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वार्षिकोत्सव में गूंजी छोटे उस्तादों की गायिकी 

वार्षिकोत्सव में गूंजी छोटे उस्तादों की गायिकी

आधुनिकता के दौर में आज जहांँ परिवार और समाज अपने मूल संस्कारों को खोते जा रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मोहन गार्डन में स्थित देव संगीत विद्यालय नन्हे-मुन्ने बच्चों को पुरातन गुरुकुल परंपरा का अनुसरण करते हुए बच्चों में छिपे गुण को तराश कर उसे हीरा बनाने की ओर अग्रसर है। मिथिला क्षेत्र में सदा से ज्ञान, संस्कार और संस्कृति केर साथ संगीत साधना की अपनी गौरवशाली परंपरा रही है। आज जहाँ मिथिलावासी अपनी प्रतिभा का परचम विश्व के हर कोने में फहरा रहे हैं। वहीं मिथिला के सहरसा जिलांतर्गत बसनही गांव के निवासी पं राणा झा, 70 के दशक से लगातार इस महानगरीय परिवेश में पल-बढ़ रहे नन्हें-मुन्ने बच्चों के शास्त्रीय संगीत की हुनर को निखारने के साथ उनके चारित्रिक विकास का अभूतपूर्व कार्य कर रहें हैं। विगत सालों में इनके विद्यालय के बच्चों ने जहाँ विभिन्न क्षेत्रों में सफलता का परचम लहराया है। वहीं इनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए इन्हें सुरमणि सम्मान, कला श्री सम्मान, संगीत वारिधि सम्मान, श्रेष्ठ गुरु सम्मान, सारंग देव सम्मान ,पं सीताराम हरि धनकर सम्मान सहित अनेक विशिष्ट सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। वर्तमान में ये अपनी शिष्या और अनुज पुत्री पुष्पा झा के साथ राजधानी दिल्ली में बच्चों के हुनर को तराशकर उनका भविष्य निखारने का काम कर रहे हैं।

बीते रविवार को आयोजित विद्यालय के वार्षिकोत्सव में नन्हें-मुन्ने उस्तादों की सधी हुई गायिकी ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मिथिला की बेटी एवं प्रसिद्ध गायिका सोनी चौधरी के संचालन में आयोजित वार्षिकोत्सव में कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत वरिष्ठ समाजसेवी एवं संस्कृति अनुरागी वंशीधर मिश्र के कर-कमलों से दीप प्रज्ज्वलन के बीच सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के साथ हुआ। कार्यक्रम में बच्चों द्वारा प्रस्तुत आलाप, बंदिश और तान सुनकर सहसा ही यह आभास हो रहा था कि आधुनिकता के दौर में भी नौनिहालों के हाथों भारत का शास्त्रीय और सांस्कृतिक भविष्य सुरक्षित है। प्रतिभागी बच्चों में शामिल कृष्णा चौधरी, सगुण, आदित्य झा, षष्ठी, लीजा, वंशिका, प्रीति, अदिति, मनबल, पार्थ, लक्की, काव्य, अंजू, एंजल, खुशबू, हन्नू, क्षितिज आदि ने

राग यमन, विहग, मालकौंस, धनाश्री, जौनपुरी, खमाज, भूपाली, मेघ, भीमपलाशी, भैरवी, आशावरी, शंकरा, बिलावल आदि में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर श्रोताओं का दिल जीतने में कामयाबी हासिल की।

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