खसरा रूबेला उन्मूलन के लिये शून्य से पांच वर्ष के बच्चों का होगा सर्वे
कार्यपालक निदेशक ने सिविल सर्जन को पत्र जारी कर किया निर्देश
बच्चों को लगेगी एम आर वैक्सीन की अतिरिक्त डोज
दरभंगा. खसरा रूबेला उन्मूलन के लिए पांच वर्ष तक के बच्चे का सर्वे किया जायेगा. इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार को निर्देश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि खसरा- रूबेला के उन्मूलन के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए जरूरी है कि खसरा- रूबेला की दोनों खुराकों (प्रथम एवं द्वितीय) का शत प्रतिशत आच्छादन प्राप्त किया जा सके. खसरा- रुबैला की खुराक का संतोषप्रद आच्छादन नहीं हो पाने के कारण केंद्र सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी की गयी है. जारी पत्र में बताया गया है कि वैसे क्षेत्र जहां पर कुल खसरा- रूबेला संक्रमित बच्चों में नौ माह से नीचे के बच्चों का 10 प्रतिशत अथवा उससे अधिक मामले प्रतिवेदित किये गए हैं. उन क्षेत्रों में छह माह से नौ माह तक के सभी बच्चों को खसरा- रुबैला का एक टीका आउटब्रेक रिस्पांस इम्यूनाइजेशन के अंतर्गत दिया जाना सुनिश्चित किया जाए. कहा गया कि यह डोज नियमित टीकाकरण सारणी के अतिरिक्त दी जायेगी.
शून्य से पांच वर्ष के बच्चों का होगा सर्वे
डीआइओ डॉ एके मिश्रा ने बताया कि प्राप्त निर्देशानुसार शून्य से पांच वर्ष आयु वर्ग के बच्चों का गुणवत्तापूर्ण सर्वे किया जायेगा. प्राप्त रिपोर्ट को अद्यतन कर फिर उसे राज्य मुख्यालय को सौंपा जायेगा. सर्वे के बाद खसरा- रूबेला टीके से छूटे बच्चों का टीकाकरण किया जायेगा.
रूबेला वायरस है ख़तरनाक
रूबेला वायरस से फैलने वाला एक गंभीर रोग है जिसे जर्मन मीजल्स के नाम से भी जाना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 95 प्रतिशत रूबेला का वायरस 15 साल तक के बच्चों के माध्यम से वायुमंडल में फ़ैलता रहता है. यह वायरस गर्भवती माता के माध्यम से गर्भस्थ बच्चों पर गंभीर रूप से असर डालता है, जिससे बच्चे में अंधापन, गूंगापन, ह्रदय रोग, गुर्दा रोग एवं इसके साथ ही अपंग पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है. इस वायरस से होने वाली विभिन्न समस्याओं को कोन जीनैटल रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) के भी नाम से जाना जाता है.
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