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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में व्यापक शैक्षणिक अराजकता भ्रष्टाचार के खिलाफ दमदार प्रदर्शन

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता व भ्रष्टाचार के खिलाफ दमदार प्रदर्शन

प्रदर्शन में विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं, समाजसेवियों, अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों व शिक्षा प्रेमियों ने भागीदारी दी।
विश्वविद्यालय बचाओ संघर्ष समिति के तत्वावधान में मंगलवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा परिसर स्थित धरना स्थल पर कांग्रेस नेता राम नारायण झा की अध्यक्षता में विशाल धरना का आयोजन किया गया। धरना का संचालन भाकपा नेता राजीव चौधरी ने किया।
इस अवसर पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर कुलपति प्रो सुरेन्द्र कुमार सिंह को तत्काल वित्तीय अधिकार पर रोक लगाते हुए विश्वविद्यालय में नीतिगत निर्णय लेने के अधिकार से मुक्त करने सहित विश्वविद्यालय के दागी पदाधिकारियों को अविलंब हटाने की मांग कुलाधिपति से करने का निर्णय लिया गया।
इस मौके पर सीनेट सदस्य डॉ रामसुभग चौधरी ने दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि फर्जी भुगतान, छपाई में घोटाला, खरीददारी में गोलमाल तथा बहाली में फर्जीवाड़ा यहां का दैनिक नियम बना हुआ है। डॉ बुचरू पासवान ने स्कूल गुरु की चर्चा करते हुए कहा कि अभिषद् में बार-बार हंगामेदार बहस के बावजूद उच्चाधिकारियों की मिलीभगत के कारण यहां कोई कार्रवाई नहीं होती है।
विश्वविद्यालय में शैक्षणिक अराजकता की चर्चा करते हुए जदयू नेता श्याम किशोर राम ने कहा कि तीन-तीन विधायकों के साथ अभिषद सदस्यों की  समिति की अनुशंसा पर अभिषद् सदस्यों ने कुलपति को एग्रीमेंट रद्द करने के लिए अधिकृत किया। लेकिन इस पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
विश्वविद्यालय में शैक्षणिक अराजकता की चर्चा करते हुए सीपीएम नेता केवल ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय में 43 अंगीभूत महाविद्यालय, 23 स्नात्तकोत्तर विभाग तथा करीब 37 संबद्ध महाविद्यालय हैं। जिसमें शिक्षकों का 80 प्रतिशत पद खाली है तो अध्ययन-अध्यापन  कैसे संभव हो सकता है। साहित्यकार डाॅ महेन्द्र नारायण राम ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय पढ़ाई के बदले रिजल्ट देने का कारखाना बनकर रह गया है। भाजपा नेता पारसनाथ चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय के आधा दर्जन पदाधिकारियों के खिलाफ गोलमाल के आरोप में कमिटियां गठित है।  कुलपति का बार-बार ध्यान आकृष्ट कराने के बाबजूद कोई कार्रवाई नहीं करते हैं।
जदयू नेता प्रो जीवकांत मिश्र ने कुलपति पर राग, द्वेष एवं बदले की भावना से पद के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि डॉ. बैद्यनाथ चौधरी ने 29 अगस्त को अभिषद् की बैठक में भ्रष्ट पदाधिकारियों के सवाल पर कुलपति के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया था। साथ ही, इससे पूर्व 20 जुलाई एवं तीन अगस्त की बैठक में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय को भ्रष्टाचार की गंगोत्री कहा था। इतना हीं नहीं, वे कुलपति के सचिव की फर्जी बहाली की बहस में भी भाग लिए थे। जिसके परिणाम स्वरूप  कुपित होकर कुलपति ने दागी पदाधिकारी डॉ मोहन मिश्र को हथकंडा बनाकर डॉ बैद्यनाथ चौधरी के खिलाफ बदले की भावना से नियम परिनियम के विरुद्ध काम करने लगे।
डाॅ हरिनारायण सिंह ने कुलपति से डॉ चौधरी के खिलाफ चल रहे कुचक्रों को तात्कालिक प्रभाव से बंद करने का आग्रह किया। और ऐसा नहीं होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी। भाजपा नेता रंगनाथ ठाकुर ने संबद्ध महाविद्यालयों को घाटा अनुदानित महाविद्यालयों में परिवर्तित करने हेतु राज्य सरकार को पत्र लिखने सहित प्रश्न पत्र एवं अन्य छपाई में कमीशन खोरी, प्रायोगिक परीक्षा में गोरखधंधा, विश्वविद्यालय में कंपनी राज के बोल बाला होने का आरोप लगाया।
इससे पूर्व धरना स्थल पर कुलपति के प्रतिनिधि के तौर पर आन्दोलनकारियों से मिलने आए विश्वविद्यालय के कुलानुशासन डॉ अजीत कुमार चौधरी को आंदोलनकारियों की ओर से एक प्रतिवेदन हस्तगत कराया गया। धरना स्थल पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करने वाले अन्य लोगों में भाकपा के राजीव कुमार चौधरी, चंद्रशेखरझा बूढ़ा भाई , जदयू नेता तरुण कुमार मंडल, भाजपा नगर उपाध्यक्ष विनोद कुमार झा, विजय कुमार झा, लक्ष्मीकांत मिश्र, अमरेंद्र मिश्र, मनोज कांत चौधरी, कमलेश झा, अनिल कुमार झा, रियाज अली खां, परमानंद झा, अरुण कुमार झा, अखिल भारतीय मिथिला संघ के अध्यक्ष विनय कुमार झा ‘संतोष’, सीपीआई नेता ललन चौधरी, अविनाश कुमार ठाकुर, किसान सभा के जिला अध्यक्ष सुधीर कांत मिश्रा आदि शामिल थे।

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