गर्मियों में स्तनपान कराने वाली महिलाएं व नवजात का रखें ख्याल
-गर्मी में बाहर से घर आने पर तुरन्त स्तनपान कराने से बचें-डॉ अमित
दरभंगा गर्मी का मौसम चरम पर है। इस कारण लोगों के जीवनशैली में बदलाव आया है। खासकर उन महिलाओं के जिनके बच्चे छोटे हैं। इस मैसम में नवजात को स्तनपान कराने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। स्तनपान शिशुओं के लिए संपूर्ण पोषण का काम करता है। पोषण के अलावा स्तनपान के ज़रिये बच्चे के शरीर में आवश्यक खनिज और विटामिन भी पहुंचते हैं। उनकी पाचन शक्ति मजबूत बनती है। मां के दूध में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शिशु को कई तरह के रोगों से बचाने का भी काम करते । इसलिये मां की सेहत दुरुस्त रहे, तो बच्चे का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। डीएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सुमित कुमार ने कहा गर्मियों में मां के लिये शिशु को कई तरह की समस्याओं से बचाना चुनौती भरा होता है। कहा उन प्राकृतिक तरीकों के बारे में, जिन्हें अपनाकर माताएं अपना और अपने शिशु दोनों का ख्याल रख सकती हैं। डॉ अमित ने बताया मां के दूध की गुणवत्ता उसके खान-पान पर निर्भर करती है। साबुत अनाज, दालें, ताजे फल, सब्जियां जैसे खाद्य पदार्थों में मौजूद प्रोटीन सामग्री मां और बच्चे के लिए अच्छी है। इसलिए आहार में ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए जो बॉडी को हाइड्रेट करने के साथ शिशु के लिये संपूर्ण पोषण का काम करे।
ठंडा व बासी खाना खाने से बचें-
डॉ अमित ने कहा ठंडा, बासी, और बहुत अधिक रुखा-सूखा खाना खाने से बचें। उन खाद्य पदार्थों को खाने से बचें जो बहुत मसालेदार, कड़वे और तीखे हों। दिन में कम से कम 4-6 बार छोटा-छोटा भोजन लें। भोजन में गोभी, सेम, मटर, कच्ची सब्जियां न खाएं। पका हुआ और अच्छी तरह उबला हुआ खाना उत्तम माना जाता है। अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए कम से कम 4 लीटर पानी एक दिन में पीएं। अगर एसिडिटी अधिक होती है तो डेयरी उत्पादों, अचार और मसालेदार सलाद, भोजन से भी बचें। इस तरह का भोजन करने से मां को और बच्चे को दस्त, पेट की ऐंठन, संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बाहर निकलने से करें परहेज़-
डॉ अमित ने बताया गर्मियों में माताओं को धूप में बाहर निकलने पर सूरज की तेज़ रौशनी से बचना चाहिए। अगर बाहर से लौट रही हैं, तो तुरंत शिशु को स्तनपान नहीं करवाना चाहिए। बल्कि पहले एक आरामदायक बाथ लेकर शरीर का पूरा पसीना साफ करने के बाद ही शिशु को दूध पिलाएं। शिशु 6 महीने का या उससे अधिक बड़ा है तो उबले पानी को ठंडा कर एक बोतल में भरें और एक–डेढ़ घंटे बाद थोड़ा-थोड़ा पिलाती रहें। अगर मां को कफ की समस्या है, तो आहार में मिठाई और अत्यधिक नमकीन चीजों का सेवन कम करना चाहिए। फैट बढ़ाने वाला खाना, स्टार्च वाले फूड से भी बचा जा सकता है। इससे बच्चे को कफ जमने की आशंका कम होती है।
फलों का जूस फायदेमंद-
डॉ अमित के अनुसार गर्मियों में दूध पिलाने वाली मां के शरीर में पानी की तेज़ी से कमी हो जाती है, इसलिये फलों का ताज़ा जूस घर पर बनाकर लेती रहें, तो फायदा हो सकता है। नारियल का पानी, नींबू पानी और लस्सी पीना भी फायदेमंद है।
मालिश के लिए बादाम व तिल का तेल बेहतर-
गर्मियों में बच्चे के शरीर पर रैशेज हो जाना एक आम समस्या है। ऐसे में बच्चे को किसी आयुर्वेदिक तेल की मालिश की जानी चाहिए। तिल का तेल और बादाम तेल इसके लिये अच्छा साबित हो सकता है। चंदन के पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह शिशु को कूल रखने में मददगार होता है।
बाहर निकलने की स्थिति में बच्चे के सिर पर रखें टोपी-
डॉ अमित ने बताया बच्चे को ज्यादा तंग व मोटे कपड़े न पहनाएं। हमेशा सूती कपड़ों का इस्तेमाल करें, जो काफी खुले या थोड़े बड़े आकार के हों। पैरों में हवा लगने दें, जूते या मौजे पहनाने से बच सकती हैं। अगर शिशु को बाहर धूप में लेकर जा रही हैं तो उसके शरीर पर नरम मुलायम फैब्रिक के कपड़े पहना सकती हैं, जिससे उसके शरीर में हवा जाती रहे। सिर पर टोपी पहनाना न भूलें। महिलाएं भी सूती कपड़े पहनेंगी, तो न तो गर्मी अधिक लगेगी और न ही पसीने की चिपचिपाहट होगी। सिंथेटिक या अन्य फैब्रिक गर्मियों में रैशेज का कारण बन सकते हैं।