बच्चों को कराए स्तनपान, रहेगा निरोग
बोतल के दूध से हो सकता बीमार
स्तनपान कराने से मां और बच्चे दोनों को होता है लाभ
बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए माँ के दूध से बेहतर कुछ भी नहीं
दरभंगा. मां बनने का अहसास ही अलग होता है, मातृत्व में आने के बाद माएं अपने शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए हर छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखती हैं। जब एक नई जिंदगी इस दुनिया में आती है तो वह बेहद ही नाजुक होती है। उसे जरूरत होती है सम्पूर्ण आहार की जो उसे मां के दूध से मिलता है। इसीलिए नवजात का सर्वोत्तम आहार मां के दूध को माना गया है। डीएमसीएच के वरीय चिकित्सक डॉ अमोद ने बताया बच्चे के लिए मां का दूध अमृत के समान है। इससे बच्चे का संपूर्ण विकास होता है। बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए माँ के दूध से बेहतर कुछ भी नहीं होता। विशेष परिस्थिति को छोड़कर मां को अपने बच्चों को नियमित स्तनपान कराना चाहिए, जिससे मां और बच्चा दोनों को फायदा होता है। वही बाजार का दूध बच्चों के लिए नुकसानदायक होता है जो उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
स्तनपान कराने से मां और बच्चे दोनों को होता है लाभ
मां के दूध में सभी वो पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शुरुआती बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो सकते हैं। शुरुआती छह महीने तक बच्चों को स्तनपान कराना बहुत जरूरी होता है। इससे उनके शरीर को विकसित होने में काफी मदद मिलती है। इसके बाद भी कई महिलाएं फिगर खराब होने के डर से अपने बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं। जबकि स्तनपान, वजन कम करने में सहायक होता है, जब माँ, अपने शिशु को स्तनपान कराती है तो उसका शरीर लगभग 450 से 500 कैलोरी खर्च करता है, इससे प्राकृतिक ढंग से वजन कम करने मे मदद मिलती है।
मां के लिए स्तनपान कराने के हैं बहुत से लाभ
– प्राकृतिक ढंग से वजन कम करने में है सहायक
– स्तन व गर्भाशय जैसे विशेष कैंसर्स और डायबिटीज जैसी बीमारियों की संभावना कम होती है
– माँ और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ते को करता है मजबूत
– डिलिवरी के बाद कम से कम ब्लड लॉस
– पोस्ट पार्टम डिप्रेशन से बचाव
– स्तनपान कराने से हड्डियां होती है मजबूत
– स्तनपान के दौरान गर्भ धारण की सम्भवना कम होती है।
बोतल के दूध से होता है नकुसान, बच्चों के पेट में पहुंच सकते हैं खतरनाक रसायन
डॉ आमोद के अनुसार मार्केट में मिलने वाले दूध में सिर्फ मिलावट का खतरा ही नहीं होता है, बल्कि इनमें काफी मात्रा में कैलोरी होती है जो बच्चे के मोटापे की वजह बनती है। एक रिसर्च में ये पाया गया कि बोतल से दूध पीने वाले बच्चे मोटापे का जल्दी शिकार होते हैं।इसके साथ ही उन्होंने बताया महिलाएं बच्चों को दूध पिलाने के लए जो प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करती हैं। वह प्लास्टिक कई तरह के रसायनों को मिलाकर बनाया जाता है। जब इसमें बच्चे को पिलाने वाला गर्म दूध डाला जाता है तो इसमें मौजूद रासायनिक तत्व दूध के साथ मिल जाते हैं। जिसके बाद ये दूध काफी खतरनाक हो सकता है तथा बच्चों को कई तरह की संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है। वहीं, मां के दूध में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व बच्चों को निमोनिया, दस्त जैसी गंभीर बीमारियों से बचाते हैं।