राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत मनाया गया मॉप अप दिवस
• जिले भर में 16 से 21 सितंबर तक आयोजित किया गया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम
•1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को खिलाई गई एल्बेंडाजोल का टेबलेट
मधुबनी बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाने तथा रक्त की कमी की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को पेट में कीड़ा मारने की दवा खिलाने का छह दिवसीय अभियान 16 सितंबर से 21 सितंबर तक चलाया गया। कार्यक्रम के तहत जिले के 3681 स्कूल के 6 से 19 साल के 10 लाख 75 हजार बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है । जिसके लिए 25,50,591 टेबलेट जिले को आवंटित किया गया है। जिसमें जिले के सभी प्रखण्डों में 1 से 19 साल के बच्चों को कृमि मुक्ति को ले एल्बेंडाजोल का टेबलेट खिलाया गया। इस दौरान जिले के सभी आंगनबाड़ी सेविका द्वारा अपने पोषक क्षेत्र के सभी बच्चों को एल्बेंडाजोल का टेबलेट खिलाई गई। साथ ही सभी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्यतर माध्यमिक विद्यालय में बच्चो को एल्बेंडाजोल का टैबलेट टेबलेट खिलाए गए। सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति से प्राप्त निर्देश के अनुसार कार्यक्रम के अनुश्रवण के दौरान यह पाया गया है कि आवंटित लक्ष्य के विरुद्ध कार्यक्रम का आच्छादन आशा के अनुरूप नहीं हो पाई और बहुत सारे बच्चे एल्बेंडाजोल की दवा खाने से वंचित रह गए हैं। इसी को ध्यान में रखकर 22 एवं 23 सितंबर को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम की सफलता के लिए मॉप अप दिवस आयोजित कर बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई गई। उंन्होने बताया कि जिले के सभी प्रखण्डों में आशा कार्यकर्ता के सहयोग से आंगनबाड़ी सेविका घर- घर जाकर बच्चों को एल्बेंडाजोल का टेबलेट खिला रही है। उन्होने बताया कि कार्यक्रम के तहत 1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली को चुरा बनाकर पानी के साथ, 2 से 3 वर्ष एक पूरी गोली चुरा बनाकर पानी के साथ तथा 3 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चबाकर खिलाया जाना है।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के उद्देश्य:
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्य पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 1 से 19 वर्ष की आयु के बीच के विद्यालय जाने से पहले और विद्यालय आयु के बच्चों (नामांकित तथा गैर नामांकित) को कीड़े समाप्त करने की दवा(कृमि नाशक) देनी है।
ऐसा होने पर घबराने की जरूरत नहीं:
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा खिलाते समय यह ध्यान रखे जाये कि बच्चे दवा को का चबाकर खाएं।, जिन बच्चों के पेट में कीड़ों की अधिकता होगीं उनके द्वारा दवा का सेवन करने पर मामूली लक्षण सामने आयेंगे आएगें जिससे घबराने की जरूरत नहीं है। जैसे जैसै दवा खाने के बाद जी मचलालना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान महसूस होना, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। पेट में कीड़ा होने के कारण यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देगा। इस दौरान बच्चों को आराम की सलाह दें तथा उसे लेट जाने को कहें कहे, 10 मिनट में समस्या स्वयं ही दूर हो जाएगी।
कृमि संक्रमण के लक्षण:
-कृमि संक्रमण पनपने से बच्चे कुपोषित हो जाते हैं है।
-बच्चों के शरीर में खून की कमी हो जाती है।
-बच्चे हमेशा थकान महसूस करते हैं है
-बच्चों की का शारीरिक व मानसिक विकास भी बाधित हो जाती है।
-बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की भी कमी हो जाती है।
कृमि संक्रमण से बचाव के उपाय:
-नाखून साफ और छोटे रखें,
-हमेश साफ और स्वच्छ पानी ही पीऐं,
-खाने को ढक कर रखें
-साफ पानी में फल व सब्जियां धोएं
-अपने हाथ साबुन से धोए विशेषकर खाने से पहले और शौच जाने क के बाद
-घरों के आसपास साफ-सफाई रखें
-खुले में शौच न करें करे हमेशा शौचालय का प्रयोग करें।