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भव्य शोभायात्रा के साथ शुरू हुआ 19 वां अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन

भव्य शोभायात्रा के साथ शुरू हुआ 19 वां अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन


भव्य शोभायात्रा के साथ बुधवार को 19 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन की शुरुआत श्री अयोध्या धाम में हुई. कार्यक्रम स्थल कौशलेंद्र कथा मंडपम से शुरू हुई पारंपरिक शोभायात्रा अयोध्या शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए श्री राम जन्म भूमि पर जाकर समाप्त हुई. रास्ते में शोभायात्री नगर के लोगों से जनक नंदिनी सीता के प्रसंग में चर्चा करते हुए जय श्री जय सियाराम के जोरदार नारे लगाए.
गंधर्व कुमार झा द्वारा प्रस्तुत वेदध्वनि से उद्घाटन सत्र की विधिवत शुरुआत हुई. कार्यक्रम का शुभारंभ बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्र ने कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशि नाथ झा एवं श्री भक्त माल पीठाधीश्वर श्री कौशल किशोर दास जी महाराज व अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर किया.
उद्घाटन भाषण करते हुए मंत्री जीवेश मिश्र ने कहा कि राम जन्म भूमि पर विशाल मंदिर का निर्माण होना निश्चित रूप से गर्व की बात है, लेकिन यह गौरव तब तक पूर्णता हासिल नहीं कर सकता, जब तक कि मैया सीता की जन्म भूमि का उद्धार नहीं हो जाता. उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में स्थित माता सीता के जन्म भूमि के दर्शन के बिना रामलला का दर्शन अधूरा है. क्योंकि बिना सिया के राम स्वयं अधूरे हैं. उन्होंने मां सीता के मातृलिपि मिथिलक्षर की चर्चा करते हुए उपस्थित जनों से अपने घर का नाम अनिवार्य रूप से मिथिलाक्षर लिपि में लिखने का संकल्प लेने का आह्वान करते कहा कि बिना दैनिक प्रयोग में लाए इस धरोहर लिपि को जीवंत बनाए नहीं रखा जा सकता.
मुख्य अतिथि के रूप में अपना विचार रखते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशि नाथ झा ने कहा कि जगत जननी मां जानकी का चरित्र मिथिला एवं अयोध्या धाम के सांस्कृतिक चेतना की केंद्रीय भावना में सन्निहित है. पूरी दुनिया में अगर हमारी संस्कृति सर्वश्रेष्ठ संस्कृति के रूप में स्थापित है तो यह भगवान श्रीराम और माता जानकी के द्वारा प्रस्तुत आदर्श उदाहरण के कारण ही है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री श्री 1008 श्री गौसेवी संत कौशल किशोर दास जी ने कहा कि माता जानकी के बगैर राम की कल्पना नहीं की जा सकती. क्योंकि भगवान राम ने अपने जीवन में विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए जिस मर्यादा को स्थापित किया वह बिना सीता के सहयोग के संभव नहीं था.
अतिथियों का स्वागत करते हुए श्री श्री 1008 स्वामी अवधेश कुमार दास जी महाराज ने मिथिला से आए प्रतिनिधियों को मामा कह कर संबोधित करते कहा कि अयोध्या और मिथिला आपस में अत्यंत गहराई से जुड़े हैं. हमारे संबंध अत्यंत प्राचीन होने के साथ-साथ स्वर्णिम परंपरा के साक्षी रहे हैं. उन्होंने उपस्थित संत समुदाय एवं विद्वत जनों से रामलला के साथ माता सीता के जन्म भूमि पर भी विशाल मंदिर निर्माण में सहभागी बनने का आह्वान किया. महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि यह सम्मेलन हमारी प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं को सुदृढ़ करने के साथ ही मिथिला और अयोध्या के जन-जन को एक बार फिर से सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधने में मील का पत्थर साबित होगा. मौके पर मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पंडित कमलाकांत झा ने जनक नंदिनी सीता की जन्मभूमि मिथिला को निराकार ब्रह्म को साकार करने वाली धरती बताते हुए इसे कुशल व्यवहार के माध्यम से सभ्यता एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का केंद्र बिंदु बताया. उन्होंने अपने उद्बोधन में मिथिला भूमि को ज्ञान व प्रेम के समन्वय का जीता जागता प्रमाण बताया.
कार्यक्रम में भव्य संत समागम की अद्भुत जुटान के बीच संत परंपरा के तहत मिथिला एवं अयोध्या के बीच सांस्कृतिक सेतु का निर्माण करने वाले करीब पांच दर्जन से अधिक संतों को मिथिला रत्न सम्मान उपाधि से सम्मानित किया गया. इसके साथ ही संस्कृत भाषा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशि नाथ झा, मिथिला एवं मैथिली के विकास में अहर्निश योगदान देने वाले बिहार सरकार के मंत्री जीवेश मिश्र को मिथिला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया. इसके साथ ही मैथिली साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ रंगनाथ दिवाकर, डॉ अशोक कुमार मेहता एवं डॉ फूलो पासवान, संस्कृति संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए योगेंद्र शर्मा, संस्कृत साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए डा चंद्र भूषण झा, समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रो चन्द्र शेखर झा बूढ़ा भाई, पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रवीण कुमार झा, चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ एमके शुक्ला, संगीत एवं कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ ममता ठाकुर, माधव राय, अरविंद झा, कृष्ण कुमार ठाकुर, सामाजिक एवं सांस्कृतिक उन्नयन के लिए पं विनोद कुमार झा व विजय कांत झा को मिथिला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया. नेपाली साहित्य के लिए भगवान झा, हिंदी साहित्य के लिए जनार्दन उपाध्याय, संस्कृत साहित्य के लिए विंदेश्वरी प्रसाद ब्रह्मचारी, भाषा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए शीतलाम्बर झा सहित मिथिला विकास परिषद के अध्यक्ष अशोक झा, महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा, संस्कृत साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉ महानंद ठाकुर, सीसीडीसी डॉ विजय कुमार मिश्र, प्राचीन इतिहास के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रो अयोध्या नाथ झा, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सीताराम झा को मिथिला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के अध्यक्ष डा महेंद्र नारायण राम, मणिकांत झा, डा बुचरू पासवान, नीलम झा, मिथिलेश झा, संतोष ठाकुर, आशीष चौधरी, पुरूषोत्तम वत्स, नवल किशोर झा, सुषमा झा, विष्णु देव झा विकल, शंभू नाथ मिश्र, डा उदय कांत मिश्र, मिथिलेश ठाकुर, हरि किशोर चौधरी मामा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही
कार्यक्रम में आकर्षक विद्यापति संगीत समारोह का भी आयोजन किया गया. इसमें डा ममता ठाकुर, डा सुषमा झा, सुरेश पंकज, कृष्ण कुमार ठाकुर कन्हैया, अरविंद झा, माधव राय आदि ने भावपूर्ण प्रस्तुति देकर उपस्थित दर्शकों का दिल जीतने में कामयाबी हासिल की. संगत कलाकारों में इंद्रकांत झा हीरा कुमार झा आदि ने अपनी उंगली का जादू जमकर दिखाया. मौके पर सम्मेलन की स्मारिका अयोनिजा का भी विमोचन किया गया.

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