दरभंगा यूनेस्को क्लब द्वारा मिथिलांचल की बेटी एवं लास एंजिल्स , अमेरिका निवासी श्रीमती गरिमा वर्मा को उनके द्वारा लिखित हिंदी पुस्तक मन आंगन के लिए साल एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
समारोह
के मुख्य अतिथि संदीप विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समीर वर्मा ने बताया की गरिमा बचपन से ही बहुत तेजतर्रार रही । क्लासेस में भी हमेशा अब्बल रहती थी। उसको लिखने का बहुत शौक रहा है। उसने एयर होस्टेस

की ट्रेनिंग लेकर 5 साल तक इंडिया में एयरलाइंस की नौकरी की तत्पश्चात पिछले एक दशक से लॉस एंजिल्स में रहती है किंतु विदेश में भी अपनी संस्कृति को बरकरार रखा है । प्रोफेसर वर्मा ने बताया की मेरे परिवार में मां सरस्वती का वास है और हम लोग सभी लेखनी और पढ़ाई से निरंतर जुड़े रहते है । हमेशा नई नई पुस्तक को पढ़कर समाज को कुछ नया देने का सोचते रहते हैं इसलिए हमारी बेटी में भी लिखने की कला कूट कूट के भरी है और मन आंगन पुस्तक में अपनी बीती पारिवारिक जीवन को साझा की और अपने आंगन की चर्चा की है|
क्लब के अध्यक्ष बिनोद कुमार पंसारी ने कुलपति प्रो• समीर बर्मा, गरिमा बर्मा एवं अन्य अतिथि तथा सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि यूनेस्को का उद्देश्य है की विज्ञान, शैक्षणिक एवं कल्चरल क्षेत्र में कोई उपलब्धि हो तो उसे प्रोत्साहित कर सहयोग करें एवं उस क्षेत्र में काम करें| आज हमें बेहद खुशी हो रही है कि हमारे मिथिला की बेटी ने विदेश में रहते हुए भी यहां की संस्कृति को भुला नहीं तथा पारिवारिक परिवेश में जो होता रहा है उसका वर्णन इस किताब मन आंगन मैं किया है इसे प्रचारित प्रसारित कर सभी बच्चों को अपनी संस्कृति से परिचित कराना चाहिए|
क्लब के वड़िए सदस्य अधिवक्ता जुगल किशोर सर्राफ ने कहा कि मैंने उस पल को देखा था जिस समय आंगन की शोभा क्या थी और इसकी अहमियत क्या थी। उन्होंने भावुक होकर गरिमा बर्मा के पुराने आंगन का, उनके दादाजी एवं परदादा जी का भी जिक्र किया| उन्होंने बताया कि वहां सरस्वती का वास है और परिवार के सभी सदस्यों में वह गुण छिपा हुआ है|
महासचिव राघवेंद्र कुमार ने कहा कि हमें फक्र है, हमें गर्व है कि आज हमारे दरभंगा यूनेस्को क्लब के अंतर्गत यह सम्मान उस मिथिला की बेटी को दिया जा रहा है जो यूएस में भी अपने मिथिला का झंडा गाड़ के हमारे मिथिला वासियों को गौरवान्वित किया|साथ ही उन्होंने नारी के स्वरूप का वर्णन कर कहा *यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता* और जो पहली पुस्तक गरिमा वर्मा के द्वारा लिखी गई उसके लिए ढेर सारी शुभकामना एवं आशीर्वाद देकर उनके हौसले की अफजाई की।
उपरोक्त अवसर पर गरिमा बर्मा ने कहा की आज भी मेरे मन में यहां की माटी रची बसी है, पूर्व में मैं अंग्रेजी में कुछ कालम लिखा करती थी, मेरी एक किताब भी छपी है किंतु मेरी इच्छा जागृत हुई कि मैं हिंदी में अपने पुराने परिवेश को लिखूं| इसमें मुझे कई लोगों के साथ साथ भूतपूर्व गवर्नर स्वर्गीय मृदुला सिन्हा जी का मार्गदर्शन मिला| आज यह किताब अमेजॉन एवं फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है उस माध्यम से मंगा कर अपने बच्चों को शिक्षा दी जा सकती है।
कोषाध्यक्ष रिंकू कुमार झा ने सभी बंधुओं के प्रति आभार व्यक्त कर धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में उपाध्यक्ष क्रमशः मनोरंजन प्रसाद अग्रवाल, रतन खेड़िया, डॉ विनोद कुमार ,अशोक कुमार पंसारी, प्रो• रघुनाथ शर्मा, आशुतोष भगत, ममता बर्मा , मारवाड़ी महिला सम्मेलन कि पूर्व प्रांतीय अध्यक्षा सुशीला पंसारी, प्रांतीय अंचल उपाध्यक्ष नीलम पंसारी आदि ने शिरकत की एवं शवों ने गरिमा वर्मा को शुभकामनाएं दी
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