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2024 तक खसरा को दुनिया से मिटाने का लिया प्रण बीमारी को पकड़ने के लिये सर्विलांस जरूरी- डॉ पाटिल

2024 तक खसरा को दुनिया से मिटाने का लिया प्रण

बीमारी को पकड़ने के लिये सर्विलांस जरूरी- डॉ पाटिल

बीमारी को चिन्हित करने को ले सर्विलांस की महत्ता पर चिकित्सकों को दी गयी जानकारी

दरभंगा  मुंबई और पुणे ही नहीं महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा अभी खसरे के चपेट में है और कई दर्जन मौत हो चुकी है. खसरा एक ऐसी बीमारी है, जिसे 2024 दिसंबर तक दुनिया से मिटाने का प्रण लिया गया है. यह तभी संभव है जब 95 प्रतिशत बच्चों को एमआर का टीका दे दिया जाय. भारत ने पोलियो को मिटा दिया है, परंतु पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान अभी भी उसके चपेट में हैं. इसके लिए भारत में समय- समय पर पल्स पोलियो अभियान चलाया जा रहा है. यह जानकारी डब्ल्यूएचओ के सब रीजनल टीम लीड डॉ संदीप पाटिल ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के द्वारा शिशु विभाग के सेमिनार रूम में बीमारी को चिन्हित करने के लिये सर्विलेंस की महत्ता और उपयोग के तरीके की जानकारी देते हुये विस्तृत रूप से बताया. कहा कि प्रसूता एवं नवजात शिशु में टिटनेस इलिमिनेशन के फेज में है अर्थात इनके केस अत्यल्प हो गए हैं. इसके लिए मां और शिशु को टीडी और पेंटावेलेंट वैक्सीन ससमय पड़ना अत्यधिक आवश्यक है.

टीकाकरण की आवश्यकता एवं प्रभाव को मॉनिटर करना जरूरी

डॉ पाटिल ने कहा कि अभी एक दर्जन से ज्यादा बीमारियों को टीका द्वारा बचाया जा सकता है. इन्हें भीपीडी या टीकाकरण से बचाने वाली बीमारियों का नाम दिया जाता है. इन बीमारियों को अच्छे से रोकने के लिए इनकी मॉनिटरिंग की जरूरत है. टीकाकरण की आवश्यकता एवं प्रभाव को मॉनिटर किया जाना अत्यधिक आवश्यक है. बताया कि मॉनिटरिंग वह विधा है, जिसके द्वारा डाटा को कार्यवाही के लिए प्रयुक्त किया जाता है. विश्लेषण में समरूपता के लिए आवश्यक है कि इन बीमारियों को विशेष लक्षणों के द्वारा पहचान में आ जाय. और उन्हें एक रिकॉर्ड के रूप में एक सिस्टम से इस्तेमाल किया जाय.

बीमारियों को पकड़ने के लिये सर्विलांस पर की चर्चा

डॉ पाटिल ने कहा कि सर्विलेंस के दौरान जिन बीमारियों को हमें पकड़ना है. उनके साथ अनेक अन्य बीमारियों के लिए भी जाल बिछाया जाता है, जो किसी भी तरह देखने में उन बड़ी बीमारियों की तरह लगती हैं. कहा कि किसी भी बिमारी को पकड़ने के लिये सर्विलेंस पुख्ता इंतजाम करता है. ट्रेनिंग के दौरान डॉ पाटिल ने तीन तरह के सर्विलेंस पर विस्तृत चर्चा की. मौके पर डब्ल्यूएचओ की टीम में एसमोओ डॉ अमित मोहिते, विशाल कुमार, राजीव कुमार सिंह आदि मौजूद थे. इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य सह शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉक्टर के एन मिश्रा, शिशु विभाग के सह प्राध्यापक डॉ अशोक कुमार, डॉ रिजवान हैदर एवं डॉ मोहन केजरीवाल ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर डॉ अमित कुमार, डॉ मनी शंकर, डॉ हेमंत कुमार, डॉ अनिता कुमारी, डॉ रश्मि झा आदि मौजूद थे.

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