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प्रो उमाकांत की स्मृति में शोकसभा आयोजित विद्यापति सेवा संस्थान ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

प्रो उमाकांत की स्मृति में शोकसभा आयोजित

विद्यापति सेवा संस्थान ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

मैथिली के मूर्धन्य साहित्यकार प्रो उमाकांत के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से शुक्रवार को एम एम टी एम कालेज के सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई. प्रो उमाकांत को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उन्हें मैथिली भाषा का सुच्चा साहित्यकार बताते कहा कि वे मैथिली के रचनाकार मात्र ही नहीं, अपितु इस साहित्य को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए सतत संघर्षशील रहने वाले आंदोलनधर्मी साहित्यकार थे. उन्होंने अपनी कविता व कथा में समाज के शोषित व पीड़ितों की मार्मिक कथाओं का जिस प्रकार से अद्वितीय चित्रण किया है, यह काबिले तारीफ है. डा. बैजू ने कहा कि संघर्षशील स्वभाव व बौद्धिक क्षमता से संपन्न प्रो उमाकांत के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमला कांत झा ने कहा कि मैथिली में उनके लिखने से अधिक उनका योगदान इस साहित्य के लिए एक कुशल मार्गदर्शक के रूप में काम करना रहा। प्रवीण कुमार झा ने कहा कि मिथिला के विभिन्न विकासोन्मुखी एवं प्रगतिगामी आन्दोलनों में उनकी रही प्रभावकारी भूमिका कभी नहीं भूली जा सकेगी. प्रो चन्द्र मोहन झा पड़वा ने कहा कि उमाबाबू विशुद्ध रूप से एक ऐसे रचनाकार थे, जिन्हें सिर्फ और सिर्फ अपनी रचनाधर्मिता भर से मतलब था. उनकी कविताएं मैथिली साहित्य में नई आधुनिकतावादी भावना की प्रतिनिधि थी.
अध्यक्षता करते हुए संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा बुचरू पासवान ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उनके निधन को मिथिला-मैथिली के लिए अपूर्णीय क्षति बताते हुए दिवंगत पुण्यात्मा को मिलनसार स्वभाव का साहित्यकार और मिथिला-मैथिली के विकास का समर्पित हितैषी बताया. उन्होंने कहा कि अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व के लिए वे आम मिथिलावासी के दिल में हमेशा जीवंत बने रहेंगे।
प्रो राजकिशोर झा ने कहा कि उनके निधन से मिथिला-मैथिली के विकास के लिए सतत चिंतनशील रहने वाला हितचिंतक हमसे सदा के लिए जुदा हो गया। प्रो श्याम भास्कर ने मिथिला- मैथिली आंदोलन में उनकी भूमिका को रेखांकित किया. प्रो हरेराम झा ने उन्हें सादगीपूर्ण जीवन जीने वाला मिथिला-मैथिली के विकास का समर्पित साहित्यकार बताया.
प्रो चन्द्र शेखर झा बूढ़ाभाई ने कहा कि वैचारिक क्रांति लाने वाले मैथिली सेनानी के रूप में वे सदैव याद किए जाएंगे. दुर्गा नंद झा ने उन्हें योग्य शिक्षक और संवेदनशील साहित्यकार बताया. प्रो भरत कुमार मिश्र ने कहा कि वे उत्कृष्ट शब्द शिल्पी और महान कल्पनाशील व्यक्तित्व के धनी थे.
इससे पहले प्रो उमाकांत के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके प्रति श्रदांजलि अर्पित की गई. धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य डाॅ उदय कांत मिश्र ने किया. संवेदना व्यक्त करने वाले अन्य लोगों में हरिकिशोर चौधरी, डॉ गणेश कांत झा, टुनटुन राय, प्रेम प्रकाश भारती, विन्दु पाठक, अभयनाथ झा, आशीष चौधरी, पुरूषोत्तम वत्स आदि शामिल थे।

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