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पटना मे जलजमाव का कारण बेतरतीब विकास, अभियंता के हाथ मे हो विकास की कमान:बेसा

पटना मे जलजमाव का कारण बेतरतीब विकास, अभियंता के हाथ मे हो विकास की कमान:बेसा

चंद घंटो की वर्षा के फलस्वरूप पटना मे जलजमाव पर प्रतिक्रया देते हुए बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ के महासचिव डा सुनील कुमार चौधरी ने कहा कि शहरी जलजमाव बिना किसी निश्चित योजना के बेतरतीब तरीके से हो रहे विकास का परिणाम है। प्रतिवर्ष विकास मद में करोड़ों खर्च के बाद भी लोगों की समस्या कम नहीं हो रही है। इसके पीछे बिना किसी प्लान के मकानों का जैसे-तैसे नक्शा पारित किया जाना ,अतिक्रमण,गैर जरूरी योजनाओ का क्रियान्वयन एवं बिना नक्शा के मकानों का बनना तधा बिना ड्रेनेज एवं सिवरेज सिस्टम विकसित किए हुए भवन और सड़क निर्माण किया जाना है।

उन्होंने कहा कि गंगा किनारे बसा और सोन, गंडक व पुनपुन नदियों से जुड़ा 35 किलोमीटर लंबा और 17 किलोमीटर चौड़ा ये शहर चंद घंटो की बारिश में ही पानी-पानी हो जाता है। कंकड़बाग, लोहानीपुर,राजवंशी नगर,राजा बाजार, गांधी मैदान,बिहार विधान मंडल परिसर सहित कई इलाके पानी में डूबे हुए है।

पटना का इतिहास खंगाला जाए, तो पता चलता है कि जलजमाव पटना के लिए कोई पहली घटना नहीं है। पटना डिस्ट्रिक्ट गजेटियर के अनुसार, सन् 1843, 1861, 1870, 1879, 1897 और 1901 में भी भारी बारिश के कारण पटना डूब गया था।इन सभी बाढ़ों में पटना के निचले हिस्से मसलन कंकड़बाग,राजेंद्र नगर, बहादुरपुर डूबते थे, लेकिन इसकी भयावहता कम होती थी, क्योंकि उस वक्त निचले इलाके खाली थे जिससे पानी फैल जाता था। हाल के वर्षों में इन इलाकों में आबादी तेजी से बढ़ी है और बेहद बेतरतीब विकास हुआ है। लेकिन, इस बसाबट के कारण होनेवाली दिक्कतों को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया।

दूसरी तरफ, पटना शहर में 90 के दशक तक 1000 तालाब थे, जहां पानी जमा हो जाता था। अभी इनमें से महज 200से भी कम तालाब ही बचे हुए हैं। कई विशालकाय तालाबों को पाट कर उन पर सरकारी व निजी इमारतें बुलंद कर दी गईं। ये भी एक बड़ी वजह है कि बारिश होने पर पटना लबालब हो जाता है।

डा चौधरी ने कहा कि ‘पानी का फैलाव जितना अधिक होगा,जलजमाव की भयावहता उतनी कम होगी। लेकिन, पटना का निचला हिस्सा, जो कभी ग्रामीण क्षेत्र हुआ करता था, वहां शहरीकरण तेजी से हुआ। दूसरे जिलों से लोग पटना आए और उन्हें मुख्य शहर में जगह नहीं मिली, तो निचले हिस्से में ही बस गये।

ऐसे मे बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ मांग करता है कि सरकार विशेषज्ञों के साथ बैठक कर नए सिरे से विचार कर समस्या का समाधान निकाले एवं शहरी विकास की कमान अभियंताओ के हाथ मे सौप देनी चाहिए ताकि आमजन को शहरी जलजमाव की समस्या से निजात मिल सके।

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