कोरोना काल मे सेल्फ मैनेजमेंट व मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान रख बनें विजेता: मनोचिकित्सक डॉ उपेन्द्र पासवान
अफवाहों को दरकिनार कर कोरोना को दें मात, रहें स्वस्थ्य

दरभंगा कोरोना महामारी की वजह से लोग भारत के 22 मार्च 2020 से लेकर अब तक करीब-करीब अपने घरों में कैद हैं.बाजार में निकलना मना है, तो सिनेमा हॉल और शॉपिंग मॉल बंद हैं.ज्यादातर कामकाजी लोग घर से ही काम कर रहे हैं. महीनों से घर में बैठे-बैठे ज्यादातर लोग बेचैनी, घबराहट और तनाव की चपेट में आ रहे हैं. कई लोगों का मानसिक संतुलन भी बिगड़ने लगा है. ऐसी परिस्थिति में लोगों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे में डीएमसीएच के मनोचिकित्सक डॉ उपेन्द्र पासवान ने जानकारी देते हुए बताया कोरोना संक्रमण के कारण अधिकांश लोग अपने घरों में ही रहें। इस दौरान परिवार के सभी सदस्यों का दायित्व एक दूसरे के प्रति बढ़ जाता है। सदा एक दूसरे के निकट रहकर संक्रमण काल में सुख की अनुभूति कर सकते हैं है। इस समय बुजुर्गों का खास ध्यान रखने की ज़रूरत है। सभी को विश्वास दिलाना ज़रूरी है कि अब धीरे धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। कोरोना प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए कार्यों के निष्पादन से संक्रमण की संभावना का खतरा कम हो जाती ता है।
घबराहट, बेचैनी और तनाव के कारण को जानें जाने:
डॉ पासवान कहते हैं कोरोना की दूसरी लहर का दौर पहली लहर के मुकाबले काफी कठिन गुजरा दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या लाख को पार कर गई। करीब-करीब हर परिवार संक्रमण का शिकार हुआ. कई लोगों के करीबियों की जानें भी गईं। चारों तरफ से नकारात्मक खबरें ही देखने-सुनने को मिलती रहीं, जिसका असर आदमी के दिमाग पर पड़ता है और आसपास का वातावरण भी प्रभावित होता है।
ऐसे में भय, बेचैनी, घबराहट और तनाव का होना लाजिमी है। अब अगर अपनी बेचैनी और घबराहट का कोई प्रदर्शन कर देता है, तो वह कमजोर व्यक्ति माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इस समय धैर्य रखने वाले विजेता माने जाएंगे। कहा इस दौरान किसी प्रकार के अफवाहों पर ध्यान न दें। इससे मन में मे नकारात्मक विचार आने लगते हैं है।
तनाव को ऐसे पहचानें
इस सवाल के जवाब में डॉ उपेन्द्र कहते हैं इसके लिए दो शब्दों का उयोग होता है, सेल्फ मैनेजमेंट और मानसिक स्वास्थ्य का ज्ञान। अगर आप तनाव में हैं, तो उसे पहचानना आसान है। तनाव में आने पर आदमी म के व्यवहार में बदलाव आ जाता है। जो व्यक्ति तनाव में आने के पूर्व लोगों से खूब हिलमिलकर बातें करता था, वह बात करना बंद कर देता है और एक कमरे में अकेला रहना ज्यादा पसंद करने लगता है.| वह बात-बात पर चिड़चिड़ा जाता है, गुस्सा करने लगता है, उदास हो जाता है, घबराहट महसूस करने लगता है, डरता है या हमेशा मन में बुरा ख्याल रखता है। ऐसा होने पर भूख और नींद में कमी आ जाती है, जिसे रेड फ्लेग्ज़ कहते हैं। ऐसा लक्षण दिखते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
तनाव दूर करने के ये हैं है उपाय
डॉ पासवान ने बताया इसे दूर करने का सबसे सरल उपाय है। अगर डॉक्टर की मदद ले रहे हैं, तो यह सबसे उत्तम उपाय है। लेकिन, यदि डॉक्टर से सलाह नहीं ले रहे हैं, तो दिमाग में सोच आते ही अपने परिवार के लोगों से खूब बातें कीजिए.| मनोरंजक चीजों को देखिए, पढ़िए सुनिए. किताब, उपन्यास, अखबार, मैग्जीन आदि पढ़ने का शौक हो, तो उसे पढ़िए.| गीत-संगीत सुनने का मन हो, तो उसे सुनिए.| कुल मिलाकर यह कि आप अपने ध्यान को नकरात्मक चीजों से भटकाए रखिए.| देखिएगा कि कुछ ही घंटों में तनाव घबराहट, भय और चिड़चिड़ापन दूर हो जाएगा, लेकिन इस बीच आसपास के डॉक्टर से संपर्क करके उनसे सलाह लेना बहुत ही जरूरी है.|
परिजनों से बेझिझक बताएं अपनी परेशानी
उन्होंने कहा कि दुनिया में हर मर्ज का इलाज है और समय रहते अगर व्यक्ति अपनी परेशानी परिवार के लोगों के साथ साझा करता है, तो उसका सही तरीके से इलाज भी संभव है.| खासकर, किसी प्रकार की मानसिक परेशानी हो, तो उसे अपने परिजनों और चिकित्सकों से खुलकर बताना चाहिए। अगर कोई यह समझता है कि परेशानी साझा करने के बाद लोग क्या कहेंगे, तो इस झिझक को समाप्त करना ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
सदैव कोरोना प्रोटोकॉल का करें अनुपालन
कोरोना से बचाव के लिए उचित व्यवहार के साथ ही विभागीय प्रोटोकॉल का अनुपालन करें। मास्क पहनें । हाथ को लगातार साबुन से साफ करें। बिना ज़रूरत के बाहर न निकलें । अतिआवश्यक होने की स्थिति में ही बाहर निकलें । भीड़ भाड़ में न जाएं । लाकडाउन छूटने के बावजूद सतर्कता ज़रूरी है। कोरोना की संभावना बरकरार है। हर हाल में कोरोना से बचाव के लिए टीका ज़रूर लें।
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