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RNSS ने जगाया स्वाभिमान, अब लड़ाई निर्णायक मोड़ पर – प्रो. अखिलेश कुमार • निरंजन जायसवाल की रिपोर्ट

RNSS ने जगाया स्वाभिमान, अब लड़ाई निर्णायक मोड़ पर – प्रो. अखिलेश कुमार

 

रचनात्मक नोनिया संयुक्त संघ (RNSS) ने पूरे बिहार में सामाजिक जागरूकता और हक की लड़ाई को नई ऊर्जा दी है। RNSS शिक्षा एवं रोजगार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. अखिलेश कुमार ने RNSS के पांचवें राष्ट्रीय महाधिवेशन को न्याय, अधिकार और स्वाभिमान की निर्णायक लड़ाई करार देते हुए कहा कि “अब हमारे समाज को हाशिए पर रखने की कोई साजिश काम नहीं आएगी। RNSS के संघर्ष ने यह साबित कर दिया है कि नोनिया, बिंद, बेलदार समाज अपने अधिकारों के लिए हर स्तर पर लड़ने के लिए तैयार है।”

 

उन्होंने कहा कि “RNSS सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि यह उस आग का नाम है, जिसने समाज को उसकी शक्ति और गौरवशाली इतिहास से जोड़ा है। वर्षों तक हमें हाशिए पर रखा गया, लेकिन अब बदलाव की बयार आ चुकी है। समाज के हर वर्ग को अब एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा। यह महाधिवेशन सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि यह भविष्य की रणनीति तय करने का संग्राम है।”

 

बिहार में संघर्ष की नई लहर

बिहार के कोने-कोने से हजारों लोग 14 अप्रैल को पटना के मिलर हाई स्कूल ग्राउंड में जुटेंगे, जहां यह महाधिवेशन नई दिशा और दशा तय करेगा। प्रो. अखिलेश कुमार ने कहा कि RNSS के पिछले सामाजिक आंदोलन इतिहास में दर्ज किए जाएंगे। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “यह सिर्फ मंच पर भाषण देने की लड़ाई नहीं, बल्कि समाज के भविष्य को संवारने की निर्णायक घड़ी है। हमारी शिक्षा, रोजगार, राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक अधिकारों के लिए अब हर स्तर पर संघर्ष होगा।”

 

उन्होंने कहा कि “हमारा समाज सिर्फ श्रमजीवी नहीं, बल्कि योद्धाओं का समाज है। जब-जब अन्याय हुआ, हमने संघर्ष किया। RNSS ने इस आंदोलन को धार दी है, और अब इसे कोई रोक नहीं सकता।”

 

महाधिवेशन में उठेंगी ऐतिहासिक मांगें

 

इस महाधिवेशन में नोनिया, बिंद, बेलदार समाज की प्रमुख मांगों को मजबूती से सरकार के सामने रखा जाएगा, जिनमें शामिल हैं:

 

• अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की अधिसूचना जल्द से जल्द जारी की जाए।

•  पारंपरिक व्यवसायों को आरक्षित कर समाज की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जाए।

• नोनिया, बिंद, बेलदार समाज की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

• जातीय पहचान को स्पष्ट करने के लिए सरकारी दस्तावेजों में जातीय कोड (Caste Code) निर्धारित किया जाए।

• भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।

 

अब संघर्ष नहीं रुकेगा

 

प्रो. अखिलेश कुमार ने RNSS के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि “संघ ने सामाजिक चेतना को जगाने और हक की लड़ाई को धार देने का जो काम किया है, वह इतिहास रचेगा। अब यह आंदोलन सिर्फ मांग रखने तक सीमित नहीं रहेगा। अगर सरकार हमारी बात नहीं सुनती, तो हम निर्णायक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।” उन्होंने पूरे बिहार के सामाजिक बंधुओं से 14 अप्रैल को पटना पहुंचने और इस आंदोलन का गवाह बनने की अपील की।

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