आम लोगों को खूब भाई मिथिला पेंटिंग की कलाकारी

किसी भी कला को निरूपित करने में कलाकार की भावना और अपनी कृति को लेकर उसके मन में उपजे भाव का विशेष महत्व होता है। उक्त बातें पद्मश्री दुलारी देवी ने शुक्रवार को विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित 52 वें मिथिला विभूति पर्व समारोह अंतर्गत मिथिला पेंटिंग प्रतियोगिता का शुभारंभ करते कही। उन्होंने कहा कि मिथिला की धरोहर कला को विकास की पटरी पर दौड़ने में यहां की नारी शक्ति का विशेष योगदान रहा है। इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।
मौके पर अपने विचार रखते हुए पद्मश्री शिवम पासवान ने कहा कि मिथिला चित्रकला के विभिन्न चित्रों की अपनी विशेषता है, जो जीवन के दर्शन से सहज रूप में जुड़ा होने के साथ ही वैज्ञानिक महत्व को भी प्रमाणित करती है। मिथिला चित्रकला की नेशनल अवार्डी रानी झा ने वर्ष 1934 के प्रलयंकारी भूकंप के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाली मिथिला की लोक चित्रकला को आपदा को अवसर में तब्दील करने का सशक्त उदाहरण बताया। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने मिथिला की सदियों पुरानी धरोहर कला को जीवंत बनाने में मैथिलानी के योगदान की चर्चा करते हुए इसकी सही तरीके से ब्रांडिंग करने के लिए युवाओं को आगे आने का आह्वान किया।
मौके पर संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने मिथिला पेंटिंग को जनक जानकी की भूमि का सदियों पुराना हुनर बताते हुए इसकी जीआई टैगिंग किसी क्षेत्र विशेष के नाम पर किए जाने पर आपत्ति जताई। इसके साथ ही उन्होंने मिथिला को विभिन्न अंचलों के नाम से खंडित किए जाने को राजनीतिक साजिश करार देते हुए इसके विरुद्ध सभी मिथिला वासी को एकजुटता का प्रदर्शन करने का आह्वान किया। संस्थान के सचिव प्रो जीवकांत मिश्र एवं मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने मिथिला की चित्रकला को महिला सशक्तिकरण का आधार बताते हुए इस क्षेत्र में लगे लोगों से आत्मनिर्भरता के साथ नई दृष्टि लेकर क्रांति का बिगुल फूंकने का आह्वान किया ताकि इस धरोहर कला के बाजार पर बिचौलियों के प्रभाव को जड़ मूल से खत्म किया जा सके।
कलादीर्घा के संयोजक आशीष चौधरी, पुरूषोत्तम वत्स एवं मणि भूषण राजू के संयुक्त संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में मुकेश महासेठ, गजेंद्र मंडल, बालेंदु झा, विजय मिश्र, डाॅ गणेश कांत झा, डा उदय कांत मिश्र, प्रो चन्द्र शेखर झा बूढाभाई, विनोद कुमार झा, आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले युवाओं एवं बाल प्रतिभा को सम्मानित किया गया।
मिथिला लोक चित्रकला प्रतियोगिता 2024 के अंतर्गत परिणाम घोषणा एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन विद्यापति सेवा संस्थान दरभंगा के तत्वाधान में मिथिला विभूति पर्व समारोह के तीसरे दिन किया गया।
इसमें सभी प्रतिभागियों का तैयार मिथिला पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाई गई जिसे पांच सदस्य निर्णायक मंडल ने लगभग 160 प्रतिभागियों के बीच प्रथम द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कारों की घोषणा की।
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