। अर्थशास्त्र विभाग के द्वारा यह कार्यशाला पूरे विश्वविद्यालय के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि देश में 40 हज़ार कॉलेज हैं यदि एक हज़ार कॉलेज में भी शोध कार्य के लिए गंभीर प्रयास शुरू हो जाए तो देश में विश्वविद्यालय के शोध कार्य के स्तर में बड़ा परिवर्तन दिखाई देगा। इस अवसर पर प्रोफेसर अनिल कुमार झा, संकाय अध्यक्ष समाज विज्ञान, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने कहा कि एस०पी०एस०एस तकनीक शोध कार्य को आसान भी करती है और मूल तथ्यों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने इस विषय पर कार्यशाला आयोजित करने पर कॉलेज परिवार को साधुवाद दिया और अधिक से अधिक शिक्षकों को लाभ उठाने की आवश्यकता है । डॉक्टर मुश्ताक अहमद, प्रधानाचार्य ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में केवल पाठ्यक्रम को पूरा करना छात्र-छात्राओं को उपाधि दिलाने में सहायक होता है लेकिन नई तकनीक से उन्हें अवगत कराना उनके भविष्य निर्माण में मील का पत्थर साबित होता है। डॉ० अहमद ने कहा कि आज पूरे विश्व में नए ज्ञान का महत्व बढ़ा है। शोध के क्षेत्र में भी नहीं तकनीक अपनाई जा रही है। एस०पी०एस०एस शोध कार्य के डाटा निर्माण में अत्याधिक सहायक है। डॉ० अहमद ने कहा कि शोध को बढ़ावा देने के लिए किया कार्यशाला आयोजित हुई है। प्रोफेसर अवनी रंजन सिंह, अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग ने कार्यशाला के प्रारुप पर प्रकाश डाला और इसके महत्व को देखते हुए देश के जाने-माने संसाधन पुरुष को बुलाने की बात कही। ज्ञातव्य हो कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला में 40 प्रतिभागी शामिल हैं। रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉक्टर संध्या रानी महापात्रो, डॉक्टर अविरल पांडे, डॉ० आतिश कुमार दास, डॉ यादवेंद्र सिंह, डॉ अमृत कुमार झा, डॉ० रीना कुमारी आदि शामिल हैं। प्रारंभ में अतिथियों को पुष्पगुच्छ, शिशु पौधा और मोमेंटो द्वारा सम्मानित किया गया। मंच संचालन प्रोफेसर विकास कुमार ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ रीना कुमारी ने किया। आज उद्घाटन के बाद 3 तकनीकी सत्र कंप्यूटर लैब में आयोजित हुए।
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