पटना : राष्ट्रपति चुनाव में जदयू द्वारा एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किए जाने के बाद से महागठबंधन के प्रमुख घटक दल राजद व जदयू के बीच बयानबाजी का सिलसिला लगातार जारी है. राजद नेताओं के लगातार तीखे हमले से परेशान जदयू ने भी अाज पलटवार किया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने रविवार को नाराजगी भरे स्वर में कहा कि जदयू को कोई डिक्टेट नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि जदयू ने राजद नेताओं के बयान को गंभीरता से लिया है. सरकार में बैठे लोगों से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि दूसरों को नसीहत देने से बेहतर होगा कि राजद महागठबंधन का धर्म निभाए.
वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर राजद की बौखलाहट हमारे लिए समझ से परे है. गठबंधन और पार्टियां की नीतियां दोनों अलग-अलग चीजें हैं. जदयू ने इस मामले में सबके सामने खुलकर अपनी बात रखी है और इसको लेकर किसी भी चीज को छुपाया नहीं गया है. उन्होंने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद को यह बता दिया था कि वे कोविंद का साथ क्यों दे रहे हैं. फिर भी राजद के नेता बेवजह मुद्दा बना रहे हैं.
जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण ने कहा कि बिहार में महागठबंधन की सरकार है लेकिन कांग्रेस, जदयू और राजद अलग-अलग पार्टियां हैं. ऐसे में राजनीतिक दलों को अपने स्तर से फैसला करने का पूरा अधिकार है. वहीं जदयू नेता संजय सिंह ने लालू यादव से सवाल करते हुए कहा कि राजद प्रमुख को ऐसे लोगों पर लगाम लगाना चाहिए.
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को जदयू के समर्थन देने के एेलान के बाद से ही महागठबंधन में लगातार हंगामा मचा हुआ है. कोविंद को जदयू के समर्थन की घोषणा के बाद से ही नीतीश कुमार अपने ही सहयोगियों के निशाने पर हैं. राजद के विधायक भाई वीरेंद्र के साथ-साथ कांग्रेस के नेता भी नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे हैं. इन सबके बीच जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपने सहयोगियों पर अाज बड़ा हमला बोलते हुए यह बातें कहीं है. उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान पर लगाम लगे नहीं तो ये महागठबंधन के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.
वहीं, जदयू के बयान पर राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने पलटवार करते हुए कहा कि हमने अपना स्टैंड ले लिया है. हम शुरू से ही आरएसएस विचारधारा के खिलाफ हैं और हम रामनाथ काेविंद के समर्थन में नहीं जा सकते.