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Darbhanga शिक्षा के बिना किसी भी क्षेत्र में मुसलमानों का विकास संभव नहीं: नज़रे आलम

 

शिक्षा के बिना किसी भी क्षेत्र में मुसलमानों का विकास संभव नहीं: नज़रे आलम

अदलपुर गांव में शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों ने तालीमी बेदारी कान्फ्रेंस को किया संबोधित

दरभंगा- पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार मुस्लिम बेदारी कारवां और आरिफा हेल्प सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में दरभंगा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के अदलपुर गांव में एक दिवसीय तालीमी बेदारी कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया। कान्फ्रेंस की अध्यक्षता मास्टर निसार अहमद ने की और मुख्य अतिथि के रुप में बेदारी कारवां के अध्यक्ष नज़रे आलम उपस्थित हुए। कान्फ्रेंस में मौलाना समीउल्लाह नदवी और मौलाना आज़ाद साहिर क़ासमी ने विशेष वक्ता के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन मौलाना असद रशीद नदवी ने किया। कार्यक्रम के संयोजक मुहम्मद जाहिद हुसैन ने सभी अतिथियों का शॉल और बुके देकर स्वागत किया। कान्फ्रेंस में तीन मुख्य विषय शिक्षा, दहेज और रोजगार पर चर्चा की गई। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बेदारी कारवां के अध्यक्ष नज़रे आलम ने कहा कि शिक्षा के बिना किसी भी क्षेत्र में मुसलमानों का विकास असंभव है। उन्होंने कहा कि कुरआन से हमारी दूरी इस बात का प्रमाण है कि कथित वसीम रिजवी जैसा गंदा आदमी पाक पवित्र मुकद्दस किताब पर जहर उगलता है और तब हम जागते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, जलसों, सम्मेलनों और बैठकों के माध्यम से आधुनिक शिक्षा पर लोगों द्वारा इतना जोर दिया गया है कि लोग अब धार्मिक शिक्षा से दूर हो रहे हैं। नज़रे आलम ने यह भी कहा कि बेशक हमें अपने बच्चों को समय को देखते हुए आधुनिक शिक्षा देनी चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा से दूर रखना चाहिए। याद रखें कि यदि हम अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा से दूर कर देते हैं तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ बर्बाद हो जाएँगी, इसलिए यह ज़रूरी है कि हम अपने समाज की बेहतरी, बच्चों के बेहतर भविष्य, मुसलमानों के अधिकारों और राजनीतिक स्तर.मुसलमानों की मजबूती और सरकारी संस्थानों में नौकरी हेतु हमें.अपने बच्चों को आधुनिक और धार्मिक शिक्षा देनी ही होगी ताकि हम शिक्षा के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ रची जा रही साजिश को विफल कर सकें। दहेज के खिलाफ बोलते हुए मौलाना आजाद साहिर कासमी ने कहा कि इस्लाम द्वारा दहेज को हराम घोषित किया गया है, इसलिए मुसलमानों को विशेष रूप से हमारे युवाओं को इस हराम काम से बचना चाहिए। दहेज जैसी कुरीति का नतीजा है कि आयशा नाम की लड़की ने आत्महत्या कर ली। हजारों बेटियों की शादी दहेज के लिए नहीं हो रही है। अगर हम दहेज प्रथा को समाज से समाप्त नहीं करेंगे तो हमारी बेटियां आत्महत्या करना जारी रखेंगी। वहीं मौलाना समीउल्लाह नदवी ने शिक्षा, दहेज और रोजगार के विषय पर बोलते हुए कहा कि एक बेहतर समाज, समृद्ध समाज तभी संभव है जब हमारे युवाओं में धर्म और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा हो। उन्होंने कहा कि जिस माहौल में आज मुस्लिम समाज रह रहा है, वहां शिक्षा का बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे युवाओं को राजनीति में अधिक भाग लेना चाहिए क्योंकि राजनीतिक चेतना के बिना हम किसी भी नेता या सरकार से अपने अधिकार और अपने समाज के अधिकारों के लिए मांग नहीं कर सकते हैं। उन्होंने ने कहा के यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी नई पीढ़ियों को शिक्षा से जोड़ें और उन्हें दहेज के अभिशाप से दूर रखें। रोजगार के बारे में उन्होंने कहा कि इन दिनों बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ी है इसी के मद्देनजर आरिफा हेल्प सेंटर अदलपुर दस से पंद्रह हजार तक महाना पर लोगों को रोजगार से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। आरिफा हेल्प सेंटर के प्रमुख जाहिद हुसैन से संपर्क कर लोगों को बेरोजगारी से छुटकारा मिल सकता है। कान्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कान्फ्रेंस में आए सभी मेहमानों का धन्यवाद किया और कहा कि प्रत्येक गाँव और पड़ोस में इस तरह का कान्फ्रेंस आयोजित करना आवश्यक है ताकि मुस्लिम युवाओं में शैक्षणिक जागरूकता आ सके। इस कान्फ्रेंस में MITMS के मैनेजर तनवीर आलम, एडवोकेट सफी-उर-रहमान राईन, मास्टर आबिद हुसैन, मौलाना जफर केफी, असजद बाबू, अब्दुल कुद्दूस सागर, आफताब आलम सहित सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और कान्फ्रेंस को सफल बनाया।

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