गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल की प्रक्रिया को दुरुस्त बनाने की हो रही पहल
-आशा कर्मियों के बीच एचबीएनसी किट का हो रहा वितरण, बच्चों में रोग का पता लगाना होगा आसान
-शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के लिहाज से गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम महत्वपूर्ण
समस्तीपुर
प्रसव के उपरांत नवजात शिशुओं को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। बाल मृत्यु दर के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण के लिहाज से इसे खासा महत्वपूर्ण माना गया है। यही कारण है कि संस्थागत प्रसव के मामले में शुरुआती दो दिनों तक मां व नवजात को अस्पताल में ही रहने की सलाह दी जाती है। गृह प्रसव के मामलों में तो शिशुओं की बेहतर देखभाल ज्यादा जरूरी हो जाती है। शिशु जन्म के शुरुआती 42 दिन अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए जिले में होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर एचबीएनसी यानि गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत संस्थागत व गृह प्रसव दोनों ही स्थितियों में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर जाकर 42 दिनों तक नवजात की खास देखभाल किये जाने का प्रावधान है। गृह आधारित देखभाल प्रक्रिया को मजबूती देने व इस कार्य में आशा कार्यकर्ताओं को सहूलियत प्रदान करने के उद्देश्य से उन्हें एचबीएनसी किट मुहैया करायी जा रही है। जिले की आशा कार्यकर्ताओं के बीच इसका वितरण भी शुरू हो चुका है। गृह आधारित नवजात शिशुओं की देखभाल करने में आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलिटेटर अब और सशक्त होंगी। जिले की 3859 आशा कार्यकर्ता और 181 आशा फैसिलिटेटर को एचबीएनसी(गृह आधारित नवजात देखभाल) किट मुहैया करायी जाएगी। इसकी शुरूआत कर दी गई है ।
किट में शामिल हैं सात महत्वपूर्ण सामग्री :
जिला सामुदायिक उत्प्रेरक अनिता कुमारी ने बताया किट का वितरण आशा दिवस प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। सभी प्रखंडों को किट उपलब्ध करायी गयी है। इस किट में डिजिटल वाच ,डिजिटल थर्मामीटर, एलईडी टॉर्च विद सेल, बेबी ब्लैंकेट, बेबी फीडिंग स्पून, किट बैग एवं वेटिंग स्केल जैसी सात सामग्री को शामिल किया गया है। जिसकी मदद से गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं नवजात में होने वाली समस्याओं का अच्छे से पहचान कर जरूरी पड़ने पर उन्हें इलाज के लिये उच्च स्वास्थ्य संस्थान भेज सकेंगी।
प्रसव उपरांत बच्चों की गृह आधारित देखभाल महत्वपूर्ण:
सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी ने बताया एचएनबीसी कार्यक्रम के तहत संस्थागत प्रसव की स्थिति में आशा कार्यकर्ता जन्म के 3, 7, 14, 21, 28 व 42 दिनों पर कुल 06 बार व गृह भ्रमण करती हैं। वहीं गृह प्रसव के मामले में 1, 3, 7, 14, 21, 28 व 42 वें दिन कुल 07 बार गृह भ्रमण करती हैं। अनिता कुमारी ने बताया कि सभी नवजात को आवश्यक देखभाल सुविधा उपलब्ध कराना व जटिलताओं से बचाना एचएनबीसी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। समय पूर्व जन्म व कम वजन वाले बच्चों की पहचान व उनकी विशेष देखभाल करते हुए किसी बीमारी का शीघ्र पता लगाते हुए उपचार सुनिश्चित कराना साथ ही संबंधित परिवारों को आर्दश स्वास्थ्य व्यवहार के लिये प्रेरित करना कार्यक्रम का उद्देश्य है।