इसी सप्ताह डीएमसीएच परिसर में शुरू होगा ट्रॉमा सेंटर
आपात स्थिति में आये गंभीर मरीजों का होगा बेहतर उपचार
चिकित्सकीय प्रबंधन कर चल रहा कार्य
दरभंगा. डीएमसीएच अधीक्षक कार्यालय परिसर में ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. इसी सप्ताह इसे चालू कर दिया जायेगा. ट्रॉमा सेंटर के शुरू होने से आपात स्थिति में आये मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान की जायेगी. इसके लिये सेंटर में कुल 10 बेड होंगे. आठ बेडों में गंभीर मरीजों के उपचार के लिये वेंटिलेटर की सुविधा होगी. वहीं दो बेड रिकवरी के लिये रखा जायेगा. इसे व्यवस्थित करने का कार्य किया जा रहा है. मालूम हो कि 100/ 20 वर्ग मीटर में बनने वाले इस सेंटर में मरीजों के उपचार से संबंधित सारी सुविधाएं मौजूद होगी. बता दें कि सरकार ने ट्रामा सेंटर के लिये एक करोड़ 20 लाख रूपया बजटीय प्रावधान किया है. 85 लाख रूपया भवन निर्माण पर खर्च किये गये हैं. शेष राशि अन्य सुविधाओं पर खर्च किये गये हैं. इसके अलावा मरीजों के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिये तीनों शिफ्टों में 18 स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. प्रत्येक शिफ्ट में छह स्टाफ की ड्यूटी रहेगी. वहीं एनेस्थीसिया व अन्य विभागों के चिकित्सक मरीजों का उपचार करेंगे. मरीजों के बेहतर चिकित्सा के लिये सेंटर में एबीजी, वेंटिलेटर, डिफ्रिबिलेटर आदि जीवन रक्षक मशीन उपलब्ध होगे. बता दें कि ट्रॉमा शारीरिक और मानसिक, दोनों ही तरह के चोट को कहते हैं. शारीरिक चोट की बात करें तो किसी अंग में छोटी सी चोट लगने से लेकर एक्सीडेंट में हड्डी टूटने तक को ट्रामा कहा जाता है. वहीं मानिसक चोट का मतलब है ऐसी घटना होना, जिससे व्यक्ति को आघात पहुंचा हो.
आपातकालीन विभाग का बोझ होगा कम
बता दें कि आपात स्थिति में आये मरीजों को उपचार के लिये आपातकालीन विभाग ले जाया जाता है. वहां कम जगह होने के कारण मरीजों के उपचार में चिकित्सकों को काफी परेशानी होती है. गंभीर स्थिति में आये मरीजों के उपचार की कोई विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस परिस्थिति में अधिकांश मरीजों को अन्यत्र रेफर कर दिया जाता है. बता दें कि आपातकालीन विभाग दो कमरे में सिमट कर रह गया है. चिकित्सकों के ठहरने की भी व्यवस्था नहीं है. दिन भर मरीजों का मेला लगा रहता है. हो- हल्ला के बीच डॉक्टर मरीज का उपचार करते हैं. वहीं मरीजों की संख्या बढ़ जाने के बाद वहां अफरा- तफरी मच जाती है. उस स्थिति में मरीजों को बरामदा पर नीचे में लिटाकर इलाज किया जाता है. ट्रॉमा सेंटर बन जाने के बाद मरीजों का सही एवं सहूलियत से इलाज संभव हो पायेगा.
रेफर मरीजों के आंकड़े में आयेगी कमी
चिकित्सकों के अनुसार आपातकालीन विभाग में मरीज व परिजनों को चिकित्सकीय असुविधा का सामना करना पड़ता है. आपातकालीन विभाग केवल नाम के लिये ही रह गया है. वहां आपात स्थिति में आये मरीजों के लिये कोई अलग से व्यवस्था नहीं की गयी है. वहां एक साधारण पीएचसी की तरह सामान्य मरीजों का दवा- सूई कर छोड़ दिया जाता है. अतिरिक्त चिकित्सा व्यवस्था नहीं होने के कारण चिकित्सक गंभीर स्थिति होने पर मरीजों को रेफर कर देते हैं. इससे गरीब मरीज व परिजनों के समक्ष विकट समस्या उतपन्न हो जाती है. ट्रामा सेँटर बन जाने से गंभीर मरीजों का भी उपचार आधुनिकतम तरीके से किया जायेगा. इससे मरीजों को अन्यत्र रेफर की करने के आंकड़ों में कमी आने की संभावना है.