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विवाह पंचमी महोत्सव को लेकर जनकपुर में उमड़ रहा श्रद्धालुओं का सैलाब

विवाह पंचमी महोत्सव को लेकर जनकपुर में उमड़ रहा श्रद्धालुओं का सैलाब

 

राम-सीता विवाहोत्सव में भारत-नेपाल की साझा संस्कृति की मिलेगी अद्भुत झलक, जनकपुरधाम में जुटे हजारों श्रद्धालु

जनकपुरधाम (नेपाल) में इन दिनों भगवान श्रीराम एवं जनकनन्दिनी जानकी के विवाह महोत्सव के रंग और उमंग में सराबोर है। आगामी 25 नवम्बर को विवाह पंचमी के पावन अवसर पर त्रेता युग के पवित्र ‘विवाह-स्थल’ जनकपुरधाम स्थित जानकी मंदिर में विवाह पंचमी महोत्सव को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है। इस पर्व को भव्य रूप से मनाने के लिए पूरे मिथिला और नेपाल के मधेश प्रदेश में भव्य तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। जानकी मंदिर परिसर से लेकर जनक चौक, रामानन्द चौक और बारह बीघा मैदान तक रंग-बिरंगी सजावट, बिजली के झिलमिल झालर और सांस्कृतिक मंचों की तैयारियों ने पूरे शहर को उत्सवमय बना दिया है।

जानकी मंदिर, जनकपुर धाम के उत्तराधिकारी महंत मिथिला विभूति श्रीराम रोशन दास के अनुसार अयोध्या से प्रतीकात्मक बारात का आगमन हर वर्ष की भांति इस साल भी अयोध्या से भगवान राम की प्रतीकात्मक बारात जनकपुरधाम पहुंच रही है। पारंपरिक वाद्य यंत्रों से गूंजित, ध्वज-पताका और धार्मिक झांकियों से सजी यह शोभा यात्रा मुख्य आकर्षण रहती है। बारात का स्वागत मिथिला की पारंपरिक अरिपन, पुष्पवर्षा और नृत्य से किया जाएगा।

जानकी मंदिर में विशेष विवाह उत्सव जानकी मंदिर में दोपहर से देर रात तक धार्मिक अनुष्ठान और ‘राम-सीता विवाह’ का प्रतीकात्मक पुनःअभिनय आयोजित होगा। पुरोहितों द्वारा विशेष वैदिक मंत्रोच्चार, सीता-स्वयंवर की रीतियों और मंगलगीतों के बीच पूरा वातावरण आध्यात्म और उत्सव से भर उठेगा।

भारत से आने वाले श्रद्धालु समूहों की संख्या इस वर्ष और अधिक है। दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल, सहरसा और अयोध्या क्षेत्र से हजारों श्रद्धालु जनकपुर धाम पहुंच चुके हैं। होटल, धर्मशाला और सार्वजनिक विश्रामगृहों में भीड़ बढ़ चुकी है।, नेपाल पुलिस, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं की टीमें अभी से ही भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा, चिकित्सा और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था को लेकर शहर भर में तैनात हैं। सार्वजनिक स्थलों पर (एलइडी) स्क्रीन से विवाह-अनुष्ठान लाइव दिखाया जाएगा।

विवाह पंचमी का दिन शुभ लेकिन विवाह मुहूर्त के लिए उपयुक्त नहीं, के सवाल पर महंत रामरोशन दास कहते हैं कि पंडितों के अनुसार यह दिन राम-सीता विवाह की स्मृति में पवित्र माना जाता है, परंपरा में इस दिन व्यक्तिगत विवाह कराने का भले प्रचलन नहीं है परंतु, भक्त पूजा, व्रत और दान के माध्यम से जनक नन्दिनी जानकी और मर्यादा पुरुषोत्तम पाहुन श्रीराम का शुभाशीष प्राप्त करते हैं।

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