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मानसून में ऐसे करेंगे अपने नवजात बच्चे की देखभाल, तो नहीं पड़ेगा बीमार समय पर टीकाकरण से जानलेवा बीमारी से मिलती मुक्ति 6 माह तक केवल स्तनपान ही कराएं ।। संपादकीय (दरभंगा news 24 live)

मानसून में ऐसे करेंगे अपने नवजात बच्चे की देखभाल, तो नहीं पड़ेगा बीमार
समय पर टीकाकरण से जानलेवा बीमारी से मिलती मुक्ति
6 माह तक केवल स्तनपान ही कराएं

दरभंगा. 15 जुलाई. मानसून का मौसम अपने साथ ढ़ेर सारी बीमारियों को आमंत्रण देता है। ऐसे में नवजात बच्चे की देखभाल में लापरवाही बरतने से कई बार बड़ा खामियाजा भी उठाना पड़ जाता है। तो यदि आप यह चाहते है राज कैम्पस पीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ मनोज कुमार बताते हैं कि अन्य मौसम की अपेक्षा बारिश में संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है। खासकर नवजात को विशेष देखभाल की ज़रुरत पड़ती है। इसलिए हर पल परिवार के सदस्यों को ज़्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए। थोड़ी सी भी असावधानी बरतने पर बच्चा बीमार पर सकता है। बच्चे को किसी प्रकार की अस्वस्थता होने पर तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही बच्चों को जानलेवा बीमारी से रक्षार्थ टीकाकरण आवश्यक है। अभिभावकों को सभी टीका दिलाना चाहिए। इसका कोई भी साइड इफ़ेक्ट नही होता है। इसके अलावा निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि बच्चा बीमारी से दूर रहे।

1. सफाई का विशेष ध्यान रखें
डॉ कुमार ने बताया मानसून में शिशु की सफाई का पूरा ख्‍याल रखना चाहिये। इस समय उनको पसीना बहुत होता है इसलिये यह जरुरी है कि उन्‍हें एन्टिसेप्‍टिक साबुन से रोज एक बार जरुर नहलाया जाए। अगर सफाई का ध्‍यान नहीं दिया गया तो बाद में यही पसीना फंगल इन्‍फेक्‍शन, रैश और एलर्जी का रूप ले लेगी। साथ ही बच्चों के बिस्तर आदि की साफ-सफाई का भी ध्यान रखें और उन्हें बाहर की हवा लगवाते रहें। बच्चा जहां सोता है वह जगह सूखी और साफ होनी चाहिए। अगर आप का बच्चा बहुत छोटा है और रात में नींद में पेशाब करता है तो बेहतर होगा कि इन दिनों उसे डायपर बांध कर सुलाएं।

2. पौष्टिक आहार का सेवन कराएं- डॉ कुमार ने बताया मानसून में ज्‍यादातर बीमारियां दूषित पेय पदार्थ और मसाले वाले खाने से होती हैं। इस समय अपने बच्‍चे का खाने-पीने के मामले में बहुत ख्‍याल रखें। इस मौसम बच्चे को घर का बना पौष्टिक खाना खिलाएँ, उबला पानी ही पिलाएं। और 6 माह तक के शिशु को केवल स्तनपान ही कराएं।

3. मच्‍छरों से बचाएं- डॉ कुमार ने बताया शिशु को खतरा पहुंचाने वाले मच्‍छरों से बचाए क्‍योंकि बारिश के मौसम में यह अपने साथ कई बीमारियां ले कर आते हैं। बच्‍चे के पैर और हाथ पूरी तरह से कपड़े से ढंक दें तथा रात में सुलाते वक्‍त मच्‍छरदानी में ही सुलाएं। बच्‍चे के कमरे में कभी भी कोई हानिकारक कीटनाषक ना छिड़के। बच्चे घर से बाहर जाएं तो उन्हें जूते भी पहनाएं ताकि कीड़े-मकौड़ों के अलावा घास व पौधों से निकलने वाले रसायनों से उन्हें बचाया जा सके। यह भी ध्यान रखें कि बच्चों के कपड़े और जूते पूरी तरह से सूखे हों।

3.सामान्य देखभाल- डॉ कुमार ने बताया इन दिनों आपको हमेशा ख्‍याल रखना होगा कि कभी भी आपका बच्‍चा गीली नैपी में ना रहे वरना उसे रैश की समस्‍या हो जाएगी। हफ्ते में एक बार उसमें नाखूनों को जरुर काटें। अपने घर को साफ-सुथरा और मच्‍छरों से मुक्‍त रखें।

4.सही समय पर टीकाकरण अवश्य कराएं:
डॉ कुमार ने बताया कि जन्म पर नवजात को – बीसीजी, ओरल पोलियो वैक्सीन और हैपेटाइटस बी का छह महीने पर डीपीटी-1, इनएक्टिवेटिड पोलियो वैक्‍सीन , रोटावायरस-1, न्‍यूमोकॉकल कॉन्‍जुगेट वैक्‍सीन, 10 हफ़्तों पर – डीपीटी-2, ओपीवी टू, रोटावायरस-2, 14 हफ़्तों पर – डीपीटी-3, OPV-3, रोटावायरस-3, आईपीवी -2, पीसीवी-2, 9-12 महीनों पर – खसरा और रूबेला-1, 16-24 महीनों पर – खसरा-2, डीपीटी बूस्टर-1, ओपीवी बूस्टर, 5-6 साल पर डीपीटी बूस्टर-2, 10 साल पर टेटनस टोक्सॉइड?/ टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया एवं 16 साल – टेटनस टोक्सॉइड?/ टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया का टीका देना जरूरी होता है। इस प्रकार पूरे टीकाकरण से बच्चे की ज़िंदगी खुशहाल रहती है।

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