ठंड के मौसम में नवजात के लिये वरदान साबित हो रहा डीएमसीएच के शिशु विभाग का कंगारू मदर केयर यूनिट
• नवजात को हाइपोथर्मिया से बचाव के लिये शुरू किया गया था केएमसी यूनिट
• लगभग 11 लाख की अधिक लागत से हुआ है निर्माण
• कम वजन के बच्चों चिकित्सयीय देख- रेख में होता सही उपचार
• अब तक 300 से अधिक नवजात को ठीक होने के बाद किया गया डिस्चार्ज
दरभंगा डीएमसीएच( दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) के शिशु विभाग में स्थित कंगारू मदर केयर यूनिट गुड़िया के नवजात के लिए जीवनदायनी साबित हुआ है. सहौड़ा आनंदपुर निवासी चंदन पासवान गुड़िया देवी के नवजात को कंगारू मदर केयर में भर्ती कर नया जीवन दिया गया. जन्म के समय नवजात का वजन 2.5 किलो से कम था. नवजात मां का दूध भी नही पी रहा था. लेकिन सही समय पर बच्चे को कंगारू मदर केयर यूनिट में भर्ती किया गया. चिकित्सक व नर्स ने गुड़िया को नवजात को गर्म रखने का गुर बताए. साथ ही हमेशा उसे छाती से लगाकर रखने की विधि बतायी गयी. लगातार उसको स्तनपान करने की बात कही गयी. बीच- बीच में जाकर चिकित्सक व नर्स की ओर से मानिटरिंग की गयी. नतीजतन नवजात अब ठीक है. मां का दूध भी पी रहा है.
‘‘बच्चे का जन्म आनंदपुर के एक अस्पताल में हुआ था. वहां वह लगातार रो रहा था. दूध भी नहीं पी रहा था. इससे सभी परिवार के लोग चिंतित हो गये. किसी ने डीएमसीएच में भर्ती कराने की सलाह दी. यहां भर्ती कराने के बाद चिकित्सकों ने कंगारू मदर केयर ले गये. यहां अब सब कुछ ठीक है. सिर्फ नियमित रूप से स्तनपान एवं कंगारू मदर केयर से मेरा बच्चा ठीक हो गया है. इसके विषय में मैं अब दूसरों को भी जानकारी दूंगी’’- गुडिया ने बताया.
300 से अधिक नवजातों को मिला लाभ:
डीएमसीएच के शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. केएन मिश्रा ने बताया केएमसी यूनिटकी शुरुआत पिछले वर्ष से ही हुयी है. अभी तक 300 से अधिक नवजातों को इस यूनिट में भर्ती किया गया है. सभी भर्ती हुए नवजातों को स्वास्थ्य लाभ मिलने के बाद ही डिस्चार्ज किया गया. 2.5 किलोग्राम से कम वजन के बच्चे एवं जन्म के बाद स्तनपान नहीं कर सकने वाले बच्चों को इस यूनिट से बहुत लाभ मिलता है. मां के छाती से लिपटकर बच्चा के शरीर का तापपान सामान्य हो जाता है. इससे मां का दूध भी ज्यादा होता है. धीरे- धीरे उसका वजन भी सामान्य होने लगता है. इस दौरान उसे एंटिबायोटिक का भी सही डोज दिया जाता है. स्वस्थ्य होने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया जाता है. डिस्चार्ज के सयम चिकित्सक व नर्स मां को यही तरीका घर पर अपनाने का गुर सिखाते हैं.
लगभग 11 लाख की लागत से निर्माण:
इस यूनिट की शुरुआत पिछले वर्ष के सितंबर माह से हुयी है. इसके निर्माण में लगभग 11 लाख की लागत आयी है यूनिट में 10 विशेष प्रकार के बेड व चेयर लगे हुये हैं. उस पर ही लेटकर मां अपने बच्चों को छाती से चिपकाकर उन्हें कंगारू मदर केयर देती हैं.
शिशु के मृत्यु दर में आएगी कमी
डीएमसीएच के शिशु विभाग में संचालित कंगारू मदर केयर माता व उनके नवजात के लिये वरदान साबित हो रहा है. खासकर ठंड के मौसम में हाइपोथर्मिया नामक खतरनाक रोग से बचाव कर, नवजात को गर्म रखने के लिये यह यूनिट मददगार साबित हो रहा है. साथ ही कम वजन वाले बच्चों के लिये भी कंगारू मदर केयर यूनिट सफल साबित हो रहा है. इस यूनिट में मां को अपने बच्चों को गर्म रखने की विधि बतायी जाती है. इसके मद्देनजर रोजाना एसएनसीयू के चिकित्सक व नर्स यूनिट का राउंड लगाते हैं. यूनिट में मां को बताया जाता है कि वह अपने नवजात को छाती से लगाकर कैसे गर्माहट दे सकती है. इस विधि को अपनाकर नवजात को गर्म रखा जाता है. ताकि बच्चे के शरीर का तापमान अचानक ना कम जाए. जिसे चिकित्सकीय भाषा में हाइपोथर्मिया कहा जाता है।