कोरोना काल या सामान्य स्थिति मे छीकने के समय बरतें सावधानी
गलत तरीके से छीकने से वायरस फैलने की सम्भावना
सही तरीके से छीकने से कई बीमारियों से मिल सकता छुटकारा

दरभंगा कोरोना काल में जीवनशैली व दिनचर्या में बदलाव आया है। अब लोग स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग हो गए हैं है। इस कड़ी में एक सभ्य नागरिक बनाने के लिए हमें ठीक से हाथों को साफ करना, दांतों को ब्रश करना या भोजन को ठीक से चबाना सिखाया जाता है। लेकिन बहुत ही कम लोगों को इसका असर होता है कि ठीक से छींका कैसे किया जाए और पिछले डेढ़ साल में हम देख ही चुके हैं कि सही तरीके से न छींकने से किस तरह से कोरोना महामारी के संक्रमण को फैलाया गया है| इसलिए बहुत जरूरी है कि आज की तारीख में हमें छींक के बारे में सही जानकारी हो, साथ ही हमें पता हो कि छींकने का सही तरीका क्या होता है। छींकते वक्त किन चीजों का ध्यान रखकर हम अपने साथ न जाने कितने ही लोगों की सेहत का ध्यान रख सकते हैं, उन्हें सुरक्षित रख सकते हैं।
क्यों आती है छींक:
सदर पीएचसी प्रभारी डॉ उमाशंकर प्रसाद ने बताया छींक इसलिए आती है क्योंकि यह शरीर की प्रतिक्रियात्मक क्रिया है। नाक के भीतर किसी भी प्रकार की जलन या उत्तेजना होने पर शरीर खास किस्म का केमिकल सिग्नल मस्तिष्क को भेजता है। इसके परिणामस्वरूप हवा का तीव्र निष्कासन नाक और मुंह द्वारा होता है जिसकी गति 30 मील प्रति घंटा भी हो सकती है।
यह है सही तरीका:
कोरोना संक्रमण के मद्देनजर छीकने के दौरान और अधिक सावधानी ज़रूरत है। ताकि किसी प्रकार के संक्रमण की सम्भावना को कम किया जा सके। डॉ प्रसाद ने कहा किसी टिश्यू में छींक कर उसे तुरंत फेंक दें। टिश्यू न हो तो छींकते वक्त नाक को कोहनी से ढक से ढंक लें। यदि लम्बी बांह का शर्ट आदि पहना है तो और भी अच्छा। इसका फायदा है कि आपकी कोहनी से कीटाणु अन्य जगह नहीं फैल पाएंगे और कपड़े के कारण कीटाणु वातावरण में भी नहीं फैल पाएंगे। लेकिन, हर छींक के बाद हाथ धोना न भूलें।
न रोकें छींक:
यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है | खासकर उनके लिए जिन्हें कान में संक्रमण या रक्तचाप की समस्या है। इससे नाक से रक्त आना, सिरदर्द, चक्कर आना, कान में कोई संक्रमण, साइसाइटिस जैसी परेशानियां हो सकती हैं। एक मामले में ब्रिटिश नागरिक को नाक और मुंह दबाकर छींक रोकने के कारण अपनी आवाज खोनी पड़ी थी।
धूप के कारण छींक:
कई लोगों को तेज धूप में देखते ही छींक आने लगती है। हालांकि यह कोई बीमारी नहीं है। इसे फोटिक स्नीज रिफ्लेक्स या सोलर स्नीज रिफ्लेक्स कहा जाता है। अनुमानित तौर पर 10 से 35 प्रतिशत जनसंख्या इस रिफ्लेक्स से प्रभावित है।
क्यों न छींके हाथों पर:
प्रत्येक छींक के साथ विभिन्न प्रकार के वायरस, बैक्टीरिया और अन्य विषाणु फैलते हैं जिनका दायरा 20 फीट तक हो सकता है। ये रोगजनक कीटाणु आपके हाथों द्वारा दरवाजे के हैंडल, डेस्क, फोन जैसी अन्य वस्तुओं पर आसानी से जम जाते हैं और कई घंटों तक इन पर कई घंटाें तक रह सकते हैं। छींकने के बाद किसी से हाथ मिलाना भी ठीक नहीं है। छींककर हम बीमारियों को फैलाते ही हैं।
सदैव कोरोना प्रोटोकॉल का करें अनुपालन:
कोरोना से बचाव के लिए उचित व्यवहार के साथ ही विभागीय प्रोटोकॉल का अनुपालन करें। मास्क पहनें पहने। हाथ को लगातार साबुन से साफ करें। बिना ज़रूरत के बाहर न निकलें निकले। अतिआवश्यक होने की स्थिति में ही बाहर निकलें निकले। भीड़ भाड़ में न जाएं जाए। लाकडाउन छुटने के बावजूद सतर्कता ज़रूरी है। कोरोना का खतरा बरकरार है।
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