टीबी से डरने नहीं, बल्कि लड़ने की जरूरत है- सलाह दे रहे हैं 80 वर्षीय रामसागर राय
-गांव के टीबी लक्षण से ग्रसित कई लोगों को भेज चुके हैं सरकारी अस्पताल
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समस्तीपुर, जिले के विभूतिपुर प्रखंड के झपही निवासी रामसागर राय के गांव में आप चले जाएं तो गांव के लोगों को टीबी पर जानकारी देते दिख जाएंगे । साथ ही लोगों के साथ अपने अनुभव भी साझा करते दिख जाएंगे। इन्हें देखकर कहीं से ऐसा प्रतीत नहीं होता कि यह कभी टीबी से संक्रमित रहे हैं । अभी वह बच्चों ( पोते -पोतियों ) के साथ खेलते हैं । साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ समय व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन कुछ दिनों पूर्व तक की स्थिति ऐसी नहीं थी । रामसागर जी कहते हैं कि मेरी उम्र 80 वर्ष के आसपास है। जब मैं टीबी से संक्रमित हुआ तो सबसे पहले अपने परिवार से दूरी बनाई तथा एक कोने में बैठा रहता था। साथ ही अपने पोते – पोतियों के साथ भी खेलने में डर लग रहा था। डर सता रहा था कि कहीं मेरे करण वह भी संक्रमित नहीं हो जाएँ । . हालांकि टीबी का खौफ तो हमें भी था. लेकिन सही समय पर उपचार तथा दवा के नियमित सेवन से आज मैं टीबी को मात देकर आम जीवन व्यतीत कर रहा हूं। . मुझे बहुत खुशी मिलती है जब मैं अन्य लोगों को भी इसके बारे में जानकारी देता हूं तथा चिकित्सीय परामर्श के लिए सरकारी अस्पताल भेजता हूं.।
गांव के कई लोगों को अब तक भेज चुके हैं सरकारी अस्पताल-
रामसागर जी ने अपने साथ बीते हुए दर्द से यह सीखा कि उनके लक्षणों के जैसा लक्षण किसी भी व्यक्ति में अगर नजर आता है तो उसे बिना झिझक के सरकारी अस्पताल भेजते हैं । साथ हीं नियमित दवा सेवन की सलाह देते हैं। , इस क्रम में रामसागर राय ने गांव के ही भोला राय, हरे कृष्ण राय ,केशव राय ,करीना कुमारी, सुंदर यादव ,रामबाबू यादव, आदि लोगों को लक्षण के आधार पर उपचार हेतु सरकारी अस्पताल भेजा। , जिनमें से कुछ लोग टीबी पॉजिटिव आए, और वे नियमित दवा का सेवन कर स्वस्थ्य भी हुए.।
खत्म करना होगा मन का डर:
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. विशाल कुमार बताते हैं कि कुछ लोग जब खांसी आने पर ,सीने में दर्द होने पर, अथवा बुखार होने पर दवा दुकानदार से बिना जांच के दवा लेकर खाने लगते तो , शुरुआत में तो कम परंतु इस उपचार में सेहत तो बिगड़ता ही है। , इसके साथ साथ उनकी जमा पूंजी भी खत्म हो जाती है। र ठीक नहीं होने के उपरांत अंतिम में सरकारी अस्पताल का रुख करते हैं। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसके लिए उनके परिजन को टीबी संबंधी मन में जो डर है, उसे खत्म करने की जरूरत है। ,उसके साथ साथ पीड़ित परिवार के लोगों के साथ आम नागरिक को भी जागरूक होना पड़ेगा, ताकि समय रहते इसका उपचार हो सके। , सरकारी अस्पताल में टीबी संबंधित सभी प्रकार की जांच उपचार एवं दवा की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध है,। लोगों को बस जागरूक होने की जरूरत है, क्योंकि टीबी खत्म करने में आम नागरिकों की अहम भूमिका है। .
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