जीविका दीदियां दे रही हैं, चमकी को धमकी !
गर्मी और उमस बढ़ते ही बढ़ जाता है एईएस का खतरा
डीपीएम डा० ऋचा गार्गी ने सभी बीपीएम को दिए जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश
जीविका दीदी 01 से 15 वर्ष के बच्चों की सूची बना कर रही जागरूक
जीविका दीदी पिको प्रोजेक्टर के माध्यम से विडियो दिखा कर रही जागरूक
जीविका दीदी चमकी बुखार से बचाव के लिए नैनिहालों को खिला रहीं हैं मीठा हलुवा.
बिहार में गर्मी और उमस के बढ़ने के साथ ही दरभंगा, मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में बच्चों में होने वाली एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी का ख़तरा बढ़ने लगता है. इस बीमारी को जापानी इन्सेफ़लाइटिस/ दिमागी बुखार/ चमकी बुखार आदि नामों से भी जाना जाता है
इस बीमारी का केंद्र जिला मुज्ज़फरपुर है वहीं दरभंगा सहित आसपास के कुल 12 जिले में एईएस (चमकी बुखार) का ख़तरा बना रहता है | इस ख़तरे को महसूस करते हुए दरभंगा की जीविका दीदीयों ने एक बार फिर से चमकी बुखार के खिलाफ़ मोर्चा संभाला है. जीविका की डीपीएम डा०ऋचा गार्गी की अध्यक्षता में डीपीसीयू कार्यालय, दरभंगा के बैठक कक्ष में चमकी बुखार विषय पर सभी विषयगत प्रबंधकों एवं बीपीएम का एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया. एईएस की जिला स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम में डीपीएम ने सभी बीपीएम को यह निर्देश दिया कि लोगों को इसके लक्षणों और इलाज के प्रति जागरूक करें. इसके लिए व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाएं. उसके बाद प्रखंड स्तर के सभी कर्मियों, जीविका मित्रों, एवं सामुदायिक संस्थानों – सीएलएफ़, ग्राम-संगठन व समूहों की जीविका दीदियों को भी चमकी बुखार के लक्ष्णों की पहचान, बचाव के तरीके व पूर्व की तैयारियों की जानकरी देकर प्रशिक्षित किया गया.
बता दें कि दरभंगा, मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके में जैसे ही गर्मी और उमस बढ़ती है, वैसे ही इस बीमारी से बच्चे ग्रसित होने लगते हैं. प्रतिवर्ष इस बीमारी से 01 से 15 वर्षों तक के बच्चों को विशेष खतरा बना रहता है . जिले के पिछड़े क्षेत्रों में इस बीमारी ने लोगों को खासा परेशान किया है. जीविका द्वारा समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, जिससे राहत की बात है कि अब इस बीमारी के कम मरीज सामने आ रहें हैं. डा० ऋचा गार्गी ने बताया कि तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. शरीर में चमकी, हाथ-पैर में थरथराहट, तथा शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं हो तो तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए. स्वास्थ्य एवं पोषण प्रबंधक संतोष कुमार ने कहा कि एइएस व जेई बुख़ार एक वायरल बीमारी है. यह अत्यधिक गर्मी व उमस के मौसम में फैलता है. बच्चों को तेज धूप से बचाना, बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराना, ओआरएस या निम्बू का पानी पिलाना, मीठा खिलाना, साथ ही रात में भरपेट खिलाकर ही सुलाना चाहिए. संचार प्रबंधक राजा सागर ने जानकारी दी कि यह एक गंभीर बीमारी है जो ससमय इलाज से ठीक हो सकता है, लोगों को सही जानकारी देने और झाड़-फूंक व ओझा-गुणी जैसे अंधविश्वासों से बचाने हेतु चमकी बुखार के बचाव से संबंधित विभिन्न संचार सामग्रियां जैसे लीफलेट, हैंडबिल, ऑडियो व विडियो के माध्यम से सभी सामुदायिक स्तर सीएलएफ़, ग्राम संगठन व स्वयं सहायता समूह की बैठकों में सदस्यों को जागरूक किया जा रहा है, साथ ही सभी पिछड़े इलाकों में पिको प्रोजेक्टर के माध्यम से जीविका मित्रों द्वारा संबंधित विडियो दिखा कर और उसपे चर्चा कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
चमकी को 3 धमकी
1. खिलाओ बच्चे को रात में सोने से पहले जरूर खाना खिलाए।
2. जगाओ सुबह उठते ही बच्चे को जगाए देखे कहीं बेहोशी या चमक तो नहीं
3. अस्पताल ले जाओ बेहोशी या चमक दिखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से अस्पताल ले जाएं।
चमकी बुखार से बचने के लिए जीविका दीदी के 4 मंत्र
1. पहचानने में देरी ना हो
2. बचाव में देरी ना हो
3. पहुंचाने में देरी ना हो
4. पालन पोषण सही हो
डीपीएम डॉक्टर रिचा गार्गी के निर्देशानुसार जिले के सभी ग्राम संगठन अंतर्गत 01 से 15 वर्ष के बच्चों की सूची तैयार कर जागरूक करने के साथ मीठा खिलाने की सलाह भी दी जा रही है। जिससे गर्मी के दिनों में बच्चों के शरीर में ग्लूकोज की कमी ना हो और वह चमकी बुखार के साथ अन्य बीमारियां से भी बच्चे रहा है इस मुहिम को जमीन पर प्रभावी बनाने के उद्देश्य से सांकेतिक तौर पर 01 से 15 वर्ष के नैनीहालो को जीविका दीदी द्वारा मीठा हलवा खिलाया जा रहा है।