सीनेट की बैठक में भाग लेने दरभंगा पहुंची MLC शशि यादव
संस्कृत वि वि का अपेक्षित विकास नहीं होना बिहार सरकार की नाकामी का परिचय – शशि यादव
सीनेट बैठक में सत्ताधारी दलों के सदस्यों का बिहार विधान परिषद सदस्या के साथ अनुचित व्यवहार निंदनीय – आइसा
विश्वविद्यालय को प्राइवेट कंपनी बनाने का खेल नहीं चलेगा–संदीप चौधरी

दरभंगा बिहार विधान परिषद की सदस्य सह सीनेट सदस्य शशि यादव ने आज संस्कृत वि वि मे सीनेट की बैठक में अपनी बात रखते हुए कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय पुराना और विशिष्ट विश्वविद्यालय है लेकिन हम अभी तक संस्कृत लर्निंग और शोध का उत्कृष्ट विश्वविद्यालय इसे नहीं बना पाए। विद्वान प्रोफेसर इसका अवलोकन जरूर करेंगे। हम प्रतिभाओं को आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं। इसका एक कारण यह भी है कि हमारा विश्वविद्यालय अभी तक समावेशी नहीं हो सका है। सभी समुदायों और खासकर महिलाओं की सहभागिता से ही हम इस दिशा में मुकाम हासिल कर सकते हैं। संस्कृत साहित्य के बहुआयामी अध्ययन और शोध से ही कर्मकांडी जड़ता टूटेगी।
एक मेरी आलोचना है। वो भी आपके बीच रखना चाहूंगी। वो है विश्वविद्यालय का प्रोफेशनल ढंग से संचालन नहीं होना। हमलोग मुख्यमंत्री अथवा विभाग के सचिवों को पत्र लिखते हैं, उस पर तत्काल संज्ञान लिया जाता है और कृत कारवाई की सूचना दी जाती है। लेकिन संस्कृत विश्वविद्यालय स्लीपिंग मोड में रहता है। मैने काफी पहले पत्र विश्विद्यालय को भेजा था लेकिन अभी तक कोई संज्ञान नहीं!आप सोचिए! सीनेट की बैठक की कोई विधिवत सूचना मुझे नहीं मिली। संस्थाओं का अनादर विश्विद्यालय को प्राइवेट कंपनी में तब्दील कर देता है। मैं भाकपा माले से जुड़ी हूं,और महिला/ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट हूं,हो सकता है कि विश्वविद्यालय मेरी उपस्थिति से असहज हो। लेकिन हम सबों को यह जानना चाहिए कि जनता के पैसे से जनहित में कार्य करने की हम सबों की जिम्मेवारी है। सीनेट,सिंडिकेट विश्वविद्यालय का सुप्रीम बॉडी है। इसकी अवहेलना होगी, इसके दिशा निर्देश के तहत काम करने से मना किया जाएगा, शिक्षक शिक्षकेतर कर्मियों के हितों की अनदेखी होगी, तो मेरी आवाज को कोई नहीं रोक पाएगा। सरकार से पैसे मिल रहे हैं तब विधिवत ढंग से नियुक्त शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों को वेतन भुगतान क्यों नहीं हो रहा है ।जगह जगह से शिकायतें आ रही हैं। इस पर विश्विद्यालय संज्ञान ले। निसंदेह विधिसम्मत प्रक्रिया,आरक्षण के रोस्टर का अनुपालन हो और साथ ही विश्वविद्यालय की संरचना में विविधता लाई जाए। छात्र छात्राओं की संरचना में भी व्यापकता लाई जाय और इसके लिए विश्विद्यालय को विशेष अभियान चलाना चाहिए। उम्मीद है कि सदन इस दिशा में अपेक्षित कदम उठाएगा।
वही उन्होंने कहा कि वि वि को अपेक्षित बजट नहीं मिल रहा है।आखिर इसके पीछे कौन जिम्मेवार है। बिहार के अंदर कई सालों से भाजपा – जदयू की सरकार है लेकिन संस्कृत वि वि को बजट की पूर्ति नहीं हो पा रही है। जिसके कारण शिक्षक कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कुलपति महोदय से इस मसले पर संज्ञान लेने को कहा।
वही उन्होंने सीनेट की बैठक में पत्रकारों को आमंत्रण नहीं देने पर भी अपना विरोध दर्ज की।
*आइसा ने भाजपा – जदयू के सदस्यों द्वारा सीनेट सदस्या के किया गए बर्ताव की निंदा की*
वही आइसा नेता प्रिंस राज ने सीनेट की बैठक के दौरान संस्कृत वि वि का अपेक्षित बजट सरकार द्वारा नहीं दिए जाने को लेकर बिहार सरकार के उच्च शिक्षा में कटौती नीति को जिम्मेवार ठहराया।सत्ताधारी दलों का व्यवहार और शोर शराबा गलत है।उन्होंने विरोध करने वाली सीनेट सदस्य सह बिहार विधान परिषद की सदस्य शशि यादव पर भाजपा – जदयू के सदस्यों द्वारा किया गए बर्ताव की निंदा किया है।
श्री राज ने कहा कि पूरे बिहार में सिर्फ एक संस्कृत वि वि है। लेकिन आज उसका हाल भी बुरा बना हुआ है। शिक्षक – कर्मचारी से लेकर छात्र – छात्राओं का हाल बुरा बना हुआ है। सिर्फ डिग्री खानापूर्ति का वि वि बनकर रह गया है। जिसको लेकर अभी को विचार विमर्श करना चाहिए। इंकलाबी नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष संदीप कुमार चौधरी ने कहा कि शोर शराबा से सवालों को दबाया नहीं जा सकता। आइसा और RYA के सदस्यों ने विधान पार्षद का स्वागत किया।
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