दरभंगा में नेत्र प्रत्यारोपण को ले शुरू आई बैंक
-नेत्रहीन लोगों के लिये वरदान साबित होगी आई बैंक- डॉ केएन मिश्रा
आमजन स्वेच्छा से कर सकेंगे नेत्रदान- डॉ एचएस मिश्रा
-नेत्रदान व कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिये विभाग से करें संपर्क
दरभंगा, डीएमसीएच के आंख विभाग परिसर में शुक्रवार को आई बैंक शुरू हुआ है . पटना के बाद दरभंगा में कॉर्निया प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध हो गयी है. खासकर नेत्रहीन लोगों के लिये यह वरदान साबित होगी . स्थानीय बैंक में कॉर्निया उपलब्ध होने पर दृष्टिबाधित लोगों को निःशुल्क कॉर्निया प्रत्यारोपित की जा सकेगी . इस प्रकार नेत्रबाधित लोग दूसरे के द्वारा दान की गई कॉर्निया की मदद से संसार को देख सकेंगे. वहीं दूसरी ओर कोई भी आमजन स्वेच्छा से इसमें अपना नेत्रदान कर सकेंगे. इसके लिये उन्हें विभाग से संपर्क करना होगा. उसके बाद संबंधित व्यक्ति की मौत होने पर परिजन को आई बैंक को सूचित करना होगा. उसके बाद विभाग की ओर से उनके घर टीम भेजी जायेगी. करीब आधा घंटा के प्रोसेस के बाद शव से कॉर्निया को सुरक्षित रूप से केमिकल में रख लिया जायेगा. बता दें कि इस कॉर्निया को तीन सप्ताह तक आई बैँक में सुरक्षित रखने की सुविधा होगी. इसी बीच जरूरतमंद को सुरक्षित कॉर्निया प्रत्यारोपित की जायेगी . इस प्रक्रिया में मरीज को करीब एक सप्ताह तक आई बैंक में आब्ज़र्वैशन के लिये रखा जायेगा. सामान्य होने पर उसे यहां से डिस्चार्ज कर दिया जायेगा.
नेत्र दान से बड़ा कोई दान नहीं-
डीएमसीएच के आंख विभाग में आई बैंक की शुरुआत होने पर प्राचार्य डॉ केएन मिश्रा ने खुशी व्यक्त की है. बताया कि आई बैंक को प्रारंभ करने के लिये कई महीनों से लगे हुये थे. आज इसकी शुरुआत हो गयी. इससे नेत्रबाधित लोगों को दान की गयी कॉर्निया लगायी जा सकेगी . इस प्रकार उनकी आंखों की रौशनी दुबारा लायी जा सकेगी. बताया कि कॉर्निया प्रत्यारोपण शरीर के अन्य अंगों के प्रत्यारोपण की तुलना में सबसे ज्यादा किया जाने वाला एवं सबसे सफल प्रत्यारोपण हैं. अधीक्षक डॉ एचएस मिश्रा ने बताया कि एक व्यक्ति के द्वारा दान की गई कॉर्निया नेत्र बाधित लोगों की जिंदगी में रोशनी ला सकती है. इसलिये नेत्र दान को महादान की संज्ञा दी जाती है. बताया कि ऐसे व्यक्ति जिन्होंने नेत्रदान का संकल्प किया है उनकी मृत्यु के पश्चात उनके नेत्र यहां संग्रहित किए जायेंगे. आंख विभाग की अध्यक्ष डॉ अल्का झा ने बताया कि यह कार्य कई वर्षों से लटका हुआ था, लेकिन आज सफलता मिल गयी. कहा कि अब अधिक से अधिक लोगों को आगे आकर नेत्र दान करना चाहिये, ताकि नेत्रहीन लोग के अंधेरे संसार में उजाला हो सके. इसके लिये लोगों को जागरूक करना होगा.