संस्कृत के संरक्षण व संवर्धन हेतु नवनियुक्त संस्कृत प्राध्यापकों ने कसी कमर
संस्कृत को सैद्धांतिक ही नहीं,वरन व्यावहारिक रूप देने की जरूरत- डा संजीत*
बिहार प्रदेश में गत वर्ष बीपीएससी,पटना की अनुशंसा से नियुक्त संस्कृत प्राध्यापकों का ऑनलाइन सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें उन्होंने संस्कृत के सर्वांगीण विकास, संरक्षण एवं संवर्धन हेतु कमर कसी। वे सभी इस बात पर एकमत हुए कि छात्रों को प्रेरित कर संस्कृत विषय से जोड़ना तथा 100% रोजगार हेतु उन्हें तैयार करना समय की मांग है। आज संस्कृत पाठ्यक्रम को और अधिक रुचिकर बनाने के साथ ही उसे यूजीसी-नेट, विभिन्न प्रशासनिक सेवाओं तथा सेना में धार्मिक शिक्षकों सहित अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं के अनुकूल बनाना तथा महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में संस्कृत पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
कार्यक्रम का प्रारंभ डा सत्येंद्र पांडे के वैदिक मंगलाचरण से हुआ,जबकि विषय प्रवर्तन डा कृपाशंकर पांडे ने किया।अतिथियों का स्वागत करते हुए मिथिला विश्वविद्यालय की ओर से डा संजीत कुमार झा,संस्कृत-प्राध्यापक,सी एम कॉलेज,दरभंगा ने कहा कि संस्कृत को सैद्धांतिक ही नहीं,वरन व्यावहारिक रूप देने की जरूरत है। नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा की बात की गई है जो सीधे संस्कृत से जुड़ा हुआ है।आज की परिस्थिति में संस्कृत का खोया हुआ सम्मान पुनः वापस लाना हम सबों की जिम्मेदारी है। कार्यक्रम में बिहार राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के संस्कृत शिक्षकों ने भाग लिया, जिसका संचालन जे पी विश्वविद्यालय, छपरा के डा आशुतोष द्विवेदी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन बिहार विश्वविद्यालय के डा ललित मंडल ने किया।