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महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकता है बच्चेदानी का टीबी

महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकता है बच्चेदानी का टीबी

– लगभग 40 प्रतिशत महिलाओं के बांझपन का एक कारण है बच्चेदानी का टीबी
– फैलोपियन ट्यूब में संक्रमण का भी बनता है कारक

समस्तीपुर

फेफड़ों में टीबी, हड्डी में टीबी तो सबने कहीं न कहीं सुना होगा। पर बच्चेदानी के टीबी से बहुत कम लोग अवगत होगें। यह महिलाओं में होने वाली एक प्रकार की टीबी है, जो उनके बांझपन का कारण भी बन सकती है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ विशाल कुमार कहते हैं कि लगभग 40 प्रतिशत महिलाओं में बांझपन का मुख्य कारण बच्चेदानी का टीबी है। इसमें न खांसी होती है और न बुखार रहता है। इसके सिम्टम आम टीबी से अलग हैं। जिससे इसे पहचानने में भी देर होती है। इसलिए जरूरी है कि अपने शरीर में किसी भी परिवर्तन पर डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

क्या है गर्भाशय टीबी-

डॉ विशाल कहते हैं कि बच्चेदानी का टीबी भी एक प्रकार का टीबी ही है जो माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु से होता है। आज अधिकतर लोग इसका शिकार हो रहे हैं। इसमें बच्चेदानी की झिल्ली, फेलोपियन ट्यूब, वेजाइना के आसपास लिम्फ नोड्स आदि प्रभावित होता है। प्रारंभिक चरण में बच्चेदानी के टीबी का लक्षण नहीं दिखता लेकिन सात या आठ महीने के बाद पेट के निचले भाग में दर्द, अनियमित मासिक स्राव, हैवी ब्लीडिंग के रूप में लक्षण सामने आते हैं। इनका सही समय पर उपचार नहीं करने पर महिलाएं बांझपन का शिकार हो सकती हैं। इसकी जांच अल्ट्रासाउंड के जरिए होती है।

कैसे होता है टीबी-

सीडीओ डॉ विशाल कुमार ने बताया कि टीबी संक्रामक बीमारी है। यह रोग टीबी से ग्रसित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है। शुरुआत में यह बीमारी फेफड़ों पर असर करती है, फिर बाद में बैक्टीरिया खून के जरिए शरीर के दूसरे अंगों में पहुंच जाता है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग टीबी से आसानी से ग्रसित हो जाते हैं।

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