विद्यापति सेवा संस्थान ने मनाई वाजपेयी की छठी पुण्यतिथि

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की छठी पुण्य तिथि के अवसर पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में शुक्रवार को एमएलएसएम कॉलेज के सभागार में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। मौके पर अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
श्रद्धांजलि सभा में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें मानवीय चेतना संपन्न व्यक्तित्व का काव्य जगत की ओर से राजनीति को दिया गया अनमोल उपहार बताया। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो लक्ष्मी निवास पांडेय ने अपने संबोधन में विकसित भारत के निर्माण में वाजपेयी के योगदानों को रेखांकित करते हुए बदले हालातों में ‘मिथिला ने क्या खोया और क्या पाया’ विषय पर विचार विमर्श करने की जरूरत पर बल दिया।
संस्थान के अध्यक्ष सह कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा शशिनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में दरभंगा के सांसद डा गोपालजी ठाकुर ने कहा कि मिथिला और मैथिली के प्रति पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को विशेष लगाव था। खंडित मिथिला को एक सूत्र में बांधने के लिए कोसी नदी पर महासेतु के निर्माण और मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने में स्व वाजपेयी के दिए योगदानों से यह साबित होता है। अपने संबोधन में उन्होंने स्व वाजपेयी के सपनों का मिथिला बनाने के लिए सभी संगठनों द्वारा संगठित होकर मिथिला-मैथिली के विकास की मांगों को सही प्लेटफार्म पर रखे जाने को समय की जरूरत बताया। वहीं राज्यसभा सांसद डा धर्मशीला गुप्ता ने वाजपेयी जी के सद्प्रयास से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल जनक-जानकी की भाषा मैथिली के अधिकारों का चिंतन करते हुए इसके लिए एकजुट होकर प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मैथिली को संविधान प्रदत्त अधिकार मिलना वाजपेयी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
पूर्व विधान पार्षद प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने स्व वाजपेयी के मिथिला, मैथिली व मैथिल से प्रेम व लगाव की चर्चा करते कहा कि जब हमें संवैधानिक अधिकार मिले हैं, तो प्राथमिक शिक्षा में मैथिली की पढ़ाई, धरोहर लिपि मिथिलाक्षर के संरक्षण व संवर्धन सहित राजकाज की भाषा मैथिली निश्चित रूप से बनेगी। लेकिन इसके लिए मिथिला में रहने वाले सभी मैथिलों को अपने अधिकार एवं कर्तव्य का बोध करना होगा।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने वाजपेयी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें मैथिली व मिथिला के विकास का पैरोकार बताया। उन्होंने कहा कि मिथिला और मैथिली के विकास के लिए जो भी मसले उनके समक्ष ले जाये गये, वे हमेशा इसके निदान के लिए तैयार बैठे मिले। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा देवनारायण झा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी अपने नाम के अनुरूप विकट आंधी-तूफान जन्य परिस्थितियों से जूझ कर देश की मान-प्रतिष्ठा तथा संस्कृति की रक्षा की। भारत मां के इस सपूत पर समस्त भारतवासियों को आज भी गर्व है।
संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा के संचालन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने मिथिला मैथिली के विकास में स्व वाजपेयी के योगदानों की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें मिथिला-मैथिली का सच्चा हितैषी बताया। उन्होंने कहा कि अटलजी की सरकार ने करोड़ों मिथिलावासी के मां की भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के साथ ही अनेक वर्षों से दो भाग में विभक्त होने का दंश झेल रहे मिथिला को एक करने का गौरवशाली उपहार प्रदान किया। अपने संबोधन में उन्होंने अटल के सपनों का मिथिला बनाने के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन को जरूरी बताया। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने स्व वाजपेयी को भारतीय दर्शन एवं सांस्कृतिक चेतना को समर्पित व्यक्तित्व बताते हुए मिथिला को सब कुछ देने की चाहत रखने वाला महान व्यक्ति बताया।
अध्यक्षीय संबोधन में डा शशिनाथ झा झा ने मातृभाषा मैथिली के प्रति मिथिला के लोगों में कम हो रहे भावनात्मक आकर्षण के प्रति चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि प्रतिभा के धनी इस क्षेत्र के लोगों को पढ़ाई, दवाई और कमाई के लिए आज भी पलायन करना पड़ रहा है, यह गंभीर चिंतन का विषय है। मौके पर एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डा शंभु कुमार यादव, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव प्रो अजीत कुमार सिंह, अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के अध्यक्ष डा महेंद्र नारायण राम, प्रो अजीत कुमार चौधरी, प्रो उदय शंकर मिश्र आदि ने भी अपने विचार रखे। इससे पहले महाविद्यालय में रूसा फंड से महाविद्यालय परिसर में निर्मित भवनों का कुलपति ने फीता काट कर उद्घाटन किया। धन्यवाद ज्ञापन एमएलएसएम कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डा विद्यानाथ झा ने किया।
इस अवसर पर डा उदय कांत मिश्र, विनोद कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, हरि किशोर चौधरी, चन्द्र मोहन झा, चौधरी फूल कुमार राय, उज्ज्वल कुमार झा, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
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