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मिथिला से कांवर लेकर पैदल यात्रा करते हुए माघ मास शुक्ल पक्ष की वसंत पंचमी तिथि को देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ को गंगाजल चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी रही है।

बाबा बैद्यनाथ के तिलकोत्सव में शामिल होने मिथिला से रवाना हुआ पैदल कांवर यात्रियों का जत्था

वसंत पंचमी के दिन बाबा बैद्यनाथ को गंगा जल के साथ चढ़ाएंगे धान की नई फसल का शीश

मिथिला से कांवर लेकर पैदल यात्रा करते हुए माघ मास शुक्ल पक्ष की वसंत पंचमी तिथि को देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ को गंगाजल चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी रही है।

दरभंगा news24live राजु सिंह अजित कुमार सिंह रिपोर्ट

धर्म और आस्था से जुड़ी इस परंपरा को कायम रखते हुए कछुआ चकौती कैंप के साथ सैकड़ों कमरथुआ (कांवर-यात्री) का जत्था शनिवार को शुभंकरपुर स्थित श्मशान काली मंदिर से रवाना हुआ। इस जत्था में मैथिली के स्वनामधन्य गीतकार एवं भारत निर्वाचन आयोग के आइकॉन मणिकांत झा भी शामिल हैं। विगत 31 वर्षों से माघी कांवड़ यात्रा में शामिल हो रहे श्री झा बताते हैं कि मिथिला से माघ मास में कांवर यात्रा पर निकलने की परंपरा सदियों पुरानी है। जानकारों के अनुसार मिथिला के मधुबनी जिला अंतर्गत जरैल गांव से पहली कावड़ यात्रा स्वर्गीय दुर्मिल झा के नेतृत्व में शुरू की गई थी, जो परंपरा आज भी कायम है।
माघ मास की कांवड़ यात्रा के महत्व की चर्चा करते हुए मणिकांत झा ने बताया कि यह सभी जानते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम एवं देवों के देव महादेव की प्रसिद्धि मिथिला में दामाद के रूप में है। भगवान शिव एवं पार्वती के विवाह का उत्सव मिथिलावासी जहां महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं वहीं इससे पहले वसंत पंचमी को भगवान शिव के तिलकोत्सव के रूप में मनाए जाने कि यहां मान्यता रही है। इसी मान्यता के अनुरूप फसल कटनी के बाद धान का शीश लेकर मिथिला वासी बाबा धाम की कांवर यात्रा पर माघ मास में अपने अपने घरों से पैदल निकलते हैं और मौनी अमावस्या को सुल्तानगंज से जल लेकर पैदल कांवर यात्रा करते हुए वसंत पंचमी की तिथि को बाबा बैद्यनाथ पर चढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि बाबा बैद्यनाथ की प्रसिद्धि कामना लिंग के रूप में भी है और लोगों के मन की मुरादें पूरी होने के कारण भी यह यात्रा लोगों के खास आकर्षण के केंद्र में रहता आया है। शनिवार को माघी कांवर यात्रा पर निकलने वाले श्रद्धालुओं में कछुआ चकौती के कामोद झा, अरुण झा, राजन यादव, सुधीर यादव, हीरा मिश्र, चंद्रमोहन ठाकुर, कौशल झा, देवन मंडल, महेश ठाकुर, सचिन झा , सुनील झा, नाहस रुपौली के नीतीश सौरभ, गजेंद्र झा एवं शुभंकरपुर के मणिकांत झा, अमरकांत झा व संतोष झा आदि के नाम शामिल हैं । कांवर यात्रा पर निकलने से पहले दरभंगा के पूर्व महापौर ओमप्रकाश खेड़िया , प्रख्यात साहित्यकार विष्णुदेव झा विकल , विद्यापति सेवा संस्थान के सचिव प्रो जीवकांत मिश्र, विजयकांत झा, राकेश कुमार मिश्र, हीरा कुमार झा, अनिल अग्रवाल, प्रवीण कुमार झा, डा रंगनाथ ठाकुर, विनोद कुमार झा, गंधर्व झा, दीपक कुमार झा, अभिमन्यु, ललन, राघव, नंद, मनीष आदि ने मिथिला की परंपरा के अनुरूप दही व गुड़ खिलाकर कांवरियों को विदा करते हुए उन्हें मंगलमय कांवर यात्रा की शुभकामनाएं दी।

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