चाइल्ड ओपीडी में कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर एनआरसी करें रेफर : आरपीएम
– आंगनबाड़ी केंद्र, आरबीएसके एवं ओपीडी में चिन्हित कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में मिल रही है चिकित्सकीय सुविधा
-बच्चों के बेहतर पोषण, समुचित देखभाल के साथ केंद्र में उपलब्ध है सभी जरूरी सेवाएं
-भोजन व आवास के साथ बच्चे की मां को श्रम क्षतिपूर्ति राशि के भुगतान का प्रावधान

दरभंगा
जिले में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है जहां कुपोषित बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 तक 132 बच्चे को भर्ती कराया गया है जो आंकड़े दर्शाते हैं कि जिले के आंगनवाड़ी केंद्र, आरबीएसके के टीम तथा ओपीडी में पाए गए कुपोषित बच्चों को कम संख्या मे एनआरसी भेजा जा रहा है जिसको लेकर शाहर स्थानीय होटल में दरभंगा प्रमंडल के तीनों जिलों के एसीएमओ, डीपीएम, डीसीएम का उन्मुखीकरण किया गया तथा चाइल्ड ओपीडी में कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर एनआरसी रेफर करने का निर्देश दिया गया है साथ ही बाल विकास परियोजना पदाधिकारी से समन्वय स्थापित कर आंगनबाड़ी केंद्रों से कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने का निर्देश दिया गया . प्रशिक्षण के दौरान आरपीएम नजमुल होदा ने बताया निर्धारित बेड के अनुसार शत प्रतिशत बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाए. तथा आरबीएसके के टीम तथा ओपीडी में चिन्हित कुपोषित बच्चे एवं संबंधित क्षेत्र के अंतर्गत पाए गए कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने का निर्देश दिया गया है ताकि निर्धारित संख्या के अनुरूप कुपोषित बच्चों को भर्ती कर समुचित इलाज किया जा सके.
बच्चे को केंद्र में भर्ती करने से पहले रखा जाता है कई मानकों का ध्यान :
बच्चों को केंद्र में भर्ती करने से पहले कई मानकों का ध्यान रखा जाता है। केंद्र में पांच साल तक के बच्चों के बांह की मोटाई, स्वास्थ्य संबंधी जटिलता सहित कुछ गंभीर लक्षणों के आधार पर बच्चों को केंद्र में दाखिला लिया जाता है। लगातार डायरिया, बुखार व डिहाइड्रेशन जैसी समस्या की वजह से कमजोर बच्चों को केंद्र में भर्ती किया जाता है। उम्र के हिसाब से लंबाई, ऊंचाई व वजन नहीं होने पर भी बच्चे केंद्र में दाखिल किये जाते हैं।
सघन जांच के बाद होता है बच्चों के डाइट का निर्धारण :
केंद्र में दाखिल होन के बाद बच्चों के भूख का परीक्षण होता है। फिर इसके आधार पर बच्चों के डाइट का निर्धारण होता है। निर्धारित प्रक्रिया व तय मानकों के आधार पर बच्चों के लिये विशेष डाइट तैयार किया जाता है। जिसे एफ-75 व एफ-100 के नाम से जाना जाता है। वस्तुत: जो एक फार्मूला मिल्क होता है। इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व व निर्धारित मात्रा में कैलोरी मौजूद होता है। पर्याप्त पोषाहार, जरूरी मेडिकल सप्लीमेंट व उचित सलाह व परामर्श से बच्चों की सेहत में तेजी से सुधार परिलक्षित होने लगता है। गंभीर से गंभीर मामलों में भी कम से कम 14 व अधिक से अधिक 21 दिनों के अंदर बच्चों की सेहत में अप्रत्याशित रूप से बदलाव परलक्षित होने लगता है।
केंद्र में दाखिल बच्चे की मां को मिलती है विभिन्न सुविधाएं :
आरपीएम ने बताया केंद्र में दाखिल बच्चों के रहने व खाने का नि:शुल्क इंतजाम है। रोजमर्रा इस्तेमाल में आने वाली सामग्री साबुन, तेल, सर्फ सहित अन्य सामग्री नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। इतना ही नहीं श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में बच्चे की मां को सरकार द्वारा प्रति दिन के हिसाब से राशि का भुगतान किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित इस महत्वपूर्ण सेवा के प्रति अभी भी क्षेत्र के लोगों में जागरूकता की कमी है। उन्होंने कहा कि कुपोषण से जुड़े बच्चों की मौत के मामलों में कमी लाने में यह केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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