डा सुनील बने इन्डियन रोड कान्ग्रेस जीफाइव कमेटी के सदस्य
आपदा रोधी एवं पर्यावरण के अनुकूल समाज निर्माण को कृतसंकल्पित तथा विज्ञान एवं तकनीक के विभिन्न पहलुओं को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने को कटिबद्ध पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता , बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ के पूर्व महासचिव एवं इण्डियन इन्जीनियर्स फेडरेशन (पूर्वी) के उपाध्यक्ष डा सुनील कुमार चौधरी को इन्डियन रोड कान्ग्रेस ने जीफाइव कमिटी का सदस्य मनोनीत किया है।डा चौधरी इन्डियन रोड कान्ग्रेस के तीन-तीन कमिटी के सदस्य बनने वाले बिहार के पहले अभियंता,इण्डियन इन्जीनियर्स फेडरेशन के पहले उपाध्यक्ष एवं बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ के पहले महासचिव बन गए है। जीफाइव कमिटी आपदा प्रबंधन एवं ट्रान्सपोर्ट इन्फ्रास्टक्चर को डिजास्टर रेजिलिएन्ट बनाने के विभिन्न आयामो पर काम करती है।डा चौधरी जीटू कमिटी के भी सदस्य है जो सडक, पुल , आपदा, पर्यावरण से जुड़े ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट के विभिन्न आयामो पर काम करती है।ग्यातव्य हो कि डा चौधरी इन्डियन रोड कान्ग्रेस के जीथ्री कमिटी के भी सदस्य है जो सड़क निर्माण मे कार्बन फुट प्रिन्ट विषय पर काम करती है।इस तरह डा चौधरी इन्डियन रोड कान्ग्रेस के तीन महत्वपूर्ण कमिटी के सदस्य के तौर पर सडक एवं पुल निर्माण मे कार्बन फुट प्रिन्ट ,आपदा प्रबंधन एवं ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट के क्षेत्र मे महत्वपूर्ण योगदान करते हुए मानक संहिता का निर्माण कर बिहार, बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ एवं इण्डियन इन्जीनियर्स फेडरेशन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। आपदा रोधी समाज निर्माण आन्दोलन के पर्याय बन चुके डा चौधरी ने सड़क एवं पुल के भूकंप रोधी छमता बढ़ाने,पर्यावरण के अनुकूल तकनीक को अपनाकर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने तथा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र मे अनेको अभिनव कार्य किये है जो समाज,राज्य एवं देश के विकास मे महत्वपूर्ण योगदान अदा कर सकता है। इस अवसर पर खुशी जाहिर करते हुए डा चौधरी ने कहा कि यह जिम्मेवारी मुझे आपदारोधी समाज एवं आत्म निर्भर बिहार के निर्माण की दिशा में सार्थक प्रयास करने हेतु प्रेरित करेगा। डा चौधरी अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी एवं सामाजिक संगठनों से जुड़कर भूकंप एवं उससे निपटने के लिए डिजास्टर रेजिलिएन्ट एवं कौस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने का काम करते रहे हैं ।डा चौधरी को 30 अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है एवं 212 शोध पत्र विभिन्न प्रतिष्ठित जर्नल एवं कान्फ्रेस में प्रकाशित हो चुका है ।