सांझा प्रयास के द्वारा चिकित्सीय गर्भसमापन अधिनियम संशोधन 2021 पर मीडियाकर्मियों का संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन
24 सप्ताह तक का गर्भ समापन कानूनी रूप से वैध
मधुबनी में खादी भंडार परिसर में हुआ मीडियाकर्मियों का सुरक्षित गर्भसमापन पर उन्मुखीकरण।
मधुबनी सांझा प्रयास नेटवर्क द्वारा सुरक्षित गर्भ समापन पर संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मीडियाकर्मी को गर्भ समापन संबंधित संशोधित कानून के बारे में जानकारी दी गयी । संशोधित चिकित्सीय गर्भसमापन अधिनियम 2021 के अंतर्गत विशेष श्रेणी के महिलाओं के लिए गर्भ समापन की अवधि 24 सप्ताह तक कर दिया गया है। कार्यशाला में संशोधित कानून के बारे में आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन के सीनियर कोऑर्डिनेटर राजीव कुमार ने विशेष उन्मुखीकरण कार्यशाला के दौरान इसकी जानकारी दी। उन्मुखीकरण में बताया गया कि वर्ष 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयां होती थी। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने की प्रक्रिया में महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। अज्ञानता के कारण मृत्यु दर में कुछ खास कमी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया एवं एमटीपी एक्ट में 2021 में संशोधन किया गया। जिससे विशेष श्रेणी के महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को
मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की
स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी।
उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी ;पंजीकृत प्रशिक्षित चिकित्सक और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी की राय चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है। इस कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ आर के सिंह, सीफार के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक अमन कुमार तथा अन्य कर्मी उपस्थित थे ।