यक्ष्मा मरीजों को पोषण सहायता राशि का भुगतान शुरू
•राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार द्वारा उपलब्ध कराई गई 83.25 लाख राशि
•वर्तमान में जनवरी 2022 से जुलाई तक लंबित मरीज का किया जायगा भुगतान
•टीबी मरीजों को हर महीने 500 रुपये दे रही सरकार,
•बेहतर पोषण देकर 2025 तक बीमारी खत्म करने का लक्ष्य
मधुबनी टीबी की बीमारी से भारत में प्रति वर्ष लाखों लोगों की मौत हो जाती है। मौत के कारणों के आधार पर देखा जाए तो सबसे ज्यादा लोगों की मौत का कारण बनने के मामले में टीबी नौवें नंबर पर आता है। मामले की गंभीरता देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय टीबी की बीमारी के उन्मूलन करने का प्रयास कर रही है। जिसके लिए सरकार के द्वारा 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार हर मरीज का समुचित इलाज सुनिश्चित करने के साथ मरीजों का उचित पोषण उपलब्ध करवा रही है क्योंकि पोषण के अभाव में इस बीमारी का उन्मूलन बहुत कारगर नहीं होगा। इसी कारण सरकार सभी टीबी के मरीजों को इलाज के दौरान 500 रुपये प्रति माह की मदद दे रही है। वर्तमान में जिले में टीबी मरीजों को पोषण राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा था। अब राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा जिले को 83 लाख 25 हजार 500 का आवंटन किया गया है। जिसके तहत जनवरी 2022 से जुलाई 2022 तक के टीबी के इलाजरत मरीज तथा टीबी को मात दे चुके मरीजों को पोषण राशि भुगतान प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे टीबी के कारण होने वाली मौतों में कमी लाई जा सकेगी।
2785 मरीजों के लिए 83.25 लाख का आवंटन :
सरकार के द्वारा स्वास्थ्य के लिए जारी किए गए कुल बजट में 83.25 लाख रुपये टीबी के लिए आवंटित किया गया है। ‘निक्षय पोषण योजना’ के तहत टीबी के मरीजों को उचित खुराक उपलब्ध कराने के लिए 2785 मरीजों का भुगतान किया जाना है। प्रथम फेज में 1822 मरीज का भुगतान किया जाएगा। जिसमें 1147 मरीज के भुगतान प्रक्रिया शुरू कर दी गई है जिसके लिए 19,43,000 का प्रावधान है। 6 अगस्त को जिले के 8 मरीज को 14500 का भुगतान कर दिया गया है। शेष के भुगतान प्रक्रिया जारी है। इस योजना के तहत हर टीबी मरीज को उसकी आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव किए बिना प्रतिमाह 500 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। यह राशि सीधे मरीज के बैंक एकाउंट में ट्रांसफर की जा रही है। जैसे ही किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण पाए जाते हैं, उन्हें एक टीबी मरीज के रूप में रजिस्टर कर लिया जाता है। पहली किस्त के रूप में उसे 1000 रुपये की मदद की जाती है। फिर उसके बाद बीमारी खत्म होने तक हर महीने आर्थिक मदद मिलती रहती है।
टीबी का हर चौथा मरीज भारतीय:
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. जी.एम. ठाकुर ने बताया भारत में टीबी के मरीजों की संख्या पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। टीबी का हर चौथा मरीज भारतीय है। आंकड़ों के रूप में लगभग 30 लाख लोगों को टीबी की बीमारी होती है। इस मामले में सबसे दुखद पहलू यह है कि सभी लोगों को इलाज नहीं मिल पाता है। बड़ी संख्या के केस अनरजिस्टर्ड ही रह जाते हैं। हालांकि प्रयास है कि जल्दी ही सभी रोगियों को रजिस्टर करने में और उनका इलाज करने में हमलोग सक्षम हो जायेंगे। प्राइवेट अस्पतालों से भी प्रतिवर्ष हजारों मरीज सामने आ रहे हैं। जिस को चिह्नित कर उचित परामर्श तथा दवा उपलब्ध करायी जा रही है।
क्या है लक्ष्य
वैश्विक रूप से डब्ल्यूएचओ एवं भारत सरकार ने जो लक्ष्य तय किया है, उसके मुताबिक टीबी मरीजों की कुल संख्या को 2030 तक 2015 के कुल मरीजों की संख्या के बीस फीसद तक ले आना है। इससे अलग हटकर भारत सरकार ने अपने लिए यह समय सीमा 2025 तक तय किया है।