इकाई अंक पर सिमटा कोरोना का आंकड़ा
ज़िला के 94. 47 प्रतिशत लोग दे चुके कोरोना को मात
कोरोना संक्रमण के घट रहे मामले, वायरस नहीं हुआ समाप्त- डॉ अहसन हमीदी
लोगों को संक्रमण से बचाव की है जानकारी, करें अनुपालन
समस्या होने पर निकट के सरकारी अस्पताल में करें सम्पर्क

दरभंगा कोरोना के आंकड़ा में लागातार कमी आ रही है. बुधवार को यह आंकड़ा सात पर सिमट गया.। यह जिलावासियों के लिये राहत की बात है। विभागीय जानकारी के अनुसार जिला का कुल आंकड़ा 10595 पर पहुंच गया है। इसमें से 10010 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। विभिन्न जगहों पर 234 संक्रमित मरीजों का उपचार चल रहा है. विभाग अब तक जिला में 351 कोरोना संक्रमित की मौत का आंकड़ा दे रहा है। जिला का रिकवरी रेट 94.47 है। उधर डीएमसीएच में कोरोना वार्ड में केवल 29 मरीज इलाजरत थे. दो मरीजों को डिस्चार्ज किया गया है। पांच गंभीर मरीजों का उपचार आइसीयू में किया जा रहा है. वार्ड के 94 बेड खाली हैं।
अनलॉक में असावधानी हो सकती खतरनाक
कोरोना का संकट अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन संक्रमण के मामले कम जरूर हुए हैं। चूंकि कोरोना के घटते मामलों को देखते हुए अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन अनलॉक के बाद एक बार फिर लोगों की लापरवाही बढ़ने लगी है।डीएमसीएच के कोरोना नोडल ऑफिसर डॉ अहसन हमीदी बताते है लोगों की लापरवाही आने वाले समय में बेहद ही खतरनाक साबित हो सकती है और एक बार फिर संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। बताया लगभग सभी राज्यों और शहरों में अनलॉक हो रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि जो प्रतिबंध लगाए गए, उसके बाद केस कम हुए हैं। वायरस की चेन टूटी है। लोग घर से बाहर नहीं जा रहे थे, एक दूसरे से मिलने नहीं जा रहे थे। इसलिए ही केस कम हुए हैं, वायरस कहीं नहीं गया है, इस बात को याद रखना है। अब हमें पता है कि सभी को सावधानी पता है, इसलिए अनलॉक हो रहा है। अभी भी इसी सीख के साथ आगे बढ़ना है, मास्क लगाना है, एक दूसरे से मिलने नहीं जाना है। भीड़ में न जाएं। बंद जगह नहीं जाएंगे तो केस ऐसे ही नीचे रहेंगे। लेकिन अगर पहले वाली गलती की तो फिर वहीं स्थिति होगी। इस बात को याद रखें कि केस हमारी वजह से ही कम हो रहे हैं और हमारी वजह से ही बढ़ते हैं।’
अनलॉक में लोगों को दे संदेश
नोडल ऑफिसर डॉ अहसन हमीदी बताते है जब तक हमारे देश में वैक्सीन 70-80 प्रतिशत लोगों को नहीं लग जाती है, तक तब चौकन्ना रहना है। खुद लगवाने के बाद भी मास्क लगाकर रखना है। वायरस कहीं गया नहीं है, हमारे आस-पास ही है। इसके अलावा अभी पार्टी न करें, भीड़ में न जाएं, बंद जगह पर कई लोग न बैठें या जाएं, तभी तीसरी लहर को आने से रोक सकते हैं। साथ ही कोई भी वैक्सीन जल्द से जल्द लगवाएं।
अगर कोरोना हो गया है, तो पहली डोज कब लगवानी है?
डॉ हमीदी कहते हैं, ‘कोरोना होने के तीन महीने बाद वैक्सीन लगवानी है, क्योंकि कोरोना से ठीक होने के बाद उनमें इम्यूनिटी बनी रहती है। उसके तीन महीने बाद वैक्सीन लगवाने से इम्यूनिटी और आगे के लिए बढ़ जाएगी। लेकिन इस बीच मास्क लगा कर रखना है। सभी कोविड नियमों का पालन करें।
तटीका लगवा चुकी मां बच्चे को दूध पिला सकती हैं
डॉ हमीदी के अनुसार वैक्सीन लगवाने से पहले या तुरंत बाद, कभी भी बच्चे को दूध पिला सकती हैं। इससे कोई नुकसान नहीं है, न ही बच्चे को और न ही मां को। अफवाहों पर न जाएं, बच्चे का आहार है मां का दूध, उसे जरूर दें।
डबल मास्क लगाने पर रहते सुरक्षित
डॉ हमीदी ने कहा मास्क कई तरह के हैं और इन सभी की वायरस से बचाव करने की ताकत एक जैसी नहीं है। घर में बने कॉटन के कपड़े के मास्क, सिंगल या डबल लेयर्ड मास्क हमें थोड़ा बचाते हैं। सर्जिकल मास्क नीले या हरे रंग का होता है, वो ट्रिपल लेयर होता है और ज्यादा सुरक्षित रखता है। अब आता है एन-95 मास्क, जो उससे भी अधिक सुरक्षित रखता है। अब अगर कपड़े का मास्क लगा रहे हैं, तो एक सर्जिकल मास्क भी लगा लें। कपड़े का मास्क भी धुला हुआ हो, साफ हो। अन-95 अपने आप में पर्याप्त है। लेकिन अगर स्वास्थ्यकर्मी ऐसी जगह जा रहे हैं, जहां कोरोना केस ज्यादा हैं तो एक और सर्जिकल मास्क लगा लें। कहने का मतलब ये है कि हमें लेयर बढ़ानी है, अगर कपड़े के भी दो मास्क लगा लेते हैं, तो भी सुरक्षित रहेंगे।
कोरोना गाइडलाइंस के अनुसार करें चिकित्सक से सम्पर्क
डॉ. हमीदी कहते हैं, बीमारी से संबंधित, जैसे-जैसे जानकारी बढ़ती है, विज्ञान के जरिये नई बातें पता चलती हैं, उसके अनुसार उपचार किया जाता है। इसलिए गाइडलाइन बदलती रहती है। अब बुखार आता है तो पैरासिटामोल ले सकते हैं, पानी खूब पीएं, ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें। इस बीच कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें। चूंकि कई लोग ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि कोमोरबिडिटी वाले लोग होते हैं, ऐसे में कोई भी दवा लेने और जानकारी लेने में मदद मिलेगी। अस्पताल नहीं जा रहे हैं तो फोन के जरिये या वीडियो कॉल के जरिये संपर्क में रहें। अतिआवश्यक होने पर निकट के सरकारी अस्पताल में सम्पर्क करें।
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