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मधुबनी,  जिले में कालाजार मरीजों की खोज के लिए अभियान चलेगा। 27 जनवरी से 4 फरवरी तक जिले के सभी प्रखंडों में अभियान चलाया जायेगा। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की पहचान करेंगी। सभी प्रखंडों को दिए गए निर्देश:

घर-घर ढूंढे जाएंगे कालाजार के रोगी
• 27 जनवरी से 4 फरवरी तक चलेगा कालाजार खोज अभियान
• ईलाज पूरा होने पर दी जाएगी 7100 रूपये की प्रोत्सहान राशि
• 6 माह तक मरीजों की निगरानी जरुरी

मधुबनी,
जिले में कालाजार मरीजों की खोज के लिए अभियान चलेगा। 27 जनवरी से 4 फरवरी तक जिले के सभी प्रखंडों में अभियान चलाया जायेगा। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की पहचान करेंगी।
सभी प्रखंडों को दिए गए निर्देश:
जिला

दरभंगा news24live रिपोर्ट ajit kumar singh

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी अजय नारायण प्रसाद ने बताया यह अभियान चलाकर संदिग्ध कालाजार व पीकेडीएल(पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस) के रोगियों की नि:शुल्क एवं पूर्ण इलाज ससमय मुहैया करायी जायेगी। अभियान को हर हाल में सफल बनाना है। इसको लेकर जिले के सभी बीसीएम को ट्रेनिंग दी गयी है । साथ ही अभियान के कुशल क्रियान्वयन को लेकर सभी बीसीएम को निर्देश भी दिया गया है. खोज अभियान में आशा घर-घर जाकर संदिग्ध कालाजार मरीजों की पहचान करेंगी.
रोगियों को मिलेगा उपचार और प्रोत्साहन राशि:
इस दौरान जिन व्यक्तियों को 2 सप्ताह से अधिक समय से बुखार रह रहा हो, वजन लगातार कम हो रहा हो, भूख नहीं लगती हो या चर्म कालाजार रोगी (जैसे सूखी सिहूली आदि) मरीजों की संबंधित पीएचसी में कालाजार की जांच की जाएगी। अगर वह कालाजार से ग्रसित पाए जाते हैं तो उनका संपूर्ण उपचार किया जाएगा। इलाज के पूरा हो जाने पर उन्हें 7100 की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।
6 माह माह तक निगरानी जरुरी:
कालाजार के लक्षणों के दिखने पर रोगी को तुरंत नजदीकी अस्पताल या प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजना चाहिए। कालाजार से प्रभावित, जो मरीज ठीक हो चुके होते हैं, उनकी 6 माह तक निगरानी बेहद जरुरी है। मादा बालू मक्खी ऐसे स्थानों पर अंडे देती है जो छायादार, नम तथा जैविक पदाथरें से परिपूर्ण हों। इनके जीवित रहने की अवधि सामान्यत: 16-20 दिन ही होती है, जिन घरों में बालू मक्खियां पाई जाती है, उन घरों में कालाजार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। बालू मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों के दरारों, और कम मिट्टी, जिसमें बहुत से जैविक तत्व और उच्च भूमिगत जल स्तर हो, आदि में पनपती है।
निर्धारित फॉर्मेट में करना है सर्वे:
मरीजों की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ताओं को एक फॉर्मेट उपलब्ध कराया जायेगा। जिसे लेकर वे घर-घर जायेंगी और निर्धारित सवाल का जवाब लेकर उस फार्मेट में भरना होगा। आशा अपने पोषण क्षेत्र के प्रत्येक घरों का सर्वे कर कालाजार मरीजों की पहचान करेंगी। अगर ऐसा कोई मरीज मिलता है तो उसे तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराना सुनिश्चित करेंगी। यह अभियान एक सप्ताह तक चलेगा। सर्वे रिपोर्ट प्रतिदिन आशा फैसलिटेटर को सौंपेंगी। जिसके आशा फैसलिटेटर व रिपोर्ट प्रखंड मुख्यालय को भेजेंगी। इसको लेकर सभी आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

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